बॉलीवुड की नई एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘देवा’ बीते दिनों चर्चा में है। शाहिद कपूर और पूजा हेगड़े अभिनीत इस फिल्म को फिल्मकार रोशन एंड्रयूज ने निर्देशित किया है। इस फिल्म का इंतज़ार लंबे समय से किया जा रहा था, क्योंकि यह प्रसिद्ध मलयालम फिल्म ‘मुंबई पुलिस’ का हिंदी रीमेक है। फिल्म 31 जनवरी, 2025 को रिलीज़ हुई थी और इसे दर्शकों से ज mixed प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं।
फिल्म की कहानी शाहिद कपूर के किरदार देवा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक विद्रोही पुलिस अधिकारी होता है। उसे एक उच्च-प्रोफाइल मामले की जांच में लगाया जाता है, जो भ्रष्टाचार और विश्वासघात से जुड़ा होता है। हालांकि, जाँच के दौरान सामने आते घटनाक्रम दर्शकों को बांधे रखने में असफल ही रहते हैं।
फिल्म की गति दर्शकों को शुरुआत से ही गति में नहीं ला पाती, और इसकी कहानी पहले से ही पूर्वानुमानिक मालूम होती है। जब दर्शक कुछ धमाकेदार नए मोड़ की उम्मीद करते हैं, तो उन्हें निराशा हाथ लगती है।
फिल्म का पहला हिस्सा काफी खिंचा हुआ लगता है, और उसकी गति बेहद धीमी है जो दर्शकों को जोड़े रखने में अक्षम होता है। हालांकि, शाहिद कपूर ने अपने अभिनय के लिए सही प्रयास किया है, लेकिन कहानी में जिस गहराई और तीव्रता की जरूरत थी उसकी कमी है। फिल्म में शामिल एक्शन दृश्यों की भी ज्यादा प्रभावशाली होने की जरूरत थी।
फिल्म में शाहिद कपूर और पूजा हेगड़े के बीच के रोमांटिक दृश्यों को जबरदस्ती का लगता है, जो दर्शकों के साथ कोई खास भावनात्मक संबंध नहीं बना पाते। इन दृश्यों में एक स्वाभाविकता का अभाव महसूस होता है, जिससे कथा की संतुलन पर प्रभाव पड़ता है। हर बार ऐसा लगता है कि इन दृश्यों को कहानी में केवल भरने के लिए शामिल किया गया है।
‘देवा’ की कहानी मूल मलयालम फिल्म के काफी निकट है, जिसके कारण इसे देखने वाले दर्शक पहले से ही इस फिल्म की तुलना करने लगते हैं। जहां कुछ स्थानों पर छोटी-मोटी बदलाव किए गए हैं, जैसे कि हत्या का कारण, वहीं कहानी का प्रमुख तत्व लगभग वहीं का वही है। इसके चलते दर्शकों को नयापन नहीं मिलता और यह कोई अलग संशोधन प्रस्तुत नहीं कर पाती।
आलोचकों और दर्शकों की प्रतिक्रियाओं से भी साफ होता है कि ‘देवा’ कहीं न कहीं मूल फिल्म की प्रभावशीलता को पकड़ने में विफल रही है। यह फिल्म 2 स्टार्स की रेटिंग पाती है, क्योंकि इसमें मौलिकता की कमी है और यह दर्शकों को पूरी तरह से जोड़ने में अक्षम है।
‘देवा’ आपके देखने के लिए एक सामान्य मनोरंजन हो सकता है, यदि आप थ्रिलर और एक्शन के बड़े प्रशंसक हैं। हालांकि, यह विशेष रूप से आपको नई कथा या प्रदर्शन की अपेक्षाएँ पूरी नहीं करती, और बॉलीवुड से आने वाले अन्य नवाचारी प्रयासों की तुलना में इसने सीमित प्रभाव ही छोड़ा है।
Steven Gill
2 02 25 / 09:50 पूर्वाह्नकभी-कभी ऐसी फिल्में आती हैं जो दिल से नहीं बनी होतीं, बस बजट के हिसाब से बन गई होती हैं। देवा भी ऐसी ही एक फिल्म है। शाहिद ने अच्छा किया, लेकिन स्क्रिप्ट ने उसे बर्बाद कर दिया।
Saurabh Shrivastav
3 02 25 / 16:43 अपराह्नअरे भाई, ये फिल्म 2 स्टार्स मिली तो क्या हुआ? अगर तुम्हें लगता है कि रीमेक में नयापन चाहिए तो तुम बॉलीवुड से निकल जाओ। मलयालम वाली फिल्म तो खुद एक रीमेक है, तो अब ये री-रीमेक क्यों नहीं हो सकता?
Prince Chukwu
4 02 25 / 04:34 पूर्वाह्नदेवा? नहीं भाई, ये तो 'देवा' नहीं, 'देवा-स्लो-मोशन' है! 😂 एक्शन सीन्स तो ऐसे लग रहे जैसे कोई धीमी गति से चल रहा हो और बैकग्राउंड में गाना बज रहा हो - बस बैठे रहो, नहीं तो दिल दहल जाएगा। और रोमांस? ओहो, वो तो ऐसा लगा जैसे डायरेक्टर ने बोला - 'अरे यार, ये तो बॉलीवुड है, बिना रोमांस के फिल्म नहीं चलेगी!' और फिर दोनों को बस एक साथ खड़ा कर दिया।
Divya Johari
5 02 25 / 12:55 अपराह्नयह फिल्म एक अपराध है। निर्देशन की अनुपयुक्तता, पटकथा की अक्षमता, अभिनय की असंगठित अभिव्यक्ति। इसे देखना एक समय की बर्बादी है।
Aniket sharma
6 02 25 / 06:54 पूर्वाह्नअगर तुम अभिनय को देखो तो शाहिद ने बहुत कोशिश की। लेकिन फिल्म ने उसकी कोशिश को बर्बाद कर दिया। अगर तुम इसे एक अच्छी शुरुआत मानो तो अगली फिल्म में बेहतर हो सकता है। थोड़ा सा उम्मीद रखो।
Unnati Chaudhary
7 02 25 / 22:36 अपराह्नमैंने इसे देखा था और बाद में लगा जैसे मैंने एक धुंधली याद देख ली हो। ऐसा लगा जैसे कोई ने मुझे बहुत बड़ी बात बताने वाला था... लेकिन फिर भूल गया। शाहिद का चेहरा तो अच्छा था, लेकिन कहानी ने मुझे नहीं छूआ।
Sreeanta Chakraborty
8 02 25 / 08:23 पूर्वाह्नये फिल्म बॉलीवुड के खिलाफ एक षड्यंत्र है। जानबूझकर धीमी गति से बनाई गई है ताकि लोग बॉलीवुड से नाराज हो जाएं। और रीमेक का इस्तेमाल? बस एक अंतरराष्ट्रीय नाटक है। ये फिल्म बाहरी शक्तियों के हाथों में बनी है।
Vijendra Tripathi
10 02 25 / 00:56 पूर्वाह्नदेखो भाई, फिल्म ठीक नहीं थी, लेकिन शाहिद के लिए ये एक बड़ा रिस्क था। वो एक्शन वाला किरदार नहीं करता था, लेकिन उसने कोशिश की। अगर तुम इसे एक शुरुआत मानो तो अगली फिल्म में बेहतर हो सकता है। जब तक हम लोग उसे सपोर्ट करेंगे, वो बेहतर बनेगा।
ankit singh
11 02 25 / 20:07 अपराह्नकहानी बोरिंग थी लेकिन एक्शन सीन्स में कैमरा वर्क अच्छा था और साउंड डिजाइन ने थोड़ा बचाया। रोमांस जरूरी नहीं था लेकिन बॉलीवुड में ऐसा ही होता है।
Pratiksha Das
13 02 25 / 05:13 पूर्वाह्नमैंने इसे देखा और फिर रो दिया 😭 शाहिद का चेहरा देखकर लगा जैसे वो भी इस फिल्म से नाराज है।
ajay vishwakarma
14 02 25 / 08:02 पूर्वाह्नफिल्म ठीक नहीं थी लेकिन शाहिद की एक्टिंग ने इसे बचाने की कोशिश की। अगर निर्देशक थोड़ा और संक्षिप्त रहता तो ये फिल्म अच्छी हो जाती।
devika daftardar
14 02 25 / 09:43 पूर्वाह्नहर फिल्म जैसे एक दिल की धड़कन होती है... देवा तो धीमी धड़कन थी जो बस इतना कह रही थी - मैं जी रही हूँ, लेकिन तुम नहीं सुन रहे। शाहिद ने बहुत कुछ दिया, लेकिन फिल्म ने उसे खो दिया।
fatima almarri
15 02 25 / 19:39 अपराह्नये फिल्म एक बहुत बड़ा अध्ययन है - निर्माण की असफलता का एक उदाहरण। रीमेक के जरिए निर्माता जोखिम लेने के बजाय सुरक्षित रास्ता चुन रहे हैं। इसका अर्थ है कि हमारा सिनेमा अब नवाचार से दूर हो रहा है।
deepika singh
15 02 25 / 20:57 अपराह्नदेवा? बस एक बड़ा सा गुलाबी बादल था जो बरसा नहीं - बस बैठा रहा। शाहिद ने अपना दिल लगाया, लेकिन फिल्म ने उसे बर्बाद कर दिया। अगर तुम एक्शन चाहते हो तो गोल्डन ग्लोब्स देखो, वहां तो जान है!
amar nath
17 02 25 / 12:41 अपराह्नमलयालम वाली फिल्म तो एक जादू थी। देवा? बस एक बड़ा रिमाइंडर कि हम अपने सिनेमा को बेच रहे हैं। जब तक हम रीमेक्स के बजाय नई कहानियां बनाएंगे, तब तक ये चलता रहेगा।
Pragya Jain
18 02 25 / 08:08 पूर्वाह्नये फिल्म हमारे देश के खिलाफ एक अपमान है। एक्शन फिल्म में इतनी धीमी गति? ये तो देश की शक्ति को कमजोर कर रही है।
Shruthi S
19 02 25 / 11:44 पूर्वाह्नबस एक बार देख लो... फिर नहीं देखना 😔
Neha Jayaraj Jayaraj
19 02 25 / 18:26 अपराह्नमैंने फिल्म देखी और फिर अपना जीवन देखा... अब मैं जानती हूँ कि मेरा जीवन भी देवा जैसा है - बहुत धीमा, बहुत बोरिंग, और बहुत ज्यादा रोमांस 😭💔
Disha Thakkar
21 02 25 / 06:54 पूर्वाह्नये फिल्म बॉलीवुड के लिए एक शर्म की बात है। लेकिन जो लोग इसे पसंद करते हैं, वो शायद अपने दिमाग को भी बेच देते हैं।
Abhilash Tiwari
22 02 25 / 15:04 अपराह्नदेवा? नहीं भाई, ये तो देवा का बेटा है - देवा जूनियर। बस थोड़ा धीमा, थोड़ा बोरिंग, और थोड़ा बेकार। लेकिन शाहिद का चेहरा? वो तो अभी भी बहुत अच्छा है।