जब राजेश कुमार, शीर्ष विश्लेषक भारतीय बुलेटिन एजेंसी ने 7 अक्टूबर को तय किए गए सोने‑चांदी के रेट्स का खुलासा किया, तो बाजार में हलचल मचे रहेगी—का मतलब है, हर घर की झोपड़ी में भटकता हुआ वही सवाल: "अब किसे कितना देना पड़ेगा?"
इस मंगलवार सुबह, देश के प्रमुख बुलेटिन मार्केटों में 24‑कैरेट शुद्ध सोना 10 ग्राम के लिए दिल्ली में ₹1,22,070 तक पहुँचा, जबकि 22‑कैरेट का दाम ₹1,12,000 था। 18‑कैरेट की कीमतें भी 10 ग्राम पर ₹91,670 के आसपास स्थिर रही। साथ ही, चाँदी का एक किलोग्राम ₹1,57,000 पर ट्रेड हुआ, यानी पिछले सत्र से ₹1,000 का उछाल।
अभी-अभी अमेरिका की कॉमोडिटी एक्सचेंज ने 1 औंस सोने को $3,957.64 पर मार्क किया, जो पिछले दिन की तुलना में $71 का उछाल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यही तेज़ी चल रही है, और भारत को इस वैश्विक बुल मैटल रैली का बड़ा हिस्सा अपने मौसमी खरीद‑विक्री की लहर से मिल रहा है।
इन कीमतों में सिर्फ एक‑दूसरे के साथ न्यूनतम अंतर नहीं, बल्कि क्षेत्रीय मांग‑आपूर्ति के बारीक अंतर भी झलकते हैं। चेन्नई की कीमतें थोड़ा ऊपर इसलिए हैं क्योंकि दक्षिणी राज्यों में शादी‑ब्याह का सीजन अभी शिखर पर है।
स्थिरता से बढ़ते हुए सोने की कीमतों का मुख्य कारण दो पहलू हैं: पहले, अक्टूबर‑नवम्बर का वैवाहिक सीजन, जहाँ हर दूल्हा‑दुल्हन सोने के गहने को "अटूट" मानते हैं; दूसरा, मौजूदा आर्थिक माहौल—उच्च महंगाई, फिस्कल प्रोत्साहन, और डॉलर की मजबूती— सोने को एक सुरक्षित निवेश बनाते हैं।
राजेश कुमार ने बताया, "सप्ताह के अंत में दिल्ली‑मुंबई की बुलेटिन मार्केटों में ट्रेड वॉल्यूम पिछले महीने की तुलना में 27% बढ़ा है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि उपभोक्ता उच्च कीमतों के बावजूद खरीदारी जारी रख रहे हैं।"
बाजार विशेषज्ञ “अर्थशास्त्रियों के फोरम” के सदस्य सविता सिंह ने कहा, "अगले दो‑तीन हफ्तों में अगर शादी‑ब्याह का सीजन जल्द ही ख़त्म हो गया, तो कीमतों में थोड़ा ठंडा पड़ना संभव है, पर तब तक अब तक पहुँचा था वह रिकॉर्ड शायद दो‑तीन महिने और टिक सकता है।"
वहीं, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी एनालिस्ट Майкл Хоффमन (Michael Hoffmann) ने कैलिफ़ोर्निया के अपने सत्र में कहा कि "वैश्विक बाजारों में बैंकों के बंधक‑सुरक्षित सुविधाएँ अभी भी तेज़ी से बढ़ रही हैं, जिससे सोने को एक आकर्षक एसेट क्लास बनाये रखती हैं।"
जो लोग पहली बार सोने में निवेश करने का विचार कर रहे हैं, उनके लिये एक आसान‑सारांश: अगर आपका निवेश क्षितिज दो‑तीन साल की लंबी अवधि में है, तो इस समय का औसत 24‑कैरेट मूल्य ₹1.22 लाख लगभग 12‑13% वार्षिक रिटर्न का संकेत देता है। लेकिन तुरंत खरीदने से पहले अपनी नकदी प्रवाह, जोखिम सहनशीलता और वैवाहिक खर्चों को ध्यान में रखें।
मुख्य कारण दो‑तीन बिंदु हैं: वैवाहिक सीजन की बढ़ती मांग, महंगाई के डर से निवेशकों का सोने की ओर रुख, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर की मजबूती जिससे सोने का कीमत बढ़ता है। ये सभी कारक मिलकर कीमतों को रिकॉर्ड‑स्तर पर ले गए हैं।
दिल्ली में 24‑कैरेट सोने की कीमत ₹1,22,070/10 g है, जबकि मुंबई में कीमत लगभग ₹1,21,900 के आसपास रहती है। अंतर केवल दो‑तीन सौ रुपये का है, जो मुख्यतः स्थानीय टैक्स और ट्रांसपोर्ट लागत पर निर्भर करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैवाहिक सीजन समाप्त हो जाता है और आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव आता है—जैसे कि ब्याज दरों में गिरावट या डॉलर कमजोर होना—तो कीमतों में ठहराव या हल्का गिरावा संभव है। परंतु इस साल के अंत तक ऊपर की दिशा जारी रहने की सम्भावना अधिक है।
निवेश की राशि व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति पर निर्भर करती है। सामान्य सलाह यह है कि पोर्टफोलियो का 5‑10% हिस्सा सोने में रखें, जिससे जोखिम कम हो और दीर्घकालिक सुरक्षा मिले। शुरुआती खरीदार छोटे 5‑ग्राम या 10‑ग्राम के टुकड़े लेकर धीरे‑धीरे बढ़ा सकते हैं।
चाँदी को अक्सर औद्योगिक उपयोग और निवेश दोनों में देखा जाता है। इस साल इलेक्ट्रॉनिक और सौर पैनल निर्माण में वृद्धि, साथ ही निवेशकों की सोने‑चाँदी की जोड़ी में सुरक्षित विकल्प की तलाश ने कीमत को ₹1,57,000/किलो तक बढ़ाया है।
PRAVIN PRAJAPAT
8 10 25 / 02:52 पूर्वाह्नसोने की कीमतें सिर्फ शादी के मौसमी झंकार से नहीं बल्कि वित्तीय नीति की धुंधली लहर से बढ़ी हैं।
Ravi Patel
15 10 25 / 01:32 पूर्वाह्नराजेश जी ने जो डेटा दिया है वो काफी भरोसेमंद है। बाजार में इस झँकने को देखते हुए थोड़ा सतर्क रहना भी जरूरी है।
Adrija Maitra
22 10 25 / 00:12 पूर्वाह्नवाह! ये तो बिल्कुल ड्रामाई क़िस्सा है, जब सोना भी वर्ल्ड कप जीत लेता है। लोग शादी‑ब्याह की वजह से देर रात तक सोने की कीमतें देखे बिना नहीं रह पाते।
RISHAB SINGH
28 10 25 / 22:52 अपराह्नसच में, बहुतेरे लोग इस मौसमी उछाल को अवसर समझ रहे हैं। थोड़ा समझदारी से कदम बढ़ाना होगा।
Deepak Sonawane
4 11 25 / 21:32 अपराह्नआर्थिक मैक्रो‑इंडिकेटर्स के हाई‑फ़्रीक्वेंसी मॉडेल्स यह दर्शाते हैं कि फेडरली रिस्क‑एडजस्टेड एसेट अलोकेशन में सोना अब एक कॉर्नरस्टोन बन चुका है; इसलिए यह रैली स्ट्रक्चरली सस्टेनेबल प्रतीत होती है।
Suresh Chandra Sharma
11 11 25 / 20:12 अपराह्नअगर आप पहली बार सोना खरीद रहे हो तो 5‑ग्राम का छोटा किलॉस चुनो, काफी अॅफोर्डेबल रहेगा। ट्रांसपोर्ट चार्ज और टैक्स की पूरी डिटेल आपके निकटतम बुलेटिन में मिल जाएगी।
Parveen Chhawniwala
18 11 25 / 18:52 अपराह्नध्यान दें, चेन्नई की कीमतें ऊपर इसलिए हैं क्योंकि उस रेज़न में दाल‑बादाम की डिमांड भी इस सीज़न में स्पाइक्स ले रही है, जो सोने की खपत को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ा रही है।
Shivam Kuchhal
25 11 25 / 17:32 अपराह्नसभी निवेशकों को शुभकामनाएँ, इस तेज़ी को एक अवसर के रूप में देखें और सुदृढ़ योजना बनाकर आगे बढ़ें।
rajeev singh
2 12 25 / 16:12 अपराह्नभारत में सोने का ऐतिहासिक महत्व हमेशा से रहा है, खासकर शादियों में। इसलिए इस मौसमी उछाल को सांस्कृतिक पहलू से भी समझना जरूरी है।
ANIKET PADVAL
9 12 25 / 14:52 अपराह्नभाइयो और बहनो, वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में सोने की कीमतें एक जटिल बहु‑आयामी घटना का परिणाम हैं; पहला बिंदु यह है कि वैश्विक बाजार में डॉलर की निरंतर मजबूती ने सोने को एक मूल्य-सुरक्षा उपकरण बना दिया है।
दूसरा, भारत में चल रही वैवाहिक सीजन की मांग ने घरेलू उपभोक्ता आधार को असाधारण रूप से विस्तारित किया है, जिससे ट्रेड वॉल्यूम में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
तीसरा, मौद्रिक नीति में विस्तारवादी कदमों का प्रभाव अक्सर मुद्रास्फीति को उत्प्रेरित करता है, और निवेशक इस अनिश्चितता को कम करने के लिये सोने की ओर रुख करते हैं।
चौथा, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी फ्यूचर्स बाजार में शॉर्ट‑सैलिंग की कमी ने दीर्घकालिक बुलिश प्रवृत्ति को सुदृढ़ किया है।
पाँचवा, भारत के बॉण्ड यील्ड में स्थायी गिरावट ने तुलनात्मक रूप से सोने को अधिक आकर्षक बना दिया है, क्योंकि जोखिम‑रहित रिटर्न कम हो रहा है।
छठा, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आयातित सोने पर लगने वाले प्रीमियम में विविधता ने स्थानीय कीमतों में असमानता उत्पन्न की है, जिससे कुछ क्षेत्रों में स्पीक्स अधिक तेज़ हुए हैं।
सातवाँ, शौकिया निवेशकों ने हालिया डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सोने के एक्सचेंज को आसान बना दिया है, जिससे प्रवेश‑बाधा घट गई है।
आठवाँ, बैंकिंग सेक्टर की लिक्विडिटी प्रोविज़न ने सोने की फाइनेंशियल लोन की उपलब्धता को बढ़ाया है, जिससे अधिक लोग लेवरेज आधारित निवेश कर रहे हैं।
नवाँ, नियामक संस्थाओं की पारदर्शी रिपोर्टिंग ने बाजार में विश्वास को पुनर्स्थापित किया है, जिससे कीमतों में स्थिरता आयी है।
दसवाँ, ऐतिहासिक डेटा दर्शाता है कि जब सोने की कीमतें इस स्तर पर पहुँचती हैं, तो अगले 3‑6 महीनों में एक हल्का समायोजन देखना संभव है, लेकिन यह समायोजन आम तौर पर 5‑7% के भीतर सीमित रहता है।
ग्यारहवाँ, व्यक्तिगत पोर्टफ़ोलियो में सोने का अनुपात 5‑10% रखने से जोखिम कम हो सकता है, यह एक सिद्ध सिद्धान्त है।
बारहवाँ, यदि आप दीर्घकालिक निवेशक हैं तो इस सगें का लाभ उठाते हुए 10‑12 ग्राम के गोल्ड बर्स्टिंग में निवेश करना समझदारी होगी।
तेरहवाँ, ध्यान रखें कि अत्यधिक लेवरेज के कारण अल्पकालिक मूल्य उतार‑चढ़ाव आपके पूंजी को हानि पहुंचा सकता है; इसलिए सावधानी बरतें।
चौदहवाँ, अंत में, यह कहा जा सकता है कि सोने की वर्तमान कीमतें एक मिश्रित अवस्था को प्रतिबिंबित करती हैं, जहाँ वैश्विक आर्थिक सन्निकटता और घरेलू मौसमी मांग दोनों ही प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।