Aadhaar Rules 2025: जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य, बच्चों का बायोमेट्रिक देर से हुआ तो नंबर निष्क्रिय

Aadhaar Rules 2025: जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य, बच्चों का बायोमेट्रिक देर से हुआ तो नंबर निष्क्रिय

क्या बदला—Aadhaar Rules 2025 की मुख्य बातें

अगर आपके बच्चे का आधार 5 साल की उम्र पार कर चुका है और अब तक बायोमेट्रिक अपडेट नहीं हुआ, तो सावधान रहिए—UIDAI ने साफ किया है कि 7 साल तक MBU पूरा न करने पर आधार नंबर निष्क्रिय किया जा सकता है। 2 जुलाई 2025 से लागू हुए नए नियम—Aadhaar (Enrolment and Update) First Amendment Regulations, 2025—ने नामांकन और अपडेट दोनों प्रक्रियाओं को ज्यादा दस्तावेज-आधारित और सख्त बना दिया है। यही वजह है कि परिवारों को पहले से ज्यादा तैयारी के साथ केंद्र जाना पड़ेगा। यह बदलाव पुराने 2016 वाले नियमों की जगह लागू हुए हैं और इनका मकसद रिकॉर्ड की सटीकता और सिस्टम की विश्वसनीयता बढ़ाना है।

नए ढांचे में पहचान (POI), पते (POA), रिश्ते (POR) और जन्मतिथि (PDB) साबित करने वाले दस्तावेजों की सूची बढ़ाई गई है। सबसे बड़ा बदलाव बच्चों की जन्मतिथि से जुड़ा है—अब 0 से 18 वर्ष तक की उम्र में जन्मतिथि अपडेट के लिए राज्य की अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य होगा। यानी स्कूल का बोनाफाइड या किसी निजी कागज के भरोसे तिथि बदलना आसान नहीं रहेगा।

पते के प्रमाण के लिए स्वीकार दस्तावेजों की रेंज भी व्यापक हुई है। UIDAI फॉर्मेट पर तय अधिकारियों—सांसद, विधायक, गजटेड ऑफिसर, शेल्टर होम के प्रमुख और ग्राम पंचायत प्रधान—द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी विशेष परिस्थितियों में मान्य होंगे, खासकर तब जब परिवार के पास मानक पते के दस्तावेज न हों। इसका फायदा उन परिवारों को मिलेगा जो किराये पर रहते हैं, बार-बार स्थान बदलते हैं, या राहत शिविर/आश्रय गृहों में हैं।

नियम सख्त हुए हैं, पर प्रक्रिया अब ज्यादा संरचित भी है। केंद्र खोजने, दस्तावेज जुटाने, फॉर्म भरने और आवेदन ट्रैक करने तक हर कदम पर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। आवेदन के बाद आपको एक acknowledgment slip मिलता है, जिसमें नामांकन ID (EID) रहती है—यही EID आगे की स्थिति देखने में काम आती है। सामान्यतः कार्ड 90 दिनों के भीतर भेज दिया जाता है, हालांकि यह समय स्थानीय दबाव और सत्यापन पर निर्भर होता है।

कौन-कौन से कागज काम आएंगे? संक्षेप में देखें:

  • POI (पहचान): पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी फोटो पहचान पत्र जैसे वैध फोटो ID।
  • POA (पता): बिजली-पानी-गैस बिल, बैंक/डाकघर पासबुक, राशन कार्ड, किरायानामा (शर्तों सहित), सरकारी आवास आवंटन पत्र, या UIDAI-स्वरूप में अधिकृत अधिकारी का प्रमाणपत्र।
  • POR (रिश्ता): परिवार राशन कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र जिसमें माता-पिता/अभिभावक का नाम हो, या अधिकृत अधिकारी/संस्था प्रमुख का UIDAI-फॉर्मेट प्रमाणपत्र (जैसे शेल्टर होम/बाल गृह)।
  • PDB (जन्मतिथि): राज्य/नगर निकाय/अधिकृत सरकारी एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र, सरकारी अस्पताल/स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी जन्म रिकॉर्ड—विशेषकर 0–18 आयु के अपडेट के लिए यह अब केंद्रबिंदु है।

केंद्र पर पहुंचते समय मूल दस्तावेज साथ रखें और उनकी फोटोकॉपी भी। नाम, पिता/माता का नाम और जन्मतिथि हर दस्तावेज में एक जैसी हो—स्पेलिंग के फर्क या अलग फॉर्मेट की तारीखें (जैसे 12/04/15 बनाम 12-04-2015) अक्सर रिजेक्शन करवाती हैं। किसी भी सेवा शुल्क का भुगतान करते समय रसीद जरूर लें, ताकि बाद में ट्रैकिंग में आसानी रहे।

ये बदलाव किसे सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे? एक—वे परिवार जिनके बच्चों का आधार 5 साल के बाद अपडेट नहीं हुआ। दो—जिन्हें पते/रिश्ते का प्रमाण जुटाने में दिक्कत आती है। तीन—NRI परिवार जिनके बच्चे भारत में नामांकन करवाते हैं। इनके लिए अब दस्तावेजी अनुशासन पहले से ज्यादा जरूरी होगा, वरना बैंकिंग, स्कॉलरशिप, स्कूल एडमिशन, सब्सिडी या स्वास्थ्य योजनाओं में KYC की जरूरत पड़ने पर परेशानियां बढ़ सकती हैं।

कई लोग पूछते हैं—क्या ये बदलाव सुविधाओं पर रोक की तरह हैं? असल में यह डेटा की शुद्धता की ओर धक्का है। गलत जन्मतिथि, पते की असंगति, या रिश्ता साबित न कर पाने जैसे मुद्दे बाद में सरकारी योजनाओं, पासपोर्ट/KYC और लाभ ट्रांसफर में बड़ी रुकावट बनते हैं। नए नियम उसी रिस्क को शुरुआत में ही कंट्रोल करने की कोशिश हैं।

बच्चों के लिए नई प्रक्रिया, MBU और NRI प्रावधान

बच्चों के लिए नई प्रक्रिया, MBU और NRI प्रावधान

बच्चों के नामांकन को दो हिस्सों में बांटा गया है। 0 से 5 साल तक के बच्चों के लिए बायोमेट्रिक नहीं लिया जाता—केवल फोटो, माता-पिता/अभिभावक का विवरण और दस्तावेज। 5 साल पूरे होते ही अनिवार्य है कि बच्चा केंद्र पर जाकर फिंगरप्रिंट, आइरिस और फेस कैप्चर करवाए। इसे ही Mandatory Biometric Update (MBU) कहा गया है। UIDAI ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है—7 साल की उम्र तक MBU न होने पर आधार नंबर निष्क्रिय किया जा सकता है।

MBU क्यों जरूरी? 5 साल की उम्र पर फिंगरप्रिंट और आइरिस जैसे बायोमेट्रिक स्थिर होने लगते हैं, इसलिए इस चरण में कैप्चर डेटा आगे पहचान की रीढ़ बनता है। कई माता-पिता ने समय पर यह कदम नहीं उठाया—इसी वजह से UIDAI ने साफ चेतावनी जारी की है।

अगर किसी कारण से बच्चे का आधार निष्क्रिय हो जाए, तो क्या करें? नजदीकी नामांकन/अपडेट केंद्र पर बच्चे को लेकर जाएं, बायोमेट्रिक अपडेट कराएं, आवश्यक दस्तावेज दिखाएं और फॉर्म भरें। acknowledgment slip सुरक्षित रखें—स्थिति इसी से ट्रैक होगी। आमतौर पर वैध दस्तावेज और सफल बायोमेट्रिक के बाद सक्रियण वापस हो जाता है।

बच्चों की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से यूं समझें:

  1. केंद्र ढूंढें: आधिकारिक पोर्टल/सूचना से नजदीकी आधार केंद्र का पता देखें।
  2. दस्तावेज साथ रखें: बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र, माता-पिता/अभिभावक की पहचान-पते के कागज, और रिश्ते का सबूत।
  3. फॉर्म भरें: नाम, जन्मतिथि, लिंग, पता, ईमेल जैसी अनिवार्य जानकारी; मोबाइल नंबर जैसी वैकल्पिक जानकारी भी जोड़ सकते हैं—स्थिति ट्रैक करने में मदद मिलती है।
  4. 0–5 आयु: फोटो लिया जाएगा, बायोमेट्रिक नहीं।
  5. 5+ आयु: फिंगरप्रिंट, आइरिस और चेहरा कैप्चर—यही MBU है।
  6. स्वीकृति पर्ची लें: EID से 90 दिनों के भीतर आने की उम्मीद रखें।

जन्मतिथि के अपडेट की बात खास है। 0–18 आयु के किसी भी अपडेट के लिए अब जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है। अगर आपके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है, तो पहले स्थानीय नगर निगम/पंचायत/राज्य के अधिकृत कार्यालय में पंजीकरण करवा कर प्रमाणपत्र बनवाएं। अस्पताल जन्म रिकॉर्ड या सरकारी स्वास्थ्य इकाई के दस्तावेज अक्सर आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी करवाने में मदद करते हैं।

ऐसे परिवार जिन्हें पते के दस्तावेज जुटाने में मुश्किल आती है—किरायेदार, प्रवासी मजदूर, या आश्रय गृहों में रहने वाले—वे UIDAI फॉर्मेट में अधिकृत अधिकारी का प्रमाणपत्र इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्राम पंचायत प्रधान या शेल्टर होम के प्रमुख का प्रमाणपत्र भी मान्य है, पर ध्यान रहे कि यह केवल पते के सत्यापन में सहायक है; पहचान, रिश्ता और जन्मतिथि के लिए अलग-अलग दस्तावेज फिर भी जरूरी होंगे।

NRI बच्चों के लिए नियम सीधे हैं। नामांकन के समय एक वैध भारतीय पासपोर्ट पहचान के रूप में अनिवार्य है। 5–18 वर्ष की उम्र में माता-पिता/अभिभावक में से कोई एक या दोनों बच्चे के साथ केंद्र पर मौजूद होकर फॉर्म पर हस्ताक्षर और प्रमाणीकरण करेंगे। नाम, जन्मतिथि, लिंग, पता, ईमेल जैसी अनिवार्य जानकारी ली जाएगी; मोबाइल नंबर देना वैकल्पिक है, लेकिन आगे किसी भी OTP-आधारित सेवा, ट्रैकिंग और संवाद के लिए यह उपयोगी रहता है।

क्या माता-पिता दोनों का मौजूद होना जरूरी है? नियम कहते हैं—माता/पिता या विधिक अभिभावक में से कोई एक प्रमाणीकरण कर सकता है। फिर भी, दस्तावेजों में नाम/रिश्ते के मेल के लिए जो अभिभावक दस्तावेज दे रहा है, उसकी उपस्थिति प्रक्रिया को सरल बनाती है।

अपडेट केंद्र में कौन-सी गलतियां सबसे आम हैं? सबसे पहले—नाम की स्पेलिंग का फर्क (आधार में Devansh, प्रमाणपत्र में Diwansh)। दूसरा—जन्मतिथि का अलग फॉर्मेट या साल में गलती। तीसरा—पते में घर/गली नंबर का मिसमैच। चौथा—स्कैन की गई फोटोकॉपी का धुंधला होना। इन सब से बचने के लिए साफ, मूल दस्तावेज ले जाएं और फॉर्म पर साइन से पहले प्रीव्यू जांच लें।

कई पाठक पूछते हैं—क्या हर अपडेट पर फीस लगती है? नामांकन सामान्यतः नि:शुल्क होता है, जबकि अपडेट पर केंद्र पर तय शुल्क लिया जाता है। रकम स्थान और सेवा के मुताबिक तय होती है इसलिए रसीद लेना और सेवाओं की सूची देखना समझदारी है।

क्या-क्या पहले जैसा ही है? नामांकन केंद्र की मूल प्रक्रिया—केंद्र खोजना, फॉर्म भरना, फोटो/बायोमेट्रिक, EID मिलना—बदली नहीं है। बदलाव दस्तावेजों की सूची, बच्चों के बायोमेट्रिक के समय नियम, और जन्मतिथि अपडेट जैसे संवेदनशील हिस्सों में हुए हैं।

ग्रामीण/दूरदराज इलाकों के परिवारों के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि गांव/ब्लॉक स्तर पर चलने वाले स्थायी या कैंप-आधारित केंद्रों की जानकारी स्थानीय प्रशासन से पहले ही ले लें। ऐसे परिवार जिनके बच्चे 5 की उम्र के पास पहुंच रहे हैं, वे स्कूल/आंगनवाड़ी से भी पूछताछ करें—कई बार स्थानीय स्तर पर सामूहिक अपडेशन कैंप की सूचना वहीं लगाई जाती है।

ध्यान रहे, रद्द या निष्क्रिय आधार का असर सिर्फ एक कार्ड पर नहीं पड़ता—यह बैंक KYC, छात्रवृत्ति, सरकारी सब्सिडी, पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, और सिम वेरीफिकेशन तक असर डाल सकता है। इसलिए MBU की समयसीमा चूकना महंगा पड़ सकता है।

क्या ऑनलाइन कुछ किया जा सकता है? केंद्र जाने से पहले आप केंद्र का पता, संभावित समय, और आवश्यक दस्तावेजों की सूची ऑनलाइन देखकर तैयार हो सकते हैं। अगर बच्चे का नाम/पता जैसी कुछ जनसांख्यिकीय जानकारी बदलनी हो, तो कई मामलों में पहले से दस्तावेज अपलोड कर देना भी प्रक्रिया को तेज करता है—हालांकि अंतिम सत्यापन और बायोमेट्रिक के लिए केंद्र जाना ही होगा।

संक्षेप में, Aadhaar Rules 2025 ने बच्चों के लिए बायोमेट्रिक अपडेट को समयबद्ध और अनिवार्य बना दिया है, और 0–18 आयु में जन्मतिथि अपडेट के लिए जन्म प्रमाणपत्र को केंद्र में रखा है। NRI बच्चों के नामांकन में भारतीय पासपोर्ट को पहचान का एकमात्र निर्णायक दस्तावेज माना गया है। परिवारों को अब हर कदम पर दस्तावेजों की शुद्धता, स्पेलिंग की एकरूपता और समयसीमा का पालन करना होगा—वरना आधार निष्क्रिय होने का जोखिम बना रहेगा।

टिप्पणि (19)

  • Aakash Parekh

    Aakash Parekh

    16 09 25 / 23:11 अपराह्न

    ये नियम तो बस औपचारिकता बढ़ा रहे हैं। किसी के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो क्या करें? अस्पताल में पैदा हुआ बच्चा भी अब बेकार हो जाएगा।

  • Kairavi Behera

    Kairavi Behera

    17 09 25 / 19:13 अपराह्न

    अगर आपके पास जन्म रिकॉर्ड है तो नगर निगम में जाकर जन्म प्रमाणपत्र बनवा लें। ये बहुत आसान है, बस एक रुपया फीस और दो दिन का इंतजार। बच्चे का भविष्य बच जाएगा।

    मैंने अपने बेटे के लिए यही किया था। कोई दिक्कत नहीं हुई।

  • abhishek sharma

    abhishek sharma

    18 09 25 / 01:15 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये सब तो बस ब्यूरोक्रेसी का खेल है। 7 साल की उम्र तक MBU नहीं कराया तो निष्क्रिय? तो क्या हुआ? क्या बच्चे का आधार नहीं होगा तो वो स्कूल नहीं जा पाएगा? अगर ऐसा है तो ये नियम तो बच्चों के खिलाफ है।

    मैंने अपने भाई के बच्चे का आधार 10 साल बाद अपडेट किया था। कोई दिक्कत नहीं हुई। ये नए नियम बस अधिकारियों के लिए एक नया काम बना रहे हैं।

  • Sagar Bhagwat

    Sagar Bhagwat

    18 09 25 / 15:45 अपराह्न

    ये नियम तो बस एक और बाधा है जो गरीबों को रोकने के लिए बनाया गया है। क्या होगा अगर किसी के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है? क्या वो बच्चा अब भारतीय नागरिक नहीं रह गया?

  • Karan Kacha

    Karan Kacha

    19 09 25 / 21:48 अपराह्न

    मैंने अपने बेटे का आधार 5 साल की उम्र में अपडेट करवाया था, और फिर 10 साल की उम्र में फिर से किया। जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में दो हफ्ते लग गए, लेकिन अब मैं शांति से सो रहा हूँ।

    अगर आपके पास अस्पताल का जन्म रिकॉर्ड है, तो उसे नगर निगम या पंचायत में ले जाएं। वो आपको जन्म प्रमाणपत्र जरूर देंगे। ये बहुत आसान है।

    अगर आपको लगता है कि ये सब बहुत ज्यादा दिक्कत है, तो आप इसे एक अवसर के रूप में देखें। ये आपके बच्चे के लिए एक डिजिटल पहचान है जो उसके जीवनभर काम आएगी।

    मैंने अपने बेटे के लिए इसे एक बचत के रूप में देखा। अगर उसे भविष्य में बैंक लोन, स्कॉलरशिप, या नौकरी के लिए KYC चाहिए, तो उसका आधार तैयार होगा।

    मैं अपने दोस्तों को भी ये सलाह देता हूँ। ये नियम जटिल लगते हैं, लेकिन अगर आप एक बार कर लें, तो आपको बाद में बहुत आसानी होगी।

    अगर आप अभी भी इसे टाल रहे हैं, तो आप अपने बच्चे के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं।

  • Jitender Rautela

    Jitender Rautela

    21 09 25 / 07:13 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये नियम तो बस एक और बाधा है। क्या होगा अगर किसी के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है? क्या वो बच्चा अब भारतीय नागरिक नहीं रह गया? ये सब तो बस ब्यूरोक्रेसी का खेल है।

  • Gaurang Sondagar

    Gaurang Sondagar

    22 09 25 / 19:12 अपराह्न

    ये नियम बेकार हैं। किसी के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो क्या करें? बच्चे का भविष्य बर्बाद हो जाएगा।

  • Ron Burgher

    Ron Burgher

    23 09 25 / 03:35 पूर्वाह्न

    अगर आपके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो आप बेकार हैं। ये नियम बहुत अच्छे हैं।

  • Divya Tiwari

    Divya Tiwari

    25 09 25 / 03:19 पूर्वाह्न

    भारत के नागरिकों के लिए आधार एक अहम पहचान है। अगर आप इसे नहीं अपडेट कर रहे हैं तो आप देश के खिलाफ हैं।

  • kalpana chauhan

    kalpana chauhan

    26 09 25 / 19:08 अपराह्न

    मैंने अपने बेटे का आधार अपडेट करवाया था। बहुत आसान था। बस जन्म प्रमाणपत्र ले जाना था।

  • Prachi Doshi

    Prachi Doshi

    28 09 25 / 18:22 अपराह्न

    अच्छा नियम है। बच्चों के लिए आधार जरूरी है।

  • vishal singh

    vishal singh

    30 09 25 / 14:47 अपराह्न

    ये नियम बहुत अच्छे हैं। अगर आप इसे नहीं मानते हैं तो आप बेकार हैं।

  • mohit SINGH

    mohit SINGH

    30 09 25 / 14:47 अपराह्न

    ये नियम बहुत बुरे हैं। बच्चों के लिए आधार नहीं चाहिए।

  • Preyash Pandya

    Preyash Pandya

    2 10 25 / 00:05 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये नियम तो बस एक और बाधा है। क्या होगा अगर किसी के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है? क्या वो बच्चा अब भारतीय नागरिक नहीं रह गया? ये सब तो बस ब्यूरोक्रेसी का खेल है। 😒

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    3 10 25 / 00:33 पूर्वाह्न

    मैंने अपने बेटे का आधार अपडेट करवाया था। बहुत आसान था। बस जन्म प्रमाणपत्र ले जाना था। अगर आपके पास अस्पताल का जन्म रिकॉर्ड है, तो उसे नगर निगम या पंचायत में ले जाएं। वो आपको जन्म प्रमाणपत्र जरूर देंगे।

    मैंने अपने भाई के बच्चे के लिए भी यही किया था। कोई दिक्कत नहीं हुई।

    अगर आपको लगता है कि ये सब बहुत ज्यादा दिक्कत है, तो आप इसे एक अवसर के रूप में देखें। ये आपके बच्चे के लिए एक डिजिटल पहचान है जो उसके जीवनभर काम आएगी।

    मैंने अपने बेटे के लिए इसे एक बचत के रूप में देखा। अगर उसे भविष्य में बैंक लोन, स्कॉलरशिप, या नौकरी के लिए KYC चाहिए, तो उसका आधार तैयार होगा।

    मैं अपने दोस्तों को भी ये सलाह देता हूँ। ये नियम जटिल लगते हैं, लेकिन अगर आप एक बार कर लें, तो आपको बाद में बहुत आसानी होगी।

    अगर आप अभी भी इसे टाल रहे हैं, तो आप अपने बच्चे के भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं।

  • Sujit Yadav

    Sujit Yadav

    3 10 25 / 04:59 पूर्वाह्न

    The implementation of MBU at age 5 is a triumph of bureaucratic precision. One cannot help but admire the institutional rigor with which UIDAI has aligned demographic data integrity with constitutional governance. The requirement of a state-issued birth certificate is not an obstacle-it is a legitimizing mechanism that ensures fidelity across public systems. To oppose this is to oppose the very architecture of modern citizenship.

  • Surender Sharma

    Surender Sharma

    4 10 25 / 12:10 अपराह्न

    ye rule toh bs time waste hai. kisi ke paas birth cert nahi hai to kya karega? sab kuch ghum raha hai. aur ek baar bhi nahi kia to account block? bhai ye kya baat hai.

  • shubham rai

    shubham rai

    5 10 25 / 20:38 अपराह्न

    Mera bhi bachcha 5 saal ka ho gaya. Abhi tak MBU nahi kiya. Ab kya karu?

  • Nitin Agrawal

    Nitin Agrawal

    6 10 25 / 23:53 अपराह्न

    ye sab toh sirf government ka drama hai. koi bhi birth cert nahi hota to kya karega? sab kuch waste hai.

एक टिप्पणी छोड़ें