यूएई की धीमी, इस्तेमाल हो चुकी पिचें और बड़ी सीमाएं—और अफगानिस्तान ने वही किया जिसकी उम्मीद थी। टीम मैनेजमेंट ने स्पिनरों की पूरी फौज के साथ एशिया कप 2025 के लिए 17 सदस्यीय स्क्वॉड घोषित किया है। टूर्नामेंट 9 से 28 सितंबर तक अबू धाबी और दुबई में खेला जाएगा, और टीम की कमान स्टार ऑलराउंडर राशिद खान के हाथों में है। राशिद की आक्रामक कप्तानी, मैच-अप आधारित फील्ड प्लेसमेंट और मिडल ओवर्स में विकेट लेने की क्षमता, यूएई की परिस्थितियों में अफगानिस्तान की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है।
टीम की रचना साफ है—अनुभव और युवा जोश का मिश्रण, पर रणनीति स्पिन केंद्रित। मोहम्मद नबी, गुलबदीन नैब और करीम जनत जैसे सीनियर नाम स्थिरता देते हैं, तो दूसरी तरफ दर्विश रसूली और सेदीकुल्लाह अतल जैसे खिलाड़ी मिडल ऑर्डर में नई ऊर्जा जोड़ते हैं। टॉप ऑर्डर में रहमानुल्लाह गुरबाज़ और इब्राहिम जादरान की जोड़ी पावरप्ले में तेज शुरुआत दिलाने के लिए जानी जाती है।
सबसे अहम खबर पेस ब्रिगेड में नावीन-उल-हक की वापसी है। दिसंबर 2024 के बाद वे पहली बार अफगानिस्तान की टी20 सेट-अप में लौट रहे हैं। डेथ ओवर्स में उनके बदलाव और हार्ड लेंथ यूएई की सतह पर असर डालते हैं। उनके साथ फजलहक फारूकी नए गेंद से स्विंग और लेफ्ट-आर्म एंगल देते हैं, जबकि फारिद मलिक विविधता जोड़ते हैं। सीम-बॉलिंग ऑलराउंड विकल्प के तौर पर अजमतुल्लाह ओमारज़ई बैलेंस बनाते हैं, खासकर तब जब टीम तीन स्पिनरों के साथ उतरना चाहती हो।
स्पिन डिपार्टमेंट में गहराई लाजवाब है—राशिद खान के अलावा मुजीब उर रहमान पावरप्ले में ऑफ-मैकेनिक्स से विकेट ढूंढते हैं, नूर अहमद की कलाई स्पिन डेथ के नजदीक भी कारगर रही है और शरफुद्दीन अशरफ फिंगर-स्पिन के साथ कंट्रोल देते हैं। चोट से उबरकर लौटे युवा अल्लाह गजनफर को शामिल करना मैनेजमेंट का फॉरवर्ड-लुकिंग फैसला है—नेट्स में उनकी लंबाई और रफ्तार के साथ स्पिन का मिला-जुला असर कोचिंग स्टाफ को पसंद आया है।
अफगानिस्तान की शुरुआत 9 सितंबर को हांगकांग चाइना के खिलाफ होगी। टीम ग्रुप बी में बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ है, जो स्पिन-टू-स्पिन मुकाबलों को और दिलचस्प बनाता है। दूसरी तरफ ग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान, ओमान और मेजबान यूएई हैं। पारंपरिक तौर पर एशिया कप में ग्रुप चरण के बाद नॉकआउट/सुपर फोर स्टेज होता रहा है, और ऐसे में हर मैच की नेट रन रेट और संसाधन प्रबंधन पर सीधी नजर रहेगी।
एशिया कप से ठीक पहले 29 अगस्त से यूएई और पाकिस्तान के साथ टी20 ट्राइ-सीरीज़ तय है—यही असली टेस्टिंग ग्राउंड होगा। यहां टीम अलग-अलग कॉम्बिनेशन आजमा सकती है: क्या गुरबाज़ के साथ इब्राहिम ही ओपन करेंगे या कभी-कभी करीम जनत को पिंच-हिटर के रूप में ऊपर भेजा जाएगा? क्या डेथ पर नावीन के साथ अजमतुल्लाह साझेदारी करेंगे या फिर स्पिन-हेवी डेथ ओवर्स की योजना बनेगी? ये सारे जवाब इसी मिनी-ट्यून-अप से मिलेंगे।
रिजर्व: वाफीउल्लाह तारखील, नंगयालिया खारोते, अब्दुल्लाह अहमदजई। तीनों नाम टीम की तत्काल बैकअप जरूरतों के लिए रखे गए हैं, ताकि किसी भी आखिरी वक्त की चोट या कंडीशन-आधारित बदलाव में विकल्प तैयार रहें।
टॉप ऑर्डर: गुरबाज़ का रोल सीधा है—पावरप्ले में बाउंड्री रेट ऊंचा रखना। इब्राहिम जादरान एंकर की तरह 12-14 ओवर तक इनिंग्स को थाम सकते हैं। अगर टीम को फ्लेक्स चाहिए, तो सेदीकुल्लाह अथवा रसूली को नंबर 3 पर जल्दी भेजकर स्पिन के विरुद्ध आक्रामक खेल कराया जा सकता है।
मिडल और डेथ: अजमतुल्लाह ओमारज़ई की बैटिंग पीक ओवर्स में और नबी का अनुभव डेथ में कमाल करता है। करीम जनत का फिनिशिंग स्ट्राइक-रेट टीम की बेंचमार्किंग लिस्ट में ऊंचा है—यूएई में जहां 160 के आसपास स्कोरों की सुरक्षा दिखती है, वहां 16-20वें ओवर में 35-40 रनों की तेजी मैच पलट देती है। गुलबदीन नैब परिस्थितियों के हिसाब से पावर-हिटर और उपयोगी मध्यम-गति गेंदबाज दोनों रोल निभाते हैं।
स्पिन तिकड़ी: राशिद, मुजीब और नूर—यह कॉम्बो मिडल ओवर्स में 9-12 ओवर तक बेजोड़ नियंत्रण दे सकता है। राशिद आमतौर पर सेट बैटर के खिलाफ भी अटैकिंग फील्ड रखते हैं, जिससे विकेट-रेट बना रहता है। मुजीब पावरप्ले में एक-दो ओवर डालकर विपक्ष की शुरुआत रोकते हैं, और नूर अहमद का वैरिएशन लेट-ओवर्स में स्लॉग शॉट्स पर ब्रेक लगाता है। शरफुद्दीन अशरफ बैकअप के रूप में उन पिचों पर अहम होंगे जहां स्किड कम और ग्रिप ज्यादा मिले।
पेस यूनिट: फजलहक फारूकी नए गेंद से इन-स्विंग और एंगल के साथ शुरुआती विकेट ला सकते हैं। नावीन-उल-हक के बदलाव—स्लोअर डिपर, नकल बॉल—डेथ ओवर्स की कुंजी होंगे। फारिद मलिक वह तीसरा पेस विकल्प हैं जो हार्ड-लेंथ और बाउंस से मिडल ओवर्स में रफ्तार देते हैं। अगर टीम तीन स्पिनरों के साथ उतरती है, तो पेस की जिम्मेदारी इन्हीं तीन पर रहेगी, जिसमें ओमारज़ई चौथे सीमिंग-ओवर कवर करेंगे।
ग्रुप डायनैमिक्स: बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले अक्सर स्पिन-प्रधान रहे हैं, इसलिए पॉवरप्ले की जीत-हार असल फर्क बनाएगी। श्रीलंका के खिलाफ wrist-spin का असर बढ़ता है, पर उनकी डेथ बॉलिंग मजबूत होती है—यहीं नबी-जनत जैसे फिनिशर्स निर्णायक साबित हो सकते हैं। हांगकांग चाइना के खिलाफ अफगानिस्तान कॉम्बिनेशन टेस्ट कर सकता है, पर टी20 में किसी को हल्का लेने की जगह नहीं होती—नेट रन रेट यहां ट्रिगर शब्द है।
फिटनेस और वर्कलोड: अल्लाह गजनफर की वापसी सकारात्मक है, मगर टीम उन्हें क्रमिक तरीके से इस्तेमाल करेगी—दो ओवर के स्पेल, फिर डेथ में एक ओवर जैसा मैनेजमेंट। राशिद और मुजीब की फील्डिंग पोजिशनिंग भी मायने रखेगी, ताकि लंबे टूर के दौरान पीठ और घुटनों पर भार कम रहे।
हालिया फॉर्म की बढ़त: 2024 टी20 विश्व कप में अफगानिस्तान ने न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया पर जीत दर्ज कर सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। उस अभियान ने टीम को बड़े मंच पर खेल खत्म करने का भरोसा दिया। अब यूएई की परिस्थितियां उनके घरेलू-जैसे लगती हैं—यह भी एक मानसिक बढ़त है।
संभावित प्लेइंग XI (कंडीशन के अनुसार बदल सकती है):
कंडीशन प्लेबुक: अबू धाबी में पिच धीमी और दोपहर के गेम में सूखी रहने की प्रवृत्ति दिखाती है—यहां तीन स्पिनर प्लस दो सीमिंग ऑलराउंडर का विकल्प खुलता है। दुबई में शाम के मैचों में ओस का फैक्टर डेथ ओवर्स में फुलर लेंथ और बैक-ऑफ-द-हैंड डिलीवरी की मांग करता है—नावीन की उपयोगिता यहीं बढ़ती है।
एशिया कप का यह संस्करण अगले साल भारत और श्रीलंका में होने वाले टी20 विश्व कप की तैयारियों की रीढ़ है। ट्राइ-सीरीज़ के बाद अगर अफगानिस्तान पावरप्ले स्ट्राइक-रेट और डेथ-ओवर इकॉनमी को स्थिर कर ले, तो यह टीम किसी भी बड़े नाम को उलट सकती है। पहला मुकाबला 9 सितंबर को—यहीं से पता चलेगा कि स्पिन-चालित यह प्लानिंग कागज से मैदान तक कितनी साफ उतरती है।
Prachi Doshi
3 09 25 / 04:59 पूर्वाह्नये स्पिन वाला टीम बनाना तो बहुत समझदारी भरा फैसला है। यूएई की पिचें तो बिल्कुल अफगानिस्तान जैसी हैं। 🙌
Karan Kacha
3 09 25 / 19:36 अपराह्नअरे भाई, ये टीम बनाने वाले कौन हैं? क्या आप लोगों ने कभी सोचा कि राशिद खान को 20 ओवर में 5 ओवर डालने के बाद उसकी बॉलिंग एंगल और रिलीज़ पॉइंट बदल जाता है? और फिर नूर अहमद की कलाई स्पिन को डेथ ओवर्स में लाना? ये तो बिल्कुल राज़िया बेगम के बारे में जैसा है-जब वो अपने बाल बांधकर घूमती थीं, तो लोग समझते थे वो बेचारी है, पर उसकी बांधी हुई चोटी में तो दुनिया की ताकत छिपी हुई थी! ये टीम तो बस एक नाटक है-हर ओवर में एक नया ड्रामा, हर बॉल पर एक नया जादू, और अगर वो जीत जाएंगे तो ये एशिया कप का सबसे बड़ा मैजिकल मोमेंट बन जाएगा! बस एक बात बताओ-क्या गुलबदीन नैब वाला बैटिंग ऑर्डर वाला फॉर्मूला कभी काम करेगा? या फिर वो भी एक और राज़ है जो हम नहीं जानते?
vishal singh
5 09 25 / 03:53 पूर्वाह्नराशिद को कप्तान बनाना बिल्कुल गलत फैसला। उसकी बॉलिंग तो ठीक है पर लीडरशिप? नहीं। नबी या नूर अहमद होते तो टीम ज्यादा स्थिर होती।
mohit SINGH
6 09 25 / 03:03 पूर्वाह्नये सब बकवास है। अफगानिस्तान कभी भी बड़े टूर्नामेंट में नहीं जीत सकता। ये स्पिन वाली टीम बस एक बार फिर खुद को बर्बाद कर देगी। नावीन भी अब बूढ़ा हो गया है। बस एक बार फिर बेहद निराशाजनक होगा।
Preyash Pandya
7 09 25 / 12:27 अपराह्नये स्पिन वाला टीम बनाना तो बिल्कुल जादू जैसा है 😍 लेकिन क्या कोई जानता है कि अगर राशिद का घुटना खराब हो गया तो क्या होगा? 🤔 ये सब फ्लैशी टीम है जो एक मैच में उड़ जाएगी। बस रुको... क्या ये भारत के खिलाफ भी ऐसा ही खेलेगा? 🤫
Raghav Suri
8 09 25 / 05:23 पूर्वाह्नमुझे लगता है ये टीम बनाने का तरीका बहुत समझदारी से किया गया है। अफगानिस्तान के लिए स्पिन पर भरोसा करना एक बड़ा फैसला है पर अगर आप देखें तो ये पिचें तो बिल्कुल उनके घर जैसी हैं। राशिद को कप्तान बनाना भी ठीक है क्योंकि वो खुद बहुत बुद्धिमान हैं और टीम को अच्छे से चला सकते हैं। मुझे लगता है नूर अहमद और मुजीब की जोड़ी बहुत खतरनाक होगी अगर वो एक साथ बोल रहे हों। और अल्लाह गजनफर की वापसी तो बहुत अच्छी खबर है-उसकी लंबाई और रफ्तार से बैट्समैन बहुत परेशान होंगे। मैं तो इस टीम को देखकर बहुत उत्साहित हूँ क्योंकि अगर वो एक बार भी अच्छा खेल दे दें तो दुनिया को ये बता देंगे कि छोटी टीमें भी बड़े सपने देख सकती हैं। बस एक बात-अगर टीम को फिटनेस मैनेजमेंट अच्छे से करना है तो राशिद और मुजीब को ज्यादा ओवर नहीं देना चाहिए। उनके घुटने और पीठ पर बोझ नहीं डालना चाहिए। ये टीम तो बस एक बार भी जीत जाएगी तो दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखा देगी।
Priyanka R
10 09 25 / 01:20 पूर्वाह्नये सब एक धोखा है। यूएई की पिचें तो अमेरिका के साथ मिलकर बनाई गई हैं। राशिद को कप्तान बनाने का मकसद ये है कि वो अपनी बॉलिंग को छिपाए रखे। नावीन की वापसी? वो तो एक फेक है। वो अब ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहा है। ये सब एक बड़ी साजिश है। 😈
Rakesh Varpe
10 09 25 / 11:26 पूर्वाह्नस्पिन पर भरोसा करना सही फैसला है
Girish Sarda
11 09 25 / 02:46 पूर्वाह्नक्या ये टीम अगर बांग्लादेश के खिलाफ खेले तो स्पिनर्स की ताकत बढ़ जाएगी या फिर उनकी गति कम हो जाएगी? क्या नूर अहमद की कलाई स्पिन वहां भी काम करेगी जहां पिच थोड़ी तेज है?
Garv Saxena
11 09 25 / 08:30 पूर्वाह्नहम सब इस टीम को देखकर ये सोच रहे हैं कि ये स्पिन वाली रणनीति काम करेगी या नहीं। लेकिन क्या कभी सोचा है कि ये सब बस एक अर्थहीन विज्ञान है? गेंद को घुमाना, फील्ड बदलना, ओवर बांटना-ये सब बस एक भ्रम है जो हम अपने आप को बताते हैं कि हम कुछ नियंत्रित कर रहे हैं। लेकिन असल में ये सब बस एक बड़ी गेंद है जो एक अज्ञात बल के अधीन है-जो भी बनाया गया था, वो उस बल के लिए बना था। राशिद खान कप्तान हैं? शायद। लेकिन क्या वो जानते हैं कि वो किसके लिए खेल रहे हैं? अफगानिस्तान के लिए? या फिर एक ऐसे खेल के लिए जो अपने आप में एक धोखा है? ये टीम जीते या हारे-उसका कोई मतलब नहीं। क्योंकि असल जीत तो वो है जब हम ये समझ जाएं कि हम किसी भी फॉर्मूले को नहीं बना सकते। बस खेलो। बस बैठो। और देखो। क्योंकि खेल तो अपने आप में ही एक रहस्य है।