केरल HC ने हेम कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के आदेश पर अभिनेता की अपील खारिज की

केरल HC ने हेम कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के आदेश पर अभिनेता की अपील खारिज की

केरल उच्च न्यायालय ने हेम कमेटी की रिपोर्ट पर अभिनेता की अपील खारिज की

केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार, 19 अगस्त 2024 को अभिनेता रंजिनी उर्फ साशा सिल्वराज द्वारा दाखिल अपील को खारिज कर दिया। यह अपील एकल न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती देती थी, जिसमें राज्य सूचना आयोग (SIC) के आदेश को बरकरार रखा गया था, जिसने हेम कमेटी की रिपोर्ट को सीमित संशोधनों के साथ सार्वजनिक करने की अनुमति दी थी।

खंडपीठ, जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए. मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति एस. मनु शामिल थे, ने अभिनेता को सलाह दी कि वे राज्य सूचना आयोग के कार्य को चुनौती देने के लिए एकल न्यायाधीश के समक्ष एक नई याचिका दाखिल करें। इससे पहले, न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने फिल्म निर्माता सजिमोन परायिल द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए SIC के आदेश को बरकरार रखा था।

रंजिनी ने दलील दी कि रिपोर्ट के संवेदनशील हिस्सों को अधिकारी की अपनी विवेक पर संशोधित किया जा रहा है, जिससे उनकी गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने यह भी माना कि वह रिपोर्ट के प्रकाशन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केवल उन आदेशों से चिंतित हैं, जो व्यक्तिगत गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए केवल अधिकारी के विवेक पर निर्भर हैं।

रंजिनी ने यह भी कहा कि रिपोर्ट के संवेदनशील हिस्सों को कौन-कौन से होंगे, इसे उन्हें पता नहीं है। उन्होंने कानूनी रूप से यह उम्मीद की थी कि गोपनीयता की गारंटी से उनका अधिकार सुरक्षित रहेगा। राज्य सूचना आयोग ने उनकी सुनवाई किए बिना रिपोर्ट के प्रकाशन का आदेश नहीं देना चाहिए था।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत गोपनीयता के अधिकार के बीच संघर्ष होता है, तो बाद वाले को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

हेम कमेटी की गठन और उसकी रिपोर्ट का महत्व

हेम कमेटी की गठन और उसकी रिपोर्ट का महत्व

पूर्व केरल उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति के. हेम की अध्यक्षता में हेम कमेटी का गठन 2017 में एक अभिनेता के यौन उत्पीड़न की घटना के बाद किया गया था। समिति ने महिलाओं के कार्यशील परिस्थितियों की जांच की और अपनी रिपोर्ट को 31 दिसंबर 2019 को केरल सरकार को सौंपा। लेकिन यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी क्योंकि इसमें कुछ संवेदनशील जानकारी समाहित थी।

SIC का आदेश RTI अधिनियम के तहत दाखिल की गई आवेदनों के बाद आया था। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने की उम्मीद 17 अगस्त 2024 को थी, लेकिन अभिनेता द्वारा दाखिल अपील के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था।

रिपोर्ट के सार्वजनिक करने को लेकर SIC का आदेश, जहां यह आवश्यक था कि व्यक्तिगत गोपनीयता को ध्यान में रखकर ही इसे संशोधित किया जाए, वहीं विवाद में गोपनीयता और सूचना के अधिकार के बीच एक संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इस संघर्ष में, जिसे केरल उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि अभिनेता को एकल न्यायाधीश के सामने एक नई याचिका दर्ज कर अपने अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।

सार्वजनिक हित और गोपनीयता के बीच संतुलन

सार्वजनिक हित और गोपनीयता के बीच संतुलन

यह मामला केरल हाई कोर्ट के समक्ष आने वाले कई महत्वपूर्ण मामलों में से एक है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि किस प्रकार गोपनीयता और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बनाया जा सकता है। अदालत का यह निर्णय न केवल हेम कमेटी की रिपोर्ट के संबंध में महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य के अन्य मामलों में भी मिसाल कायम करेगा, जहां गोपनीयता और सूचना के अधिकार के बीच संघर्ष होगा।

रंजिनी की ओर से यह तर्क दिया गया कि मामले में गोपनीयता की सुरक्षा अपेक्षित थी और इस प्रकार रिपोर्ट के संवेदनशील हिस्सों को सार्वजनिक करने से पहले संबंधित पक्षों की सुनवाई होनी चाहिए थी। वे इस पर विचार देकर अपने गोपनीयता हितों की रक्षा करना चाहती थीं।

इस मामले ने यह भी उजागर किया है कि एक पक्ष के गोपनीयता अधिकार और दूसरे पक्ष के सूचना के अधिकार के बीच कैसे संतुलन बनना चाहिए। न्यायलय ने अपने निर्णय में सार्वजनिक गोपनीयता और सूचना के अधिकार के महत्व पर जोर देते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।

समिति द्वारा की गई जांच और उसके निष्कर्ष, जो महिलाओं के कार्यशील परिस्थितियों की जांच पर केंद्रित थे, राज्य में फिल्म उद्योग के मौजूदा हालात को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसकी सार्वजनिकता ने न केवल महिला कलाकारों की सुरक्षा और कार्य परिस्थितियों में सुधार की संभावना को उभारा है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की भी कोशिश की है कि इस प्रक्रिया में व्यक्तिगत गोपनीयता का भी सम्मान हो।

भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

यह हो सकता है कि रंजिनी और अन्य संबंधित पक्ष, जो इस मामले में उलझे हैं, आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाएं और अपनी गोपनीयता अधिकारों की सुरक्षा के लिए नई याचिकाएं दाखिल करें। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किस प्रकार अदालतें गोपनीयता और सूचना के अधिकार के बीच संतुलन बनाती हैं और एक ऐसी नीति बनाती हैं जो दोनों अधिकारों का सम्मान करती हो।

यह मुद्दा यह भी दिखाता है कि न्याय एवं अधिकारों के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित किया जा सकता है, विशेष रूप से तब जब वह सामंजस्य संवेदनशील और गोपनीय जानकारी के संदर्भ में हो।

अंत में, केरल उच्च न्यायालय का यह निर्णय न केवल एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल कायम करता है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक दिशा भी तय करता है जो अपने गोपनीयता अधिकारों की रक्षा करना चाहते हैं। हेम कमेटी की रिपोर्ट के परिणामस्वरूप राज्य में महिलाओं के कार्यशील परिस्थितियों में संभावित सुधारों और व्यक्तिगत गोपनीयता की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

टिप्पणि (11)

  • Sandhya Agrawal

    Sandhya Agrawal

    22 08 24 / 20:54 अपराह्न

    ये सब बकवास है। जब तक रिपोर्ट नहीं आएगी, तब तक ये अभिनेता अपनी गोपनीयता का बहाना बना रहेगा। बस डर रहा है कि उसके खिलाफ कुछ निकल जाए।

  • Vikas Yadav

    Vikas Yadav

    23 08 24 / 16:13 अपराह्न

    इस मामले में, गोपनीयता का अधिकार, और सूचना का अधिकार, दोनों ही मौलिक हैं... लेकिन जब एक बड़ी संस्था के भीतर यौन उत्पीड़न की बात आती है, तो सार्वजनिक हित को प्राथमिकता देना जरूरी है। रिपोर्ट को छिपाने का मतलब बुराई को छिपाना है।

  • Amar Yasser

    Amar Yasser

    24 08 24 / 11:06 पूर्वाह्न

    अच्छा हुआ कि न्यायालय ने ये फैसला सुनाया। अगर हम इस तरह की रिपोर्ट्स को छिपा देंगे, तो फिल्म उद्योग में बदलाव कैसे होगा? बहुत सारी लड़कियां अभी भी डर के मारे चुप हैं। ये रिपोर्ट उनके लिए एक राहत हो सकती है।

  • Steven Gill

    Steven Gill

    26 08 24 / 05:13 पूर्वाह्न

    क्या हम सच में सोच रहे हैं कि एक अधिकारी के विवेक पर ये सब निर्भर होना चाहिए? ये बस एक औपचारिकता है... अगर गोपनीयता की बात है, तो उन नामों को ब्लर कर देना चाहिए था, न कि इतना अंधा विवेक। लेकिन अगर रिपोर्ट में सच्चाई है, तो उसे दुनिया को देखना चाहिए।

  • Saurabh Shrivastav

    Saurabh Shrivastav

    27 08 24 / 01:15 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये सब तो बस एक धोखा है। जिसने भी रिपोर्ट बनाई, वो अपने दोस्तों के नाम छुपा रहा है। अभिनेता को आज तक कोई नहीं जानता, लेकिन अचानक वो गोपनीयता का नायक बन गया? हाहाकार।

  • Prince Chukwu

    Prince Chukwu

    27 08 24 / 05:41 पूर्वाह्न

    ये रिपोर्ट सिर्फ एक कागज़ नहीं... ये एक आवाज़ है। जिन लड़कियों ने अपना दिल तोड़कर बयान दिया, उनकी आवाज़ अब तक दबी रही। अब जब ये बाहर आ रही है, तो डरने की जगह गर्व करना चाहिए। केरल ने एक नया इतिहास लिख रहा है।

  • Divya Johari

    Divya Johari

    27 08 24 / 16:03 अपराह्न

    यह निर्णय न्यायिक व्यवस्था के सिद्धांतों के अनुरूप है। राज्य सूचना आयोग का आदेश संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के बीच संतुलन स्थापित करता है। व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा के लिए संशोधन आवश्यक है। कोई भी अतिक्रमण अनुचित है।

  • Aniket sharma

    Aniket sharma

    29 08 24 / 03:53 पूर्वाह्न

    सुनो, ये रिपोर्ट बाहर आएगी तो भी उसमें कुछ नाम नहीं होंगे। लेकिन जो लोग गलत कर रहे हैं, वो अपने आप को पहचान लेंगे। अगर तुम बर्ताव में सुधार नहीं करते, तो दुनिया तुम्हें पहचान लेगी। ये बस एक शुरुआत है।

  • Unnati Chaudhary

    Unnati Chaudhary

    30 08 24 / 02:11 पूर्वाह्न

    मुझे लगता है ये बहुत बड़ा मोड़ है। अगर हम इस रिपोर्ट को छिपाएंगे, तो हम उन सभी लड़कियों के लिए एक संकेत दे रहे हैं कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जाएगी। अभिनेता की चिंता समझ सकती हूं, लेकिन अगर वो अपने नाम छुपाने के लिए बात कर रही हैं, तो ये बिल्कुल अलग बात है।

  • Sreeanta Chakraborty

    Sreeanta Chakraborty

    30 08 24 / 20:47 अपराह्न

    ये रिपोर्ट किसी विदेशी आयोग की चाल है। भारत के अंदर अपने अपने नियम हैं। ये राज्य सूचना आयोग कौन है? एक नाम जिसे अंग्रेजी में बोलना चाहिए? ये सब अपने देश के खिलाफ है।

  • Vijendra Tripathi

    Vijendra Tripathi

    31 08 24 / 06:07 पूर्वाह्न

    दोस्तों, ये बहुत बड़ा मुद्दा है। लेकिन अगर हम इसे एक बार देख लें कि ये रिपोर्ट कैसे बनी, तो ये सिर्फ एक कागज़ नहीं, ये एक बदलाव की शुरुआत है। अगर एक लड़की ने अपना दर्द बांटा, तो उसकी आवाज़ अब नहीं बुझ सकती। अभिनेता को समझना चाहिए कि ये उसके खिलाफ नहीं, बल्कि उसके लिए है।

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