अगर आपके बच्चे का आधार 5 साल की उम्र पार कर चुका है और अब तक बायोमेट्रिक अपडेट नहीं हुआ, तो सावधान रहिए—UIDAI ने साफ किया है कि 7 साल तक MBU पूरा न करने पर आधार नंबर निष्क्रिय किया जा सकता है। 2 जुलाई 2025 से लागू हुए नए नियम—Aadhaar (Enrolment and Update) First Amendment Regulations, 2025—ने नामांकन और अपडेट दोनों प्रक्रियाओं को ज्यादा दस्तावेज-आधारित और सख्त बना दिया है। यही वजह है कि परिवारों को पहले से ज्यादा तैयारी के साथ केंद्र जाना पड़ेगा। यह बदलाव पुराने 2016 वाले नियमों की जगह लागू हुए हैं और इनका मकसद रिकॉर्ड की सटीकता और सिस्टम की विश्वसनीयता बढ़ाना है।
नए ढांचे में पहचान (POI), पते (POA), रिश्ते (POR) और जन्मतिथि (PDB) साबित करने वाले दस्तावेजों की सूची बढ़ाई गई है। सबसे बड़ा बदलाव बच्चों की जन्मतिथि से जुड़ा है—अब 0 से 18 वर्ष तक की उम्र में जन्मतिथि अपडेट के लिए राज्य की अधिकृत एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य होगा। यानी स्कूल का बोनाफाइड या किसी निजी कागज के भरोसे तिथि बदलना आसान नहीं रहेगा।
पते के प्रमाण के लिए स्वीकार दस्तावेजों की रेंज भी व्यापक हुई है। UIDAI फॉर्मेट पर तय अधिकारियों—सांसद, विधायक, गजटेड ऑफिसर, शेल्टर होम के प्रमुख और ग्राम पंचायत प्रधान—द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी विशेष परिस्थितियों में मान्य होंगे, खासकर तब जब परिवार के पास मानक पते के दस्तावेज न हों। इसका फायदा उन परिवारों को मिलेगा जो किराये पर रहते हैं, बार-बार स्थान बदलते हैं, या राहत शिविर/आश्रय गृहों में हैं।
नियम सख्त हुए हैं, पर प्रक्रिया अब ज्यादा संरचित भी है। केंद्र खोजने, दस्तावेज जुटाने, फॉर्म भरने और आवेदन ट्रैक करने तक हर कदम पर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। आवेदन के बाद आपको एक acknowledgment slip मिलता है, जिसमें नामांकन ID (EID) रहती है—यही EID आगे की स्थिति देखने में काम आती है। सामान्यतः कार्ड 90 दिनों के भीतर भेज दिया जाता है, हालांकि यह समय स्थानीय दबाव और सत्यापन पर निर्भर होता है।
कौन-कौन से कागज काम आएंगे? संक्षेप में देखें:
केंद्र पर पहुंचते समय मूल दस्तावेज साथ रखें और उनकी फोटोकॉपी भी। नाम, पिता/माता का नाम और जन्मतिथि हर दस्तावेज में एक जैसी हो—स्पेलिंग के फर्क या अलग फॉर्मेट की तारीखें (जैसे 12/04/15 बनाम 12-04-2015) अक्सर रिजेक्शन करवाती हैं। किसी भी सेवा शुल्क का भुगतान करते समय रसीद जरूर लें, ताकि बाद में ट्रैकिंग में आसानी रहे।
ये बदलाव किसे सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे? एक—वे परिवार जिनके बच्चों का आधार 5 साल के बाद अपडेट नहीं हुआ। दो—जिन्हें पते/रिश्ते का प्रमाण जुटाने में दिक्कत आती है। तीन—NRI परिवार जिनके बच्चे भारत में नामांकन करवाते हैं। इनके लिए अब दस्तावेजी अनुशासन पहले से ज्यादा जरूरी होगा, वरना बैंकिंग, स्कॉलरशिप, स्कूल एडमिशन, सब्सिडी या स्वास्थ्य योजनाओं में KYC की जरूरत पड़ने पर परेशानियां बढ़ सकती हैं।
कई लोग पूछते हैं—क्या ये बदलाव सुविधाओं पर रोक की तरह हैं? असल में यह डेटा की शुद्धता की ओर धक्का है। गलत जन्मतिथि, पते की असंगति, या रिश्ता साबित न कर पाने जैसे मुद्दे बाद में सरकारी योजनाओं, पासपोर्ट/KYC और लाभ ट्रांसफर में बड़ी रुकावट बनते हैं। नए नियम उसी रिस्क को शुरुआत में ही कंट्रोल करने की कोशिश हैं।
बच्चों के नामांकन को दो हिस्सों में बांटा गया है। 0 से 5 साल तक के बच्चों के लिए बायोमेट्रिक नहीं लिया जाता—केवल फोटो, माता-पिता/अभिभावक का विवरण और दस्तावेज। 5 साल पूरे होते ही अनिवार्य है कि बच्चा केंद्र पर जाकर फिंगरप्रिंट, आइरिस और फेस कैप्चर करवाए। इसे ही Mandatory Biometric Update (MBU) कहा गया है। UIDAI ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है—7 साल की उम्र तक MBU न होने पर आधार नंबर निष्क्रिय किया जा सकता है।
MBU क्यों जरूरी? 5 साल की उम्र पर फिंगरप्रिंट और आइरिस जैसे बायोमेट्रिक स्थिर होने लगते हैं, इसलिए इस चरण में कैप्चर डेटा आगे पहचान की रीढ़ बनता है। कई माता-पिता ने समय पर यह कदम नहीं उठाया—इसी वजह से UIDAI ने साफ चेतावनी जारी की है।
अगर किसी कारण से बच्चे का आधार निष्क्रिय हो जाए, तो क्या करें? नजदीकी नामांकन/अपडेट केंद्र पर बच्चे को लेकर जाएं, बायोमेट्रिक अपडेट कराएं, आवश्यक दस्तावेज दिखाएं और फॉर्म भरें। acknowledgment slip सुरक्षित रखें—स्थिति इसी से ट्रैक होगी। आमतौर पर वैध दस्तावेज और सफल बायोमेट्रिक के बाद सक्रियण वापस हो जाता है।
बच्चों की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से यूं समझें:
जन्मतिथि के अपडेट की बात खास है। 0–18 आयु के किसी भी अपडेट के लिए अब जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है। अगर आपके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है, तो पहले स्थानीय नगर निगम/पंचायत/राज्य के अधिकृत कार्यालय में पंजीकरण करवा कर प्रमाणपत्र बनवाएं। अस्पताल जन्म रिकॉर्ड या सरकारी स्वास्थ्य इकाई के दस्तावेज अक्सर आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी करवाने में मदद करते हैं।
ऐसे परिवार जिन्हें पते के दस्तावेज जुटाने में मुश्किल आती है—किरायेदार, प्रवासी मजदूर, या आश्रय गृहों में रहने वाले—वे UIDAI फॉर्मेट में अधिकृत अधिकारी का प्रमाणपत्र इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्राम पंचायत प्रधान या शेल्टर होम के प्रमुख का प्रमाणपत्र भी मान्य है, पर ध्यान रहे कि यह केवल पते के सत्यापन में सहायक है; पहचान, रिश्ता और जन्मतिथि के लिए अलग-अलग दस्तावेज फिर भी जरूरी होंगे।
NRI बच्चों के लिए नियम सीधे हैं। नामांकन के समय एक वैध भारतीय पासपोर्ट पहचान के रूप में अनिवार्य है। 5–18 वर्ष की उम्र में माता-पिता/अभिभावक में से कोई एक या दोनों बच्चे के साथ केंद्र पर मौजूद होकर फॉर्म पर हस्ताक्षर और प्रमाणीकरण करेंगे। नाम, जन्मतिथि, लिंग, पता, ईमेल जैसी अनिवार्य जानकारी ली जाएगी; मोबाइल नंबर देना वैकल्पिक है, लेकिन आगे किसी भी OTP-आधारित सेवा, ट्रैकिंग और संवाद के लिए यह उपयोगी रहता है।
क्या माता-पिता दोनों का मौजूद होना जरूरी है? नियम कहते हैं—माता/पिता या विधिक अभिभावक में से कोई एक प्रमाणीकरण कर सकता है। फिर भी, दस्तावेजों में नाम/रिश्ते के मेल के लिए जो अभिभावक दस्तावेज दे रहा है, उसकी उपस्थिति प्रक्रिया को सरल बनाती है।
अपडेट केंद्र में कौन-सी गलतियां सबसे आम हैं? सबसे पहले—नाम की स्पेलिंग का फर्क (आधार में Devansh, प्रमाणपत्र में Diwansh)। दूसरा—जन्मतिथि का अलग फॉर्मेट या साल में गलती। तीसरा—पते में घर/गली नंबर का मिसमैच। चौथा—स्कैन की गई फोटोकॉपी का धुंधला होना। इन सब से बचने के लिए साफ, मूल दस्तावेज ले जाएं और फॉर्म पर साइन से पहले प्रीव्यू जांच लें।
कई पाठक पूछते हैं—क्या हर अपडेट पर फीस लगती है? नामांकन सामान्यतः नि:शुल्क होता है, जबकि अपडेट पर केंद्र पर तय शुल्क लिया जाता है। रकम स्थान और सेवा के मुताबिक तय होती है इसलिए रसीद लेना और सेवाओं की सूची देखना समझदारी है।
क्या-क्या पहले जैसा ही है? नामांकन केंद्र की मूल प्रक्रिया—केंद्र खोजना, फॉर्म भरना, फोटो/बायोमेट्रिक, EID मिलना—बदली नहीं है। बदलाव दस्तावेजों की सूची, बच्चों के बायोमेट्रिक के समय नियम, और जन्मतिथि अपडेट जैसे संवेदनशील हिस्सों में हुए हैं।
ग्रामीण/दूरदराज इलाकों के परिवारों के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि गांव/ब्लॉक स्तर पर चलने वाले स्थायी या कैंप-आधारित केंद्रों की जानकारी स्थानीय प्रशासन से पहले ही ले लें। ऐसे परिवार जिनके बच्चे 5 की उम्र के पास पहुंच रहे हैं, वे स्कूल/आंगनवाड़ी से भी पूछताछ करें—कई बार स्थानीय स्तर पर सामूहिक अपडेशन कैंप की सूचना वहीं लगाई जाती है।
ध्यान रहे, रद्द या निष्क्रिय आधार का असर सिर्फ एक कार्ड पर नहीं पड़ता—यह बैंक KYC, छात्रवृत्ति, सरकारी सब्सिडी, पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, और सिम वेरीफिकेशन तक असर डाल सकता है। इसलिए MBU की समयसीमा चूकना महंगा पड़ सकता है।
क्या ऑनलाइन कुछ किया जा सकता है? केंद्र जाने से पहले आप केंद्र का पता, संभावित समय, और आवश्यक दस्तावेजों की सूची ऑनलाइन देखकर तैयार हो सकते हैं। अगर बच्चे का नाम/पता जैसी कुछ जनसांख्यिकीय जानकारी बदलनी हो, तो कई मामलों में पहले से दस्तावेज अपलोड कर देना भी प्रक्रिया को तेज करता है—हालांकि अंतिम सत्यापन और बायोमेट्रिक के लिए केंद्र जाना ही होगा।
संक्षेप में, Aadhaar Rules 2025 ने बच्चों के लिए बायोमेट्रिक अपडेट को समयबद्ध और अनिवार्य बना दिया है, और 0–18 आयु में जन्मतिथि अपडेट के लिए जन्म प्रमाणपत्र को केंद्र में रखा है। NRI बच्चों के नामांकन में भारतीय पासपोर्ट को पहचान का एकमात्र निर्णायक दस्तावेज माना गया है। परिवारों को अब हर कदम पर दस्तावेजों की शुद्धता, स्पेलिंग की एकरूपता और समयसीमा का पालन करना होगा—वरना आधार निष्क्रिय होने का जोखिम बना रहेगा।
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