बहराइच में साम्प्रदायिक हिंसा के आरोप में गिरफ्तार 5, मुठभेड़ में 2 घायल

बहराइच में साम्प्रदायिक हिंसा के आरोप में गिरफ्तार 5, मुठभेड़ में 2 घायल

बहराइच में साम्प्रदायिक हिंसा और पुलिस मुठभेड़

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में साम्प्रदायिक हिंसा के मामले में पांच गिरफ्तारियों ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता बढ़ा दी है। घटना के पीछे का विवाद रविवार को दुर्गा पूजा विसर्जन जुलूस के दौरान भड़का। जब यह जुलूस एक धार्मिक स्थल के समीप पहुंचा तो जुलूस में बजाए जा रहे तेज संगीत से विवाद का आरंभ हुआ। इसके आगे कहानी हिंसा में बदल गई।

इस घटना के दौरान, जब जुलूस के भाग ले रहे राम गोपाल मिश्रा, जो सिर्फ 22 वर्ष के थे, गोली लगने से घायल हो गए और उनकी मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना ने स्थानीय क्षेत्र में भारी अशांति और क्रोधित भीड़ के गुस्से को भड़काया, जिसने वहां के कई घरों, दुकानों, अस्पतालों और वाहनों को नुकसान पहुंचाया।

मुठभेड़ में शामिल पुलिस की कार्रवाई

इस घटना से जुड़ी गिरफ्तारियों में गांव के मोहम्मद फहीम, मोहम्मद सरफराज और अब्दुल हामिद मुख्य आरोपी घोषित किए गए थे। इनके साथ मोहम्मद तालीम और मोहम्मद अफ़ज़ल भी पुलिस की गिरफ्त में आए। पुलिस निदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि इन अशांत दिनों के बाद पुलिस ने कड़ी निगरानी के तहत तालीम और फहीम को पकड़ा।

पकड़े गए आरोपियों से घटना में इस्तेमाल किए गए हथियार को बरामद करने की कोशिश में, पुलिस टीम ने जैसे ही अफजल, सरफराज और हामिद के निवासों की तलाशी शुरू की, उन्हें बंदूकधारियों का सामना करना पड़ा। इसके जवाबी कार्रवाई में, पुलिस की फायरिंग से सरफराज और तालीम घायल हो गए। घटना में शामिल सभी आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

स्थानीय और राजनीतिक प्रतिक्रिया

स्थानीय और राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मचा दी। विपक्ष ने इस अवसर का इस्तेमाल सरकार पर हमले के लिए किया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को सरकार की 'विफलता' करार दिया। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह घटना सरकार के सुरक्षा उपायों की विफलता का प्रतीक है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी इस मुठभेड़ को 'फर्जी' करार दिया।

गिरफ्तारियों की पुष्टि करते हुए विशेष कार्य बल के एडिशनल डायरेक्टर जनरल अमिताभ यश ने बताया कि मुठभेड़ में दो व्यक्ति घायल हुए और चार दिन की भागमभाग के बाद एक जांच की पहल हुई। पुलिस प्रशासन ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने की कोशिश की है।

स्वास्थ्य हालत और इलाज

घायलों को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज बहराइच मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। बहराइच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी संजय कुमार शर्मा ने स्पष्ट किया कि मृतक राम गोपाल मिश्रा की मृत्यु अत्यधिक खून बहने से हुई थी। उनके शरीर पर 25-30 गोलियों के निशान थे, जो इस घटना की गंभीरता को दर्शाता है।

इस मामले में जहां न्यायिक कार्रवाई चल रही है, वहीं कानून-व्यवस्था की स्थिति पर समाधान की आवश्यकता पर जोर देने वाले आवाजें बुलंद हो रही हैं। ऐसी घटनाएँ समाज में शांति और सौहार्द को प्रभावित करती हैं, और यह समय की मांग करती हैं कि सभी समुदाय हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों। इसके साथ ही, जनता और प्रशासन के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में भी ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।

टिप्पणि (14)

  • vishal singh

    vishal singh

    19 10 24 / 13:22 अपराह्न

    ये सब बस राजनीति का खेल है। एक छोटी सी बहस बढ़ाकर पूरा जिला जला दिया गया। पुलिस ने मुठभेड़ का बहाना बनाया ताकि लोगों का ध्यान भाग्य के बजाय उनकी बर्बरता पर जाए।

  • Karan Kacha

    Karan Kacha

    20 10 24 / 23:59 अपराह्न

    अरे भाई, ये जो हुआ वो सिर्फ एक घटना नहीं, ये तो एक बड़ी चेतावनी है! हमारे समाज में जब एक तरफ दुर्गा पूजा का जुलूस है तो दूसरी तरफ बंदूकें तैयार हैं! बच्चे डर गए, दुकानें जल गईं, एक 22 साल का लड़का जिंदा जिंदा गोलियों से भर गया! और फिर पुलिस कहती है 'मुठभेड़'! क्या हम सब इतने अंधे हो गए हैं कि असली बात को देखने की जगह बस शब्दों का खेल खेलने लगे? ये न्याय नहीं, ये बर्बरता है! और फिर भी कोई नहीं बोलता, क्यों? क्योंकि सबको लगता है कि 'ये तो दूसरे का मामला है'! लेकिन भाई, अगर आज ये हमारे पड़ोस में हुआ, तो कल ये हमारे घर पर क्यों नहीं हो सकता? जब तक हम एक दूसरे को इंसान नहीं समझेंगे, तब तक ये घटनाएं बस बढ़ती रहेंगी! और ये सब राजनीतिक नेता भी अपने वोट के लिए आग लगा रहे हैं! अब तो सबको अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी! नहीं तो अगली बार हम सबका नाम खबरों में आएगा! और फिर कौन सुनेगा? कौन रोएगा? कौन बदलेगा?!

  • mohit SINGH

    mohit SINGH

    22 10 24 / 14:22 अपराह्न

    मुठभेड़ बस एक ढोंग है! पुलिस ने बंदूक चलाई और फिर बोली 'वो हम पर हमला कर रहे थे!' अरे भाई, ये तो एक तरह का राजनीतिक अपराध है! जिसने भी ये किया, उसे सजा चाहिए, न कि प्रशंसा!

  • Preyash Pandya

    Preyash Pandya

    22 10 24 / 22:06 अपराह्न

    लोगों को ये सब अच्छा लगता है क्योंकि अब तो हर कोई अपने धर्म के नाम पर लड़ रहा है 😒 और पुलिस भी अब न्याय की जगह राजनीति की तलवार बन गई है 💥 अब तो बस इंतजार है कि अगली बार किसकी बारी होगी 😕

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    24 10 24 / 11:08 पूर्वाह्न

    मैं बहराइच से हूँ, यहाँ के लोग असल में शांतिप्रिय हैं। ये घटना एक छोटी बहस का बड़ा नतीजा है। मैंने खुद देखा है कि जुलूस के बाद लोग एक दूसरे को चाय पर बुलाते हैं, लेकिन जब एक बार अलग-अलग गुट बन जाते हैं, तो तनाव बढ़ जाता है। पुलिस की जल्दबाजी ने बात और बिगाड़ दी। अगर थोड़ा धैर्य होता, तो ये तबाही नहीं होती। अब बात ये है कि अगली बार कैसे इसे रोकें? न तो लोग अपने आप को बहुत बड़ा समझें, न ही अधिकारी अपने अधिकार का दुरुपयोग करें। शांति के लिए दोनों तरफ से समझ जरूरी है। और हाँ, राम गोपाल की मौत बहुत दुखद है। उसकी आत्मा को शांति मिले।

  • Priyanka R

    Priyanka R

    25 10 24 / 03:41 पूर्वाह्न

    ये सब एक बड़ी साजिश है! पुलिस ने खुद बंदूकें छिपाई थीं और फिर बोला 'मुठभेड़'! अब तो सब जानते हैं कि ये सरकार का योजनाबद्ध तरीका है लोगों को डराने का! राम गोपाल की मौत भी तैयार की गई थी! 😱 क्या आपने कभी सोचा कि वो 25 गोलियाँ कहाँ से आईं? ये नहीं कि पुलिस ने बस एक बार फायर किया, ये तो एक नियोजित नरसंहार था! 🕵️‍♀️

  • Rakesh Varpe

    Rakesh Varpe

    26 10 24 / 18:01 अपराह्न

    मौत गंभीर है। जांच जरूरी है।

  • Girish Sarda

    Girish Sarda

    27 10 24 / 05:14 पूर्वाह्न

    क्या ये सच में सिर्फ तेज संगीत की वजह से हुआ? ये बहुत छोटी बात लगती है। क्या कोई और कारण भी हो सकता है? क्या लोगों के बीच पहले से ही तनाव था? क्या पुलिस ने इसे नियंत्रित करने के बजाय बढ़ाया?

  • Garv Saxena

    Garv Saxena

    28 10 24 / 01:02 पूर्वाह्न

    क्या हम वाकई ये भूल गए हैं कि इंसान इंसान के लिए नहीं, धर्म के लिए मरता है? ये घटना सिर्फ बहराइच की नहीं, ये हमारे समाज की मौत है। जब हम अपने विश्वास को दूसरों के ऊपर थोपने लगे, तो अपने आप को खो दिया। राम गोपाल की मौत का दर्द तो एक है, लेकिन ये सवाल बहुत बड़ा है: क्या हम अपने धर्म को जीने के लिए दूसरे को मारने के लिए तैयार हैं? क्या हम भगवान के नाम पर शैतान का काम कर रहे हैं? अगर हमारा धर्म हिंसा को बढ़ावा देता है, तो फिर वो धर्म है ही नहीं। ये तो एक भ्रम है। और इस भ्रम को तोड़ने के लिए न तो पुलिस की गोलियाँ, न ही राजनीतिक बयानबाजी काम आएगी। बस एक बात चाहिए: इंसानियत।

  • Rajesh Khanna

    Rajesh Khanna

    28 10 24 / 19:31 अपराह्न

    हालात बहुत खराब हैं, लेकिन अब तो हमें एक दूसरे के साथ बात करनी चाहिए। ये सब बंदूकों और राजनीति से नहीं, बल्कि दिलों से बदल सकता है। एक चाय के लिए बैठ जाएँ, बात करें। शायद तब ये घटनाएँ दोबारा न हों। 🤝

  • Sinu Borah

    Sinu Borah

    30 10 24 / 19:09 अपराह्न

    अरे यार, ये तो हर बार होता है! एक जुलूस, एक आवाज, एक गोली और फिर खबरें चल जाती हैं! लोग तो बस एक दूसरे को देखकर गुस्सा हो जाते हैं, और पुलिस भी उन्हें बाहर निकालने के बजाय अपने लिए एक बड़ा अवसर बना लेती है! अब तो हर बार एक नया मुठभेड़ बन जाता है, जिससे लोग बात करने की बजाय अपने गुस्से को बाहर निकालने लगते हैं! और फिर कोई नहीं सोचता कि ये सब क्यों हो रहा है! बस बहाना बनाते रहो, और अगली बार भी वही होगा!

  • Sujit Yadav

    Sujit Yadav

    30 10 24 / 23:13 अपराह्न

    इस घटना में न्याय की अवधारणा ही विकृत हो गई है। पुलिस की कार्रवाई अत्यधिक अनियंत्रित और अनुचित थी। एक नागरिक की जान लेने के लिए बंदूक चलाना, भले ही वह आरोपी हो, एक अपराध है। यह एक नियमित प्रक्रिया का उल्लंघन है, और इसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग किया गया है। इस तरह की घटनाओं के लिए एक स्वतंत्र जांच आवश्यक है, न कि राज्य के अंदरूनी निर्णय। यह एक अपराध है जिसका उत्तर न्याय से ही दिया जा सकता है।

  • Kairavi Behera

    Kairavi Behera

    1 11 24 / 19:15 अपराह्न

    ये बहुत दुखद है। लेकिन हम इसे बदल सकते हैं। अगर हम अपने बच्चों को एक दूसरे को समझना सिखाएं, तो ऐसी बातें दोबारा नहीं होंगी। एक छोटा सा दोस्त, एक छोटा सा बातचीत, और ये सब बदल सकता है। ❤️

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    1 11 24 / 23:07 अपराह्न

    करन भाई, तुमने बहुत सही कहा। मैंने अपने गांव में एक बार देखा था, एक मुस्लिम पड़ोसी ने दुर्गा पूजा के दौरान लोगों को भोजन दिया। उस दिन कोई नहीं बोला कि ये कौन सा धर्म है। बस खाना खाया। शायद इतना ही काफी है।

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