मनसुख मंडविया ने ध्यानचंद की याद में देशभर में आयोजित किया राष्ट्रीय खेल दिवस 2025

मनसुख मंडविया ने ध्यानचंद की याद में देशभर में आयोजित किया राष्ट्रीय खेल दिवस 2025

29 अगस्त, 2025 को देश भर में आयोजित राष्ट्रीय खेल दिवस के तीन दिवसीय उत्सव की शुरुआत मनसुख मंडविया ने नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में एक फूलों की माला चढ़ाकर की। यह दिन मेजर ध्यानचंद सिंह के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है — जिन्होंने 1926 से 1949 तक अंतरराष्ट्रीय हॉकी में 400 गोल किए और भारत को 1928 एम्स्टर्डम, 1932 लॉस एंजिल्स और 1936 बर्लिन ओलंपिक्स में तीन लगातार स्वर्ण पदक दिलाए। आज, उनकी विरासत को सम्मानित करते हुए, खेल मंत्रालय ने देश के सबसे बड़े खेल उत्सव का आयोजन किया।

नई दिल्ली में ओलंपिक स्टैंडर्ड ट्रैक का उद्घाटन

उद्घाटन के बाद, मनसुख मंडविया ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में स्थापित नए Mondo ट्रैक का उद्घाटन किया — जो ओलंपिक और अन्य विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं के लिए आधिकारिक सतह माना जाता है। यह ट्रैक एथलीट्स के प्रदर्शन को बढ़ावा देने और चोटों के जोखिम को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यहाँ उन्होंने स्वयं खेल के मैदान में उतरकर एक घंटे के लिए दौड़, फुटबॉल और योगा में भाग लिया, जिससे उन्होंने 'एक घंटा खेल के मैदान में' अभियान को जीवंत किया।

खेल और युवा मंत्रालय की बड़ी रणनीति

2025 के उत्सव का आधार फिट इंडिया मूवमेंट था, जिसे 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। लेकिन इस बार इसे और भी व्यापक बनाया गया। खेल मंत्रालय ने ओलंपिक और पैराओलंपिक मूल्यों — उत्कृष्टता, दृढ़ता, सम्मान और मित्रता — के साथ-साथ साहस, प्रेरणा और समानता को भी शामिल किया। इसके तहत, स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों में फिटनेस चैलेंज, स्थानीय खेलों के प्रदर्शन और खिलाड़ियों के साथ सीधे संवाद आयोजित किए गए।

देशभर में जुड़े लाखों लोग

दिल्ली के बाहर, NIT सिक्किम के रवांगला कैंपस में तीन दिनों तक छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने खेल प्रतियोगिताओं और फिटनेस सेशन में भाग लिया। जयदेव भवन में भी खेलों के साथ योग, दौड़ और टेबल टेनिस के आयोजन हुए। भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानीय स्तर पर गाँवों के खेल, जैसे कुश्ती, लंबी दौड़ और बांस की छड़ी से खेले जाने वाले खेल, भी बहुत लोकप्रिय हुए।

खेल विकास के लिए सरकारी योजनाएँ

इस उत्सव के पीछे तीन बड़ी योजनाएँ थीं: खेलो इंडिया प्रोग्राम, टारगेट ओलंपिक पॉडियम योजना (TOPS) और खेल प्राधिकरण ऑफ इंडिया (SAI)। खेलो इंडिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, मैदानों और छतों पर खेल के लिए छोटे-छोटे केंद्र बनाए हैं। TOPS ने 150 से अधिक शीर्ष एथलीट्स को विदेशी प्रशिक्षण, उन्नत उपकरण और वैज्ञानिक समर्थन दिया है। SAI ने देश भर में 100 से अधिक प्रशिक्षण केंद्रों में लगभग 1.2 लाख युवाओं को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया है।

पीवी सिंधु और सोशल मीडिया की भूमिका

बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने इंस्टाग्राम पर एक रील जारी करते हुए कहा, “हेलो इंडिया, यह राष्ट्रीय खेल दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि याद दिलाने का एक मौका है कि खेल हमें स्वस्थ, मजबूत और एक दूसरे से जुड़ा रखता है।” उन्होंने #NationalSportsDay2025 हैशटैग के साथ लाखों युवाओं को शामिल होने के लिए प्रेरित किया। यह अभियान ने सोशल मीडिया पर लगभग 2.3 मिलियन इंटरैक्शन दर्ज किए।

असली चुनौती: आंकड़ों के पीछे की सच्चाई

माय भारत पोर्टल पर आंकड़े दिखाते हैं कि रिपोर्टिंग अवधि तक कोई संगठन, कोई घटना और कोई तस्वीर या वीडियो अपलोड नहीं हुआ। यह एक बड़ी चिंता है। क्योंकि जब एक राष्ट्रीय अभियान का डिजिटल रिकॉर्ड शून्य हो, तो उसका मतलब है कि या तो लोग जुड़ नहीं पाए, या फिर रिकॉर्डिंग की प्रणाली खराब है। यह एक ऐसी असफलता है जिसे भविष्य में ठीक किया जाना चाहिए।

भविष्य की राह: 2028 ओलंपिक्स की तैयारी

इस उत्सव का असली लक्ष्य 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक्स के लिए भारत की तैयारी है। TOPS के तहत अब तक 47 एथलीट्स ने विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। अगले तीन सालों में यह संख्या दोगुनी होने की उम्मीद है। यह उत्सव न केवल एक दिन का त्योहार है, बल्कि एक ऐसा जन आंदोलन है जो देश के युवाओं को खेलों की ओर ले जा रहा है — न केवल पदक के लिए, बल्कि जीवन के लिए।

क्या अब तक कुछ बदला?

2012 में राष्ट्रीय खेल दिवस को आधिकारिक रूप देने के बाद से, देश में खेल के लिए बजट 400% बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के लिए उपलब्ध सुविधाओं में 72% की वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी 63% गाँवों में खेल के लिए कोई खुला मैदान नहीं है। यही असली चुनौती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाया जाता है?

राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को मनाया जाता है क्योंकि यह मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्मदिन है। उन्होंने भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाए और हॉकी के इतिहास में एक अद्वितीय नाम बनाया। इस दिन को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का उद्देश्य खेलों के महत्व को जागरूक करना और युवाओं को खेलों की ओर आकर्षित करना है।

खेलो इंडिया और TOPS में क्या अंतर है?

खेलो इंडिया ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए एक व्यापक खेल विकास कार्यक्रम है, जो बेसिक स्किल्स और टैलेंट डिस्कवरी पर ध्यान देता है। दूसरी ओर, टारगेट ओलंपिक पॉडियम योजना (TOPS) सिर्फ शीर्ष 150 एथलीट्स के लिए है, जिन्हें विश्व स्तरीय प्रशिक्षण, वैज्ञानिक समर्थन और विदेशी प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर दिया जाता है।

पीवी सिंधु जैसे खिलाड़ियों की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

पीवी सिंधु जैसे खिलाड़ी खेल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके सोशल मीडिया पोस्ट लाखों युवाओं तक पहुँचते हैं, जो सरकारी अभियानों की तुलना में अधिक प्रभावी होते हैं। उनकी व्यक्तिगत कहानी — एक छोटे शहर से ओलंपिक पदक तक — प्रेरणा का स्रोत है।

2028 ओलंपिक्स के लिए भारत की तैयारी कैसे हो रही है?

TOPS के तहत अब तक 47 एथलीट्स ने विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। अब उन्हें विशेष रूप से लॉस एंजिल्स के लिए तैयार किया जा रहा है — जिसमें विदेशी कोच, डेटा एनालिटिक्स और मानसिक तैयारी शामिल है। भारत का लक्ष्य 2028 में 40 से अधिक पदक जीतना है।

क्या ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को वास्तविक रूप से बढ़ावा मिल रहा है?

हाँ, लेकिन अधूरा। खेलो इंडिया के तहत 10,000 से अधिक गाँवों में खेल केंद्र बने हैं, लेकिन उनमें से केवल 38% में नियमित प्रशिक्षण हो रहा है। अधिकांश केंद्रों में खेल के सामान नहीं होते, या फिर कोच नहीं होते। यही वह खाई है जिसे भरना होगा।

राष्ट्रीय खेल दिवस के बाद क्या होगा?

इस दिन के बाद भी खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में हफ्ते में एक दिन खेल अनिवार्य होगा। राज्य सरकारों को भी अपने बजट में खेलों के लिए 15% अनुदान देना अनिवार्य किया गया है। अगले छह महीनों में एक नया डिजिटल पोर्टल लॉन्च होगा, जहाँ युवा अपने खेल के वीडियो अपलोड कर सकेंगे और उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।

टिप्पणि (9)

  • sandeep singh

    sandeep singh

    20 11 25 / 10:25 पूर्वाह्न

    ये सब नाटक है! जब गाँव में खेलने के लिए एक भी गेंद नहीं, तो नई दिल्ली में मोंडो ट्रैक बनाने का क्या फायदा? सरकार बस फोटोज़ और वीडियोज़ के लिए खेल दिवस मनाती है, जबकि असली खिलाड़ी गरीबी में दौड़ रहे हैं।

  • Sumit Garg

    Sumit Garg

    22 11 25 / 06:26 पूर्वाह्न

    आप सभी यहाँ भावनात्मक बहस कर रहे हैं, लेकिन क्या किसी ने डिजिटल रिकॉर्डिंग के शून्य स्तर का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है? यह एक असंभव संभावना है - एक राष्ट्रीय अभियान के लिए कोई भी डिजिटल ट्रेस न होना, या तो एक जानबूझकर डेटा छिपाने की योजना है, या फिर एक गहरी ब्यूरोक्रैटिक विफलता। यह आँकड़े नहीं, बल्कि एक संकेत हैं।

  • Sneha N

    Sneha N

    22 11 25 / 20:19 अपराह्न

    मैं बस यह सोचकर रो पड़ी... जब पीवी सिंधु ने अपनी रील शेयर की, तो मुझे लगा जैसे मेरे अपने सपनों की आवाज़ सुनाई दी। वो एक छोटे शहर की लड़की थी, और आज वो दुनिया को बदल रही है। 🌸 ये दिन मुझे याद दिलाता है कि हर बच्ची के अंदर एक सिंधु छिपी है।

  • Manjunath Nayak BP

    Manjunath Nayak BP

    24 11 25 / 09:44 पूर्वाह्न

    सुनो, ये सब खेलों का बहाना है - सच तो ये है कि सरकार को अपनी राजनीतिक छवि बनाने के लिए एक बड़ा इवेंट चाहिए था, और ध्यानचंद का नाम उन्होंने इसके लिए बेच दिया। TOPS वाले एथलीट्स को तो विदेश में बुलाया जाता है, लेकिन गाँव के बच्चे को तो एक फुटबॉल भी नहीं मिलता। और फिर ये सब इंस्टाग्राम पर वीडियो बनाकर फैलाया जाता है! ये नहीं है खेल का विकास, ये तो एक डिजिटल धोखा है।

  • Tulika Singh

    Tulika Singh

    24 11 25 / 12:47 अपराह्न

    खेल जीवन का हिस्सा है, न कि पदकों का बाजार। यह दिन याद दिलाता है कि असली जीत वह है जब कोई बच्चा खेलना चाहता है - चाहे उसके पास गेंद हो या न हो।

  • naresh g

    naresh g

    25 11 25 / 17:51 अपराह्न

    क्या आपने ध्यान दिया? मंडविया ने खुद ट्रैक पर दौड़ा - लेकिन क्या उन्होंने वास्तव में एक घंटे तक दौड़ा? या यह भी एक फोटो ऑपरेशन था? और फिर, जब तक गाँवों में खेल के लिए बारिश के बाद भी बाँस की छड़ी से खेलने की सुविधा नहीं है, तो ये सब बस शहरी लोगों के लिए एक फैशन है - जिसका रिकॉर्डिंग नहीं होता, क्योंकि वहाँ कोई फोन नहीं है!

  • Brajesh Yadav

    Brajesh Yadav

    26 11 25 / 18:20 अपराह्न

    ये सब बकवास है! जब तक हम अपने बच्चों को बाहर खेलने की जगह नहीं देंगे, बल्कि उन्हें फोन पर घंटों बैठा देंगे - तो ये उत्सव भी बस एक झूठ होगा! लोगों को जागना होगा! अपने बच्चों को बाहर निकालो! जब तक ये नहीं होगा, तब तक कोई पदक नहीं आएगा! 😡🔥

  • Govind Gupta

    Govind Gupta

    26 11 25 / 18:45 अपराह्न

    मैं एक छोटे शहर का शिक्षक हूँ - हमारे स्कूल में खेल के लिए एक छोटा सा मैदान है, और बच्चे रोज़ वहाँ आते हैं। न तो हमारे पास मोंडो ट्रैक है, न ही कोई विदेशी कोच, लेकिन वो खेलते हैं। ये उत्सव बड़े शहरों के लिए है - लेकिन असली जीत वहाँ है जहाँ बच्चे बिना गेंद के भी खेलते हैं।

  • tushar singh

    tushar singh

    28 11 25 / 03:54 पूर्वाह्न

    हर छोटी शुरुआत बड़ी यात्रा का हिस्सा होती है। शायद आज एक गाँव का बच्चा बाँस की छड़ी से खेल रहा है - कल वही बच्चा ओलंपिक पदक लेकर वापस आएगा। हमें बस उसके साथ चलना है। आज का दिन उसकी शुरुआत है - और वो शुरुआत अभी भी जीवित है। 💪❤️

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