केरल के वायनाड में भूस्खलन, मलबे में दबी दर्जनों जिंदगियाँ

केरल के वायनाड में भूस्खलन, मलबे में दबी दर्जनों जिंदगियाँ

केरल के वायनाड में भूस्खलन की भीषण त्रासदी

केरल के वायनाड जिले के मेप्पाडी क्षेत्र में 30 जुलाई, 2024 की सुबह भयंकर भूस्खलन ने एक बड़ी तबाही मचाई। यह भूस्खलन इतना भयानक था कि इसके मलबे में दबकर कम से कम 89 लोगों की मृत्यु हो गई। भारी वर्षा के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में यह घटना हुई और कई गाँव मलबे के नीचे दब गए। इस हादसे से क्षेत्र में हाहाकार मच गया।

इस भूस्खलन के बाद सैकड़ों लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय प्रशासन ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने इस आपदा को देखते हुए फ़ायरफोर्स और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों को तुरंत घटनास्थल पर भेजा है। इसके अलावा, एक अतिरिक्त NDRF टीम को भी वायनाड भेजने की तैयारी की जा रही है।

बचाव कार्यों में आ रही कठिनाइयाँ

भारी बारिश के चलते बचाव कार्यों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मलबे का मात्रा इतनी अधिक है कि उसे हटाना बेहद चुनौतिपूर्ण हो गया है। इसके बावजूद, बचाव दल के सदस्य दिन-रात कार्य में लगे हुए हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अतिरिक्त संसाधनों की मांग की है जिससे बचाव कार्य को तेजी से पूरा किया जा सके।

स्थानीय लोग भी इस आपदा में आगे आकर मदद कर रहे हैं। वे अपनी जान की परवाह किए बिना मलबे से लोगों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एकजुटता और सहायता की भावना प्रबल है, जिससे प्रभावित लोग थोड़ा सान्त्वना पा रहे हैं।

सरकार और बचाव दल की कोशिशें

सरकार और बचाव दल की कोशिशें

केंद्र और राज्य सरकारें इस आपदा के प्रति पूरी तरह से सतर्क हैं। मुख्यमंत्री ने स्थिति का जायजा लेने के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलायी है। इन बैठक में प्रभावित क्षेत्रों में और अधिक संसाधन भेजने और बचाव कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

नजदीकी राहत शिविरों में हजारों लोगों को प्राथमिक चिकित्सा और खाने-पीने की सुविधाएं दी जा रही हैं। स्वास्थ्य कर्मी और स्वयंसेवक भी इस काम में जुटे हुए हैं। सुरक्षा बलों के अतिरिक्त, दो टीमों को कन्नूर डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स से भी बुलाया गया है जो कि बचाव कार्य में सहयोग करेंगे।

भविष्य के लिए चेतावनी

यह भूस्खलन एक बड़ी चेतावनी है कि हमें पर्यावरण और प्रकृति के प्रति अधिक संवेदनशील होना पड़ेगा। पहाड़ी क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण और वनों की कटाई ने ऐसे आपदाओं को और अधिक विनाशकारी बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए हमें स्थायी विकास की ओर ध्यान देने की जरूरत है।

आपदा के बाद, केरल सरकार ने वायनाड और आसपास के इलाकों में राहत और बचाव कार्यों के लिए आपातकालीन संसाधनों के आवंटन का आदेश दिया है। इसी तरह, जनजागरूकता अभियानों को भी तेज किया जा रहा है ताकि लोग इस तरह की आपदाओं के समय कैसे प्रतिक्रया दें, इसके लिए प्रशिक्षित हो सकें।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

वायनाड जिले में हुए इस भूस्खलन ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। इस त्रासदी ने हमें यह याद दिलाया है कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी विनाशकारी हो सकती हैं और हमें उन्हीं से निपटने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।

मलबे में दबे लोगों को सुरक्षित निकाल कर जल्द से जल्द उनकी देखभाल करना इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है। प्रशासन और बचाव दल कड़ी मेहनत कर रहे हैं और हम सभी को उनकी इस असाधारण सेवा का समर्थन करना चाहिए।

टिप्पणि (16)

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    31 07 24 / 11:20 पूर्वाह्न

    ये भूस्खलन तो सिर्फ़ प्रकृति का गुस्सा नहीं, हमारी लापरवाही का नतीजा है। पहाड़ों पर बिना किसी योजना के घर बनाना, जंगल काटना, नहरें बनाना... सब कुछ अपने आप तो हो गया, अब जब आपदा आई तो सब रो रहे हैं। कोई सीख नहीं रहा, बस बचाव टीम को धन्यवाद दे रहा है। ये टीमें तो हमारी गलतियों का बर्दाश्त कर रही हैं।

    मैंने वायनाड में एक बार घूमा था, वहाँ की पहाड़ियाँ इतनी खूबसूरत थीं कि दिल भी रुक गया। अब वो ही पहाड़ियाँ लाखों लोगों की जान ले रही हैं। क्या हम सच में इतने अंधे हैं कि नेचर के संकेत नहीं समझ पा रहे?

  • Priyanka R

    Priyanka R

    31 07 24 / 15:57 अपराह्न

    लोगों को बताओ कि ये सब CIA और चीन की साजिश है 😤 वो भूस्खलन नहीं, गुप्त भूकंप मशीन चला रहे हैं ताकि हमारी जमीन छीन सकें! 🤫🌍 और देखो, सरकार तो बस NDRF भेज रही है... असली जवाब तो बताना चाहिए कि कौन चला रहा है ये यंत्र! 😡 #ExposeTheTruth

  • Rakesh Varpe

    Rakesh Varpe

    31 07 24 / 22:11 अपराह्न

    बचाव दल की मेहनत की तारीफ़ करना चाहिए। लेकिन ये आपदा टाली जा सकती थी।

  • Girish Sarda

    Girish Sarda

    1 08 24 / 01:29 पूर्वाह्न

    क्या इस तरह की आपदाओं के बाद कोई लंबी अवधि की योजना बनाई जाती है? या फिर हम सिर्फ तुरंत बचाव करते हैं और फिर भूल जाते हैं? मैं जानना चाहता हूँ कि भविष्य में क्या बदलाव आए हैं। क्या निर्माण नियम बदले हैं? क्या वनों की रक्षा के लिए कोई कदम उठाए गए हैं?

  • Garv Saxena

    Garv Saxena

    2 08 24 / 09:01 पूर्वाह्न

    अरे भाई, हम तो अपने घरों के लिए पेड़ काट रहे थे और अब जब वो पेड़ हमारे घरों को दबा रहे हैं तो रो रहे हैं। ये जिंदगी का एक बड़ा सबक है।

    हमने जब नदियों को बदल दिया, पहाड़ों को चीर दिया, और जंगलों को बेच दिया, तो अब प्रकृति ने बस बिल्कुल वैसे ही जवाब दिया जैसे हमने उसके साथ व्यवहार किया।

    क्या हम सच में इतने अहंकारी हैं कि सोचते हैं कि हम प्रकृति के ऊपर हैं? ये भूस्खलन तो प्रकृति का एक शांत और बेहद भारी नोट है। अगर हम इसे सुन नहीं पाए, तो अगली बार ये नोट और भी तेज़ होगा।

  • Rajesh Khanna

    Rajesh Khanna

    4 08 24 / 03:20 पूर्वाह्न

    हम सब एक साथ हैं। बचाव दल की ओर से काम करने वाले हर एक व्यक्ति के लिए धन्यवाद। ये आपदा भयानक है, लेकिन इंसानियत अभी भी जिंदा है। जल्दी से बचाव हो जाए, और हम सब इसके लिए अपना योगदान दें।

  • Sinu Borah

    Sinu Borah

    4 08 24 / 23:38 अपराह्न

    अरे ये सब तो बस दिखावा है। सरकार ने तो पहले ही बता दिया था कि वायनाड में भूस्खलन का खतरा है। लेकिन फिर भी बड़े बड़े होटल और रिसॉर्ट बनाए गए। अब जब लोग मर रहे हैं तो आई बात बन गई।

    और देखो, आज फिर से सब बचाव की बात कर रहे हैं। अगले साल फिर वही बात होगी। कोई नहीं सीखता। कोई नहीं जिम्मेदार होता। बस टीमें भेज दी जाती हैं और फिर फिल्म बन जाती है।

  • Sujit Yadav

    Sujit Yadav

    5 08 24 / 11:54 पूर्वाह्न

    इस आपदा का विश्लेषण करने के लिए एक विशेषज्ञ टीम की आवश्यकता है। वायनाड के भूगर्भीय संरचना का अध्ययन नहीं हुआ था। यहाँ के निर्माण नियमों में गंभीर खामियाँ हैं। यहाँ तक कि निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले सामग्री के मानक भी अनुपयुक्त हैं। यह एक विज्ञान-विरोधी दृष्टिकोण का परिणाम है।

    मैंने अपने अध्ययन में देखा है कि इस तरह की आपदाओं के लिए विश्व के अन्य क्षेत्रों में विशेष नियम बनाए गए हैं। भारत को इन नियमों को अपनाने की आवश्यकता है। अन्यथा, यह त्रासदी दोहराई जाएगी।

  • Aakash Parekh

    Aakash Parekh

    6 08 24 / 12:21 अपराह्न

    बचाव टीम ठीक है। लेकिन ये सब लोग घरों को क्यों बना रहे थे जहाँ भूस्खलन का खतरा था? ये सवाल किसी के मन में नहीं आया?

  • Sagar Bhagwat

    Sagar Bhagwat

    7 08 24 / 17:11 अपराह्न

    मैंने सुना है कि यहाँ के लोग अपने घरों के लिए बहुत अधिक पैसे खर्च करते हैं। लेकिन क्या उन्होंने कभी सोचा कि वो जगह बनाने के लिए सही है या नहीं? अब जब बारिश हुई तो सब बर्बाद हो गया। ये तो बस अपनी बुद्धि के खिलाफ़ काम करना है।

  • Jitender Rautela

    Jitender Rautela

    9 08 24 / 06:41 पूर्वाह्न

    क्या तुमने देखा ये लोग अपने घर बनाने के लिए पहाड़ के नीचे जा रहे हैं? ये लोग तो खुद अपनी मौत का इंतज़ार कर रहे थे। अब रो रहे हैं। ये सब तो अपने आप हो गया।

  • abhishek sharma

    abhishek sharma

    10 08 24 / 09:45 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये भूस्खलन तो पहले से ही आने वाला था। मैंने पिछले साल वहाँ जाकर देखा था कि पहाड़ के नीचे कितने घर बन रहे हैं। कोई फैसला नहीं लिया गया। कोई चेतावनी नहीं दी गई।

    और अब जब ये हो गया, तो सब बचाव दल की तारीफ़ कर रहे हैं। लेकिन क्या ये बचाव दल इसे रोक सकते थे? नहीं। ये तो बस नुकसान कम कर रहे हैं।

    हमें ये समझना होगा कि प्रकृति को बदला नहीं जा सकता। हमें उसके साथ रहना होगा। नहीं तो अगली बार ये त्रासदी और भी बड़ी होगी।

  • Surender Sharma

    Surender Sharma

    11 08 24 / 19:02 अपराह्न

    bhukhalsan kyu hua? kya log bhi galti kr rhe the? yeh sab toh sirf sarkar ka hi kamaal hai. nahi toh yeh sab kaise ho jata? 🤷‍♂️

  • Divya Tiwari

    Divya Tiwari

    12 08 24 / 23:30 अपराह्न

    हमारे देश में ऐसी आपदाएँ होती हैं तो दुनिया भर में लोग रोते हैं। हमारी जमीन, हमारी पहाड़ियाँ, हमारे लोग... ये सब इतने बलिदानी हैं कि दुनिया को चुपचाप देखना पड़ता है। हमारी ताकत को कोई नहीं समझता। ये भूस्खलन नहीं, हमारी शक्ति का प्रदर्शन है।

  • shubham rai

    shubham rai

    14 08 24 / 04:01 पूर्वाह्न

    बचाव टीम के लोग बहुत अच्छे हैं 😔 लेकिन ये सब फिर से होगा।

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    15 08 24 / 05:20 पूर्वाह्न

    वो जो ऊपर लिख रहे हैं कि ये सब सरकार का गलत काम है... ठीक है, लेकिन तुम भी अपने घर के लिए जमीन खरीदते हो। क्या तुमने कभी सोचा कि वो जगह सुरक्षित है या नहीं? हम सब इस खेल में हैं। बस अब जब बारिश हुई तो तुम बाहर खड़े होकर बात कर रहे हो।

    अगर हम इस बार भी अपनी जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तो अगली बार तुम्हारा घर भी नीचे गिर जाएगा।

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