ईरान ने हाल ही में इसराइल के खिलाफ एक आक्रामक मिसाइल हमला शुरू किया है, जिसे उसने 'वैध, तर्कसंगत और जायज' बताया है। ईरानी अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि यह हमला इसराइल की कार्रवाइयों के जवाब में किया गया है, जिनमें हाल ही में हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह और हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हनीयेह की हत्या शामिल है। ईरान ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इसराइल को इस तरह के हमलों का मूल्य चुकाना पड़ेगा।
इस मिसाइल हमले की अनुमति सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने दी थी और इसे सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एसएनएससी) और रक्षा मंत्रालय का पूरा समर्थन प्राप्त था। इस त्रिमुखी समर्थन के चलते कई बैलिस्टिक मिसाइलें इसराइल के खिलाफ दागी गई। ईरान ने यह भी संकेत दिया है कि और भी मिसाइलों की तैयारी हो चुकी है और उन्हें पश्चिमी बलों को पहले से इसके बारे में सूचित कर दिया गया था।
ईरान की यह कार्रवाई इसराइल द्वारा लेबनान में की गई घुसपैठ और हिज़बुल्लाह और हमास के नेताओं की हत्या के जवाब में मानी जा रही है। ईरानी अधिकारियों ने कहा कि हनियेह की हत्या के बाद प्रतिक्रिया में देरी एक भूल साबित हुई, जिससे इसराइल को और हमले करने का प्रोत्साहन मिला।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने बताया कि उन्होंने हनियेह की मौत के बाद तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी थी, क्योंकि उन्हें एक नजदीकी युद्धविराम समझौते का आश्वासन मिला था। लेकिन जब ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, तो उन्हें लगा कि धोखा हुआ है। इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र में इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के वक्तव्य ने, जिसमें उन्होंने मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन बदलने की बात कही थी, इस तनाव को और भड़काया।
ईरान की कठिनपंथी धाड़ पक्षों ने हनियेह की मौत के बाद नेतृत्व की निष्क्रियता की आलोचना की और कहा कि यह इनकार इसराइल को और अधिक 'प्रतिरोधक' नेताओं को निशाना बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। संसद की सुरक्षा और नीति आयोग के प्रवक्ताओं और खामेनेई के कार्यालय ने जोर देकर कहा कि ईरान किसी भी आक्रामकता के लिए तत्पर है और आने वाले समय में और भी कठोर प्रतिक्रिया देगा।
इस मिसाइल हमले ने व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष का खतरा बढ़ा दिया है। अमेरिकी राजदूतावास ने अपने कर्मचारियों को सुरक्षित रहने की सलाह दी है और अमेरिकी नागरिकों से सतर्क रहने का आग्रह किया है। इस ऑपरेशन ने ईरान के रणनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव को भी उजागर किया है, जो अब संयम से हटकर कथित खतरों के खिलाफ अधिक सक्रिय रुख अपना रहा है।
जिस प्रकार से स्थिति उभर रही है, उसे देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और भी जटिल और अप्रत्याशित हो सकती है। ईरान द्वारा उठाए गए कदम ने न केवल इसराइल के लिए चेतावनी दी है, बल्कि विश्व शक्तियों के लिए भी सोचने का अवसर दिया है कि किस दिशा में मध्य पूर्व में शांति स्थापना के प्रयास किए जा सकते हैं।
Girish Sarda
3 10 24 / 15:28 अपराह्नईरान का ये कदम सिर्फ बदला नहीं बल्कि एक संदेश है कि कोई भी उनके साथी को निशाना बनाएगा तो उसकी जिम्मेदारी उन पर आएगी।
Garv Saxena
4 10 24 / 18:33 अपराह्नक्या हम भूल रहे हैं कि ये सब किसकी वजह से शुरू हुआ? हिज़बुल्लाह के नेता की हत्या जैसे कार्य अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ हैं और फिर ईरान को अपनी रक्षा का अधिकार नहीं है? ये सब तो एक अनंत चक्र है जहां हर प्रतिक्रिया एक नया आक्रमण बन जाती है। अगर हम इसे रोकना चाहते हैं तो पहले उन लोगों को रोकना होगा जो शांति के नाम पर निरंतर अत्याचार करते हैं।
Rajesh Khanna
6 10 24 / 07:03 पूर्वाह्नहमें उम्मीद रखनी चाहिए कि इस बार दोनों तरफ से समझदारी से काम लिया जाए। युद्ध से कोई नहीं जीतता, बस दर्द बढ़ता है।
Sinu Borah
7 10 24 / 06:14 पूर्वाह्नअरे यार ये सब तो बस नाटक है। ईरान को तो अपनी अंदरूनी समस्याओं से निपटना है और इसराइल को अपने घर के बाहर जाकर क्या करना है? ये मिसाइलें उड़ाना तो आसान है लेकिन उनके बाद का बोझ कौन उठाएगा? दुनिया के सबसे बड़े अमीर देश भी इस तरह के खेलों में घुस जाते हैं और फिर बोलते हैं कि शांति चाहिए।
Sujit Yadav
7 10 24 / 07:47 पूर्वाह्नइस घटना को आधुनिक राजनीतिक विश्लेषण के दृष्टिकोण से देखें तो यह एक स्पष्ट उदाहरण है जहां राष्ट्रीय सार्वभौमिकता के सिद्धांत का दुरुपयोग हुआ है। ईरान के द्वारा इसराइल के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग, जो अंतरराष्ट्रीय नागरिक अधिकारों के विरुद्ध है, एक अस्थायी राजनीतिक लाभ के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा के नुकसान का कारण बन रहा है। यह व्यवहार अनुचित है और इसके लिए विश्व समुदाय को एकजुट होकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
Kairavi Behera
7 10 24 / 09:27 पूर्वाह्नहर एक व्यक्ति की जान महत्वपूर्ण है। जब नेता मरते हैं तो वो सिर्फ एक नाम नहीं होते, वो एक परिवार, एक समुदाय के लिए अपना घर बन जाते हैं। इसलिए ईरान का जवाब समझ में आता है, लेकिन अब इसका अंत शांति से होना चाहिए।
Aakash Parekh
7 10 24 / 20:31 अपराह्नक्या हुआ वो हुआ, अब इसका अंत शांति से हो जाए। बस इतना ही।
Sagar Bhagwat
8 10 24 / 06:20 पूर्वाह्नअरे भाई, अगर ईरान ने नहीं किया तो कौन करता? इसराइल तो हर दिन किसी न किसी को मार रहा है। अब थोड़ा बदला ले लिया तो क्या हुआ? कोई बड़ी बात नहीं।
Jitender Rautela
9 10 24 / 11:28 पूर्वाह्नये सब बस धोखा है। ईरान को अपने लोगों को खाना देना चाहिए न कि मिसाइल उड़ाना। ये सब जंगली बातें करके क्या फायदा? दुनिया तो देख रही है कि तुम क्या कर रहे हो।
abhishek sharma
10 10 24 / 21:52 अपराह्नअगर आप इसे देखें तो ये सब एक बहुत बड़ी बात नहीं है। हर देश अपनी सुरक्षा के लिए कुछ न कुछ करता है। ईरान ने अभी तक बहुत धीरे बात की है। अगर ये बात नहीं होती तो शायद इसराइल अभी तक लेबनान के अंदर घुस रहा होता। ये सब एक तरह का डर का खेल है।
Surender Sharma
12 10 24 / 10:57 पूर्वाह्नye sab kya hai? Iran ne missile kyu chalaya? Israel ne kya kiya? sab kuch confuse ho rha hai. koi clear bata do.
Divya Tiwari
12 10 24 / 12:28 अपराह्नहम भारतीय इस बात पर गर्व करते हैं कि हमने कभी किसी के खिलाफ ऐसा कदम नहीं उठाया। ईरान का ये बदला लेने का तरीका बिल्कुल अनुचित है। ये अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।
shubham rai
14 10 24 / 01:55 पूर्वाह्नअच्छा हुआ ईरान ने किया। अगर नहीं किया तो इसराइल और बढ़ जाता।
Nadia Maya
15 10 24 / 10:46 पूर्वाह्नराजनीतिक विश्लेषण के अनुसार, यह घटना एक नए अंतर्राष्ट्रीय संतुलन की शुरुआत है। ईरान के लिए यह एक रणनीतिक चाल है जो अमेरिकी और पश्चिमी शक्तियों के लिए एक चुनौती है। यह एक नए युग का संकेत है जहां शक्ति का केंद्र अब एशिया की ओर बदल रहा है।
Nitin Agrawal
16 10 24 / 14:06 अपराह्नbhai ye sab kya hai? kya israel ne hi sab kuch kia? phir iran ko kyun reply karna pad rha hai?
Gaurang Sondagar
18 10 24 / 12:48 अपराह्नये बदला लेने का तरीका गलत है। इससे बच्चे मरेंगे महिलाएं मरेंगी। ये नहीं होना चाहिए। अगर इसराइल गलत है तो यूएन के जरिए न्याय करवाना चाहिए।
Ron Burgher
18 10 24 / 17:13 अपराह्नहर कोई अपनी बात रखता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इसराइल को क्यों बर्ताव करना पड़ रहा है? क्योंकि वो लोगों को डराना चाहता है। और ईरान ने उसे डरा दिया। अब तो बस रुक जाए।
kalpana chauhan
18 10 24 / 17:34 अपराह्नहमें अपनी संस्कृति के अनुसार शांति की ओर बढ़ना चाहिए। हिंसा से कुछ नहीं मिलता। ये दोनों देश अपने लोगों के लिए शांति चाहते हैं। ये तनाव अपने आप शांत हो जाएगा। 🌸
Prachi Doshi
19 10 24 / 01:06 पूर्वाह्नशांति की ओर बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है। युद्ध कभी समाधान नहीं होता।