नेरज पांडे निर्देशित फिल्म 'Auron Mein Kahan Dum Tha' एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसमें अजय देवगन और तबु मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में कृष्णा (अजय देवगन) और वसुंधा (तबु) की कहानी दिखाई गई है, जिनकी प्रेम कहानी के कई मोड़ और उतार-चढ़ाव हैं। कहानी की शुरुआत वर्तमान समय से होती है, जहां कृष्ण जेल में है और वसुंधा अभिजीत (जिमी शेरगिल) से शादी कर चुकी है। फ्लैशबैक के जरिए कहानी को विस्तार से दिखाया गया है। वसुंधा और कृष्णा के युवावस्था की भूमिका शान्तनु माहेश्वरी और साईं मांजरेकर ने निभाई है।
फिल्म में अजय देवगन और तबु ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। दोनों के बीच की कैमिस्ट्री कमाल की है और जाहिर करती है कि दोनों कलाकार एक-दूसरे के संग कितने सहज हैं। जिमी शेरगिल की मामूली भूमिकाएँ होने के बावजूद, उन्होंने अपने अभिनय से छाप छोड़ी है। हालांकि फिल्म की धीमी गति और कमजोर क्लाइमेक्स के कारण पूरी कहानी में एक ठहराव सा लगता है।
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहद सशक्त है। हर सीन बारीकी से फिल्माया गया है, जो दर्शकों को पर्दे पर बंधे रखता है। हालांकि, धीमी गति के कारण फिल्म के कई हिस्से दर्शकों को उबाऊ लग सकते हैं।
कहानी का सबसे बड़ा कमजोर पक्ष है इसका धीमा संचालन और स्पष्ट समापन की कमी। फिल्म की शुरुआत एक रहस्य के साथ होती है, जो अंत तक बना रहता है। हालांकि, दर्शक अंत में एक संतोषजनक निष्कर्ष की उम्मीद करते हैं, लेकिन यही वह जगह है जहां फिल्म चूक जाती है। क्लाइमेक्स में जो समापन मिलना संभव था, वह दर्शकों को अधूरा महसूस कराता है।
अजय देवगन ने हमेशा की तरह अपने किरदार को गंभीरता से निभाया है और उनके चेहरे के भाव उनके अंदरूनी संघर्षों को बखूबी दर्शाते हैं। वहीँ, तबु ने भी अपने किरदार में एक दुर्लभ संयम दर्शाया है, जो उनकी प्रतिभा का परिचायक है। इसके अलावा, फिल्म में जिमी शेरगिल का कैमियो भी यादगार है। हर कलाकार ने अपने हिस्से का न्याय करने की कोशिश की है, लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरियों ने कहीं ना कहीं उन्हें सीमित कर दिया है।
फिल्म के संवाद कहीं-कहीं बहुत तीखे और प्रभावशाली हैं। लेकिन यह भी सच है कि कई जगहों पर संवाद दर्शकों तक अपनी पूरी शक्ति से नहीं पहुँच पाते। नेरज पांडे का निर्देशन सधा हुआ है और उन्होंने हर सीन को बहुत प्राथमिकता और सटीकता से फिल्माया है। हालांकि, निर्देशन की उत्कृष्टता को कहानी की धीमी गति और मजबूर Climax ने कम कर दिया है।
‘Auron Mein Kahan Dum Tha’ एक प्रभावशाली प्रेम कहानी हो सकती थी यदि कहानी का संचालन थोड़ा अधिक तरल और क्लाइमेक्स संतोषजनक होता। अजय देवगन और तबु के कमाल के प्रदर्शन के बावजूद फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट और धीमी गति ने दर्शकों को पूरी तरह से बांधे रखने में मजबूर किया। सिनेमेटोग्राफी और निर्देशन की प्रशंसा की जा सकती है, लेकिन अंत में वही बात रह जाती है कि क्या पूरी फिल्म देखकर दर्शक संतुष्ट होते हैं, जिसका जवाब शायद नकारात्मक हो सकता है।
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