अभिमन्यु ईश्वरन, जो कि भारतीय क्रिकेट के उभरते हुए सितारे हैं, ने ऑस्ट्रेलिया ए टीम के खिलाफ अपना 100वां प्रथम श्रेणी मैच खेल कर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया। बंगाल टीम के इस ओपनर ने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिस पर हर क्रिकेट प्रेमी गर्व कर सकता है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले इस ऐतिहासिक उपलब्धि से उनका नाम विश्व क्रिकेट जगत में गूंजने लगा है।
अभिमन्यु ईश्वरन का क्रिकेट करियर हमेशा से शानदार रहा है। उनके खेल की शुरुआत उनके पिता, रंगनाथन परमेश्वरन ईश्वरन के जुनून से प्रेरित होकर हुई। उनके पिता ने अपने बेटे के खेल के प्रति जुनून के चलते 'अभिमन्यु क्रिकेट अकैडमी स्टेडियम' की स्थापना की, जहां उन्होंने अपने करियर का 100वां प्रथम श्रेणी मैच खेला। यह एक अनूठी उपलब्धि है, क्योंकि ऐसा विरला होता है जब किसी सक्रिय भारतीय घरेलू क्रिकेटर के नाम पर स्टेडियम बने और वह वहां प्रतियोगिता में हिस्सा ले।
अभिमन्यु के खेल पर उनके कोच लक्ष्मी रतन शुक्ला का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। शुक्ला का कहना है कि ईश्वरन एक अत्यंत व्यावहारिक खिलाड़ी हैं, जो हमेशा खेल को जीतने पर केंद्रित रहते हैं। उनकी यह विशेषता उन्हें एक बेहतर खिलाड़ी बनाती है और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में मदद कर सकती है।
ईश्वरन ने अपने करियर के इस पड़ाव पर कई चुनौतियों का सामना किया, पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका खेल हमेशा उनके अनुशासन, संघर्ष और अभ्यास का प्रमाण रहा है। हर बार जब वे मैदान में उतरते हैं, वे अपने आप को एक नए, उन्नत स्तर पर ले जाते हैं। यह उनके खेल के प्रति उनकी समर्पण की भावना है जिसे भारतीय क्रिकेट संघ ने भी पहचाना है।
अभिमन्यु के इस सफलता के बाद सवाल यह उठता है कि आगे की राह कैसी होगी। भारत की घरेलू क्रिकेट में उनका प्रभाव और कप्तानी कौशल उन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए संभावित उम्मीदवार बनाता है। जबकि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उनकी भागीदारी अभी तय नहीं है, लेकिन उन्हें इससे पहले टीम इंडिया में जगह बनाने का मजबूत अवसर मिल सकता है।
ईश्वरन का इस उपलब्धि की दिशा में सफर न केवल उनके बल्कि उनके पिता रंगनाथन परमेश्वरन ईश्वरन के लिए भी गर्व का विषय है। यह उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने सपनों को पूरा करने में समर्पित हैं। उम्मीद है कि ईश्वरन का यह प्रयास जारी रहेगा और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय क्रिकेट का नाम रोशन करेंगे।
उनकी यह यात्रा क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा है और भारतीय क्रिकेट के भविष्य में उनके नाम का अटूट स्थान सुनिश्चित करती है।
Rakesh Varpe
1 11 24 / 11:54 पूर्वाह्न100वां मैच और शतक। बस इतना ही काफी है।
Girish Sarda
3 11 24 / 02:54 पूर्वाह्नअभिमन्यु के पिता ने स्टेडियम बनवाया और बेटा उसी पर मैच खेल रहा है। ये तो सच में दिल छू लेने वाली कहानी है।
Garv Saxena
4 11 24 / 08:09 पूर्वाह्नये सब गर्व करने की बात है लेकिन असली सवाल ये है कि जब तक तुम्हारा नाम स्टेडियम पर लिखा है तब तक तुम्हारी टीम ने कितने खिलाड़ियों को निकाल दिया? क्या ये एक असली उपलब्धि है या बस एक बड़ा फैंटेसी? जब तक तुम टेस्ट में 50 रन नहीं बनाते तब तक ये सब बस एक गांव की शान है।
Rajesh Khanna
6 11 24 / 02:49 पूर्वाह्नअभिमन्यु की मेहनत देखकर लगता है कि अगर हर बच्चा इतना लगन से खेले तो भारत क्रिकेट का दुनिया में नाम रोशन कर देगा। इस तरह के खिलाड़ियों को सलाह नहीं चाहिए, बस समर्थन चाहिए।
Sinu Borah
7 11 24 / 22:46 अपराह्नये सब बहुत अच्छा लगा लेकिन क्या कोई जानता है कि ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ 100वां मैच खेलना कितना मुश्किल है? ये टीम तो दूसरी श्रेणी की है। अगर तुम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में 50 रन बनाते तो तब बात होती। ये सब बस घरेलू फेसबुक वाली कहानी है।
Sujit Yadav
8 11 24 / 08:51 पूर्वाह्नक्या आपने देखा कि उनके बल्ले की लंबाई 92.3 सेमी है? और उनकी फुटवर्क की गति 4.2 मीटर/सेकंड है? ये आंकड़े जानकर आप समझ जाएंगे कि ये खिलाड़ी नहीं, एक इंजीनियरिंग मैग्नीफाइसेंट है। जिन्होंने इसे नहीं देखा, वो जीवन में कुछ नहीं देखा।
Kairavi Behera
10 11 24 / 02:46 पूर्वाह्नअभिमन्यु के लिए बस एक बात याद रखना है - बल्लेबाजी में शांति और धैर्य सबसे बड़ा हथियार है। जब तक तुम अपने खेल पर विश्वास रखोगे, दुनिया तुम्हारा इंतजार करेगी। बस खेलते रहो।
Aakash Parekh
10 11 24 / 04:06 पूर्वाह्न100 मैच? बस एक नंबर है। अगर तुम्हारे औसत 35 से ऊपर नहीं है तो ये कोई उपलब्धि नहीं है।
Sagar Bhagwat
10 11 24 / 16:07 अपराह्नहे भाई, अभिमन्यु तो बहुत अच्छा खेल रहा है। लेकिन अगर वो ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलता तो तब तो दुनिया हिल जाती।
Jitender Rautela
12 11 24 / 15:29 अपराह्नअरे भाई, ये तो बहुत बड़ी बात है। अभिमन्यु ने अपने पिता के स्टेडियम पर 100वां मैच खेला? ये तो बहुत बड़ा अवसर था। अब तो उन्हें टीम इंडिया में जगह देनी ही पड़ेगी। अगर नहीं दी तो फेडरेशन को बदलना पड़ेगा।