अशाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: दुर्गा के छिपे रूपों का नौ‑दिवसीय पूजा

अशाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: दुर्गा के छिपे रूपों का नौ‑दिवसीय पूजा

गुप्त नवरात्रि क्या है?

‘गुप्त’ शब्द का अर्थ होता है छिपा या रहस्यपूर्ण। अशाढ़ माह में जब बरसात की बूँदें धरती पर शीशे की तरह गिरती हैं, तब ही इस विशेष नवरात्रि की शुरुआत होती है। आम तौर पर बड़े पर्दे पर चलाई जाने वाली चैत्र और शरद नवरात्रियों से अलग, गुप्त नवरात्रि का ध्यान बाहरी जलसेलों या सज्जा‑सज्जा पर नहीं, बल्कि भीतर की आध्यात्मिक यात्रा पर रहता है। यह उत्सव मुख्यतः तांत्रिक साधकों, योगियों और उन लोगों के लिए है जो शांति, शक्ति और आत्म‑साक्षात्कार की तलाश में हैं।

इस साल गुप्त नवरात्रि 2025 का शुभारंभ गुप्त नवरात्रि 2025 के रूप में 26 जून को हुआ, जब घटस्थापन मुहुरत (5:47 AM‑10:15 AM) में प्रथम दिन की आरती हुई। इस समय को ‘प्रात्र क़ाल’ कहा जाता है, यानी दिन के प्रथम भाग में देवता की आराधना करने का विशेष महत्व है।

नव दिवस, नव रूप: प्रत्येक दिन का महत्व

गुप्त नवरात्रि में नौ दिन, नौ दुर्गा रूप—दस महाविद्या—के लिए समर्पित होते हैं। हर दिन की पूजा में विशेष मंत्र, कथा और उपवास का पालन किया जाता है। नीचे सरल सूची में हर दिन का विवरण दिया गया है जिससे पाठक आसानी से समझ सके कि कौन‑सी देवी को कब सम्मानित किया जाता है:

  • पहला दिवस (26 जून) – माँ काली: घटस्थापन के साथ शुरू होने वाला पहला दिन काली देवी को समर्पित है। काली शक्ति और भयानकता की प्रतीक है, जो भीतर के सभी नकारात्मक भावों को नष्ट करती है।
  • दूसरा दिवस (27 जून) – माँ तारा
  • तीसरा दिवस (28 जून) – माँ शोदशी (ललिता त्रिपुरसुंदरी)
  • चौथा दिवस (29 जून) – माँ भुवनेश्वरी
  • पाँचवाँ दिवस (30 जून) – माँ चंडिका
  • छठा दिवस (1 जुलाई) – माँ भूमिडा
  • सातवाँ दिवस (2 जुलाई) – माँ कुबेरा
  • आठवाँ दिवस (3 जुलाई) – माँ शक्तिमाता
  • नौवाँ दिवस (4 जुलाई) – माँ महाकाली (भविष्य में दुर्योधन का अंत)

हर दिन की आराधना में ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘देवी महात्म्य’ और ‘श्रीमद‑देवी भागवत’ जैसी ग्रन्थों का पाठ किया जाता है। यह पाठ न केवल मन को शांत करता है, बल्कि देवी के असीम शक्ति को भी महसूस कराता है।

गार्डन के अंत में बरसात की पहली बूँदें गिरने पर कई लोग ‘अभिजित मुहुरत’ (12:02 PM‑12:56 PM) में ध्यान करते हैं, मानते हुए कि यह समय देवी का सर्वाधिक अनुग्रह प्राप्त करने का उत्तम अवसर है।

नवरात्रि के अन्त में 4 जुलाई को पराना (समापन) किया जाता है, जो 4:31 PM के बाद श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन अक्सर अंतिम उपवास तोड़कर हल्का भोजन किया जाता है और सभी को प्रसाद बांटा जाता है।

समग्र रूप से इस गुप्त नवरात्रि का लक्ष्य केवल बाहरी भौतिक वस्तुएँ नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि, आत्म‑विश्वास और जीवन में आने वाले बाधाओं से मुक्ति है। यह नौ‑दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा उन लोगों के लिए अनमोल है जो अपने भीतर की देवी को जागृत करना चाहते हैं।

एक टिप्पणी छोड़ें