भारत के टी20 इतिहास में पहली बार किसी गेंदबाज ने विकेटों की सेंचुरी पूरी कर दी। 25 साल के लेफ्ट-आर्म सीमर अर्शदीप सिंह ने अबू धाबी में ओमान के खिलाफ एशिया कप के ग्रुप ए मुकाबले के आखिरी ओवर की पहली गेंद पर विनायक शुक्ला को शॉर्ट बॉल से फंसाया—मिड-विकेट पर रिंकू सिंह (सब्स्टीट्यूट) ने कैच लपका और उसी पल रिकॉर्ड बन गया। इस विकेट के साथ अर्शदीप ने 100 T20I विकेट पूरे किए।
यह कारनामा उन्होंने महज 64 मैचों में किया—दुनिया में चौथे सबसे तेज और तेज गेंदबाजों में सबसे तेज। इस लिस्ट में सबसे ऊपर अफगानिस्तान के राशिद खान हैं (53 मैच), फिर नेपाल के संदीप लामिछाने और श्रीलंका के वानिंदु हसरंगा (दोनों 63 मैच)। पाकिस्तान के हारिस रऊफ ने 71 मैच लिए थे—अर्शदीप ने उन्हें पीछे छोड़ा।
सिर्फ गति नहीं, उनकी सटीक लंबाई और कोण काम आई। मैच की स्थिति—डेथ ओवर्स, फील्ड फैली हुई, और बैटर ताबड़तोड़ रन चाह रहे थे—ऐसे में शॉर्ट बॉल पर प्लान्ड ट्रैप उनकी सोच दिखाता है। यही उनकी खासियत है: पावरप्ले में स्विंग, बीच के ओवरों में हार्ड लेंथ, और डेथ में यॉर्कर-शॉर्ट बॉल का कॉम्बो।
अर्शदीप का टी20I रिकॉर्ड भी दमदार है—100 विकेट औसत 18.49 और स्ट्राइक रेट 13.34 पर। गेंद-ब-द-गेंद विकेट लेने का यह रेट, 100-विकेट क्लब में दूसरे नंबर का बॉल्स-पर-विकेट अनुपात देता है। उनका बेस्ट फिगर 4/9 रहा है, जो बताता है कि वे एक स्पेल में मैच की दिशा बदल सकते हैं।
दिलचस्प है कि उन्होंने यह मील का पत्थर डेब्यू के तीन साल बाद हासिल किया। एशिया कप की शुरुआती दो भिड़ंतों में वे प्लेइंग-11 में नहीं थे—टीम मैनेजमेंट ने स्पिन-हेवी कॉम्बिनेशन के साथ जसप्रीत बुमराह को अकेले फ्रंटलाइन पेसर रखा। ओमान के खिलाफ मौका मिला, और उन्होंने इसे यादगार बना दिया।
भारत के पास लंबे समय से दाएं हाथ के प्रीमियम पेसरों की रीढ़ रही है—जसप्रीत बुमराह इसका चेहरा हैं। अर्शदीप उसी सिस्टम में लेफ्ट-आर्म एंगल जोड़ते हैं, जो बिल्कुल अलग चैलेंज खड़ा करता है। दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए गेंद पैड की तरफ आती है, आउटस्विंग और एंगल्ड-सीम दोनों काम करते हैं; लेफ्ट-हैंडर के खिलाफ ऑफ-स्टंप के बाहर से हार्ड लेंथ और बाउंसर बेहतर असर दिखाते हैं। यही विविधता टी20 में सोना है।
डेथ ओवर्स में उनकी भूमिका सबसे कीमती है। यॉर्कर मिस हुए तो शॉर्ट-बॉल ट्रैप, फील्डिंग पोजिशन के साथ कंट्रोल्ड रिस्क—यह पैटर्न उनके ओवरों को पढ़ना मुश्किल बनाता है। ओमान के खिलाफ 100वां विकेट भी इसी माइंडसेट से आया—हिटर शॉट के लिए तैयार, पर लेंथ पर धोखा।
बात सिर्फ रिकॉर्ड की नहीं, टाइमिंग की भी है। एशिया कप के नॉकआउट्स सामने हैं। बुमराह-हार्दिक-अर्शदीप का त्रिकोण स्पिनर-हेवी शर्तों पर भी संतुलन देता है—नई गेंद से स्विंग, बीच में हार्ड लेंथ, और आखिर में डेथ कंट्रोल।
उसी शाम एक और नंबर बना: हार्दिक पंड्या ने हम्माद मिर्जा (51) को शॉर्ट-बॉल ट्रैप से छकाते हुए अपना 96वां टी20I विकेट लिया और युजवेंद्र चहल की बराबरी कर ली। भारत के लिए 90+ विकेट वाले गेंदबाजों में अब युजी चहल (96), हार्दिक पंड्या (96), जसप्रीत बुमराह (92) और भुवनेश्वर कुमार (90) हैं। कुल लीडरबोर्ड पर अफगानिस्तान के राशिद खान 173 विकेट के साथ टॉप पर बने हुए हैं—यह बेंचमार्क दिखाता है कि 100 का आंकड़ा पार करना कितना मुश्किल और कितनी निरंतरता मांगता है।
अर्शदीप की यात्रा आईपीएल के डेथ-ओवर स्कूल से होकर गुजरी है—पंजाब किंग्स के लिए शुरू से कड़े ओवर फेंकते हुए उन्होंने बल्लेबाजों को पीछे धकेलना सीखा। वहीं से मिली हिंमत और स्किल ने इंटरनेशनल लेवल पर उन्हें भरोसा दिया कि मुश्किल ओवरों में भी प्लान-बी और प्लान-सी मौजूद रहें।
टीम कॉम्बिनेशन की नजर से देखें तो यह माइलस्टोन चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट को और स्पेस देता है। अगर पिच स्पिनर्स के लिए मददगार है, तब भी एक लेफ्ट-आर्म पेसर जो नई गेंद और डेथ दोनों संभाल सके—यह दुर्लभ पैकेज है। इससे बुमराह को नए-पुराने ओवरों के बीच फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है, जबकि हार्दिक अपने दो-तीन ओवर हिटर-हिटर कॉम्बैट में लगा सकते हैं।
रिकॉर्ड के बाद अगला सवाल हमेशा यही होता है—अब आगे क्या? सच ये है कि टी20 में फॉर्म तेजी से ऊपर-नीचे जाता है। अर्शदीप के लिए कुंजी वही रहेगी जो अब तक उन्हें यहां लाई है: सादगी भरी प्लानिंग, लेंथ पर भरोसा, और दबाव में शांत रहना। 100 का आंकड़ा सिर्फ माइलस्टोन नहीं, यह बताता है कि वे तीनों फेज़—पावरप्ले, मिड और डेथ—में विकेट लेने की आदत बना चुके हैं। भारत के लिए यही सबसे बड़ी जीत है।
एक टिप्पणी छोड़ें