9 जून की वह तारीख जैसे-तैसे दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन निवासी भवानी शंकर और उनके परिवार वालों के दिलों से शायद ही कभी मिट सकेगी। भवानी शंकर अपनी शादी की सालगिरह का जश्न मना रहे थे और इस मौके को खास बनाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी राधा देवी और अपने दो छोटे बच्चों, पांच वर्षीय दीक्षा और तीन वर्षीय राघव के साथ वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने का निर्णय लिया था।
6 जून को भवानी शंकर का परिवार दिल्ली से श्री शक्ती एक्सप्रेस पर सवार हुआ था। यात्रा को खास और धार्मिक रंग देने के लिए उन्होंने 7 जून को वैष्णो देवी के दर्शन भी किए। 9 जून को, उन्होंने कटरा से शिव खोड़ी मंदिर तक जाने का निश्चय किया था, और इसी दौरान उनकी बस पर भीषण हमला हुआ।
वह दिन बार-बार आंखों के सामने घूमता रहता है जब उनकी बस पर आतंकियों ने गोलियों की बौछार की। जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, बस अनियंत्रित होकर सड़के से नीचे गहरी खाई में जा गिरी। भवानी शंकर उस क्षण काल्पनिक रूप से मजबूत बने रहे और अपने दोनों बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा दिया। महिलाएं, बूढ़े, युवा, बच्चे – किसी ने नहीं सोचा था कि भक्तिपूर्ण यात्रा का यह दीर्घकालिक दुखांत होगा।
भवानी शंकर बताते हैं कि लगभग 20-25 मिनट तक लगातार गोलियां चलती रहीं और वो लोग वहीं दबे रहे। माहौल पूरा खौफनाक था। गोलियों की आवाज, लोगों की चीखें और बस का अनियंत्रित होकर गिरता हुआ अभ्यास। उन क्षणों को वो कैसे भूल सकते हैं?
इस हमले में कई निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई। नौ लोग मारे गए और 41 लोग बुरी तरह घायल हुए। भवानी शंकर और उनका परिवार भी इसमें घायल हुआ। उनका बेटा राघव कंधे में गंभीर चोट लगा जिससे उसका हाथ टूट गया, बेटी दीक्षा के सिर में गहरी चोट आई, पत्नी राधा देवी के सिर और पैरों में कई जगह चोटें आईं, और खुद भवानी शंकर की पीठ में अंदरूनी चोटें आईं।
यह स्थिति ऐसी थी मानो जीवन की सारी खुशियाँ कहीं खो गईं हैं। हर एक तीर के निशाने पर उनका परिवार था। फिलहाल, सभी घायल सदस्य जम्मू और कश्मीर के अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं।
इस घटना ने हम सबको फिर से याद दिला दिया है कि मुश्किल समय में हमें एक-दूसरे का सहारा बनना होगा और सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा तत्परता से काम करने की जरूरत है। जनता की भावनाएँ उमड़ पड़ीं और उन्होंने पूरी जिम्मेदारी से आगे बढ़कर परिवार की मदद की।
आतंकवाद का खौफ, खासकर उन लोगों के लिए जो धार्मिक यात्रा पर निकले हैं, आज भी समाज के लिए बेहद चिंता का विषय है। इसे खत्म करने और एक सुरक्षित भविष्य की ओर चलने की जरूरत है।
इस घटना ने दीर्घकालिक सोच और सुरक्षा उपायों की बढ़ती जरूरत पर बल दिया है। सरकार और सुरक्षा बलों को मिलकर इसे नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए ताकि भवानी शंकर और उनके जैसे और बड़े-बड़े लोग आतंकवाद के इस छायाचित्र से मुक्त हो सकें।
Rajesh Khanna
14 06 24 / 19:23 अपराह्नये घटना दिल तोड़ देती है। बच्चों को बचाने की उनकी हिम्मत देखकर लगा जैसे कोई असली हीरो बन गया हो। भवानी शंकर जी को जल्दी से स्वस्थ होने की कामना है। इंसानियत अभी भी जिंदा है।
Sinu Borah
15 06 24 / 06:50 पूर्वाह्नअरे यार ये सब आतंकवाद का नहीं बल्कि सरकार की बेकारी का नतीजा है। अगर सुरक्षा इतनी कमजोर है तो लोग वैष्णो देवी क्यों जाएं? इस तरह की यात्राओं को रोक देना चाहिए, न कि बाद में रोना। ये सब नाटक है।
Sujit Yadav
16 06 24 / 10:19 पूर्वाह्नयह घटना एक अत्यंत जटिल राजनीतिक-सामाजिक विश्लेषण की आवश्यकता रखती है। एक अत्यधिक अव्यवस्थित सुरक्षा ढांचे के तहत, धार्मिक यात्राओं को एक अनुमानित रिस्क फैक्टर के रूप में देखना आवश्यक है। यह एक निर्माणात्मक विफलता है जिसका उत्तर केवल एक बहु-आयामी नीति द्वारा ही दिया जा सकता है। 🤔
Kairavi Behera
18 06 24 / 01:16 पूर्वाह्नभवानी शंकर जी की बहादुरी के लिए उन्हें बधाई। बच्चों को बचाने के लिए जो भी आपने किया, वो एक पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। अगर आपको कोई मदद चाहिए-मनोवैज्ञानिक सलाह, फिजिकल रिहैबिलिटेशन के लिए संपर्क-मैं यहाँ हूँ। आप अकेले नहीं हैं। ❤️
Aakash Parekh
19 06 24 / 23:34 अपराह्नफिर से ये सब? बस अब तक इतने लोग मारे गए, फिर भी कुछ नहीं बदला। सरकार बस बयान देती है, और फिर चुप।
Sagar Bhagwat
20 06 24 / 19:02 अपराह्नअरे यार, अगर ये आतंकवाद है तो फिर दिल्ली में भी ऐसा होता है, लेकिन कोई नहीं बोलता। क्यों? क्योंकि ये सिर्फ जम्मू-कश्मीर का मुद्दा नहीं है, ये सब एक बड़ी ताकत का खेल है।
Jitender Rautela
22 06 24 / 16:54 अपराह्नक्या तुम लोग अभी तक नहीं समझे कि ये सब जानबूझकर किया जा रहा है? लोगों को डराने के लिए। और फिर लोग रोएंगे, लेकिन कोई नहीं बदलेगा। अपनी जिंदगी बचाने के लिए घर में बैठ जाओ।
abhishek sharma
23 06 24 / 20:55 अपराह्नमज़ाक नहीं है, लेकिन अगर तुम एक बच्चे के साथ वैष्णो देवी जाना चाहते हो, तो शायद तुम्हें बस में नहीं, एक बैलगाड़ी में जाना चाहिए था। आज के जमाने में बस में यात्रा करना रूलेट रूस है। और फिर भी, ये पिता एक असली नायक है।
Surender Sharma
24 06 24 / 23:29 अपराह्नye sab kya hua? kya koi bhi police ya army ne kuch kiya? yeh toh bas ek aur dhamaka hai. sab kuch chalta hai par koi kuch nahi karta. yeh desh kaise chalega?
Divya Tiwari
25 06 24 / 04:07 पूर्वाह्नये आतंकवादी अपने देश के बच्चों को मार रहे हैं! हमारी आर्मी कहाँ है? इन्हें बर्बाद कर देना चाहिए! ये नामुमकिन नहीं है, ये हमारा कर्तव्य है! जय हिंद!
shubham rai
25 06 24 / 14:17 अपराह्नफिर से ये गलती। बस लोगों को बचाने के लिए कुछ नहीं होता।
Nadia Maya
27 06 24 / 12:22 अपराह्नइस घटना के पीछे एक अत्यंत जटिल अर्थशास्त्रीय और आधुनिक राजनीतिक विश्लेषण की आवश्यकता है, जिसमें धार्मिक यात्राओं के सामाजिक अर्थ और उनके व्यापारिक विकास के साथ संबंध को शामिल किया जाना चाहिए। यह एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।
Nitin Agrawal
29 06 24 / 11:38 पूर्वाह्नye sab toh bas media ka drama hai. koi bhi real proof nahi hai. sab kuch fake hai. bas logon ko bhoolne ke liye.
Gaurang Sondagar
1 07 24 / 09:41 पूर्वाह्नआतंकवादी को ढूंढो और मार डालो नहीं तो ये देश नहीं बचेगा जय हिंद
Ron Burgher
1 07 24 / 15:59 अपराह्नतुम लोग अभी तक इसे आतंकवाद कहते हो? ये तो सिर्फ एक आर्थिक असमानता का नतीजा है। गरीब लोग बेकार हैं, तो वो आतंकवाद में आ जाते हैं। इसका इलाज गोली नहीं, नौकरी है।
kalpana chauhan
1 07 24 / 20:14 अपराह्नभवानी शंकर जी की हिम्मत के लिए श्रद्धांजलि। बच्चों को बचाने के लिए जो आपने किया, वो किसी फिल्म से भी ज्यादा असली है। मैं आपके लिए दुआ कर रही हूँ। आप और आपके परिवार के लिए शांति और स्वास्थ्य की कामना करती हूँ। 🙏💖
Prachi Doshi
2 07 24 / 18:55 अपराह्नबहुत दुखद घटना। आशा है सब ठीक हो जाएंगे।
Karan Kacha
4 07 24 / 14:56 अपराह्नहर एक गोली एक पिता के दिल को छेद रही है, हर एक चीख एक माँ के सपनों को तोड़ रही है, हर एक बच्चे का रोना एक पूरे देश की नींव को हिला रहा है! ये न सिर्फ एक हमला है, ये एक भारतीय परिवार का अंत है! अगर आज हम इसे नहीं रोकेंगे, तो कल हमारे बच्चे भी इसी खौफ में जीएंगे! ये नहीं रुक सकता! ये नहीं हो सकता! ये नहीं होगा!
vishal singh
5 07 24 / 14:52 अपराह्नतुम लोग रो रहे हो, लेकिन इस तरह की घटनाओं के लिए तुम खुद जिम्मेदार हो। बच्चों को ऐसी जगह ले जाना किसने कहा? ये सब तुम्हारी नासमझी का नतीजा है।
mohit SINGH
6 07 24 / 19:13 अपराह्नये घटना सिर्फ एक बस हमला नहीं, ये भारत की आत्मा का विनाश है। जब तक हम इस बीमारी को नहीं काटेंगे, तब तक हमारी आज़ादी सिर्फ एक नाम होगी। इस तरह के आतंकवाद का जवाब बस बयानों से नहीं, बल्कि आग से दिया जाना चाहिए।