Nag Panchami 2025: नाग पूजा, तिथि, विधि और इसका महत्व

Nag Panchami 2025: नाग पूजा, तिथि, विधि और इसका महत्व

नाग पंचमी 2025: तारीख, महत्व और पूजा विधि

भारतीय संस्कृति में नागों का सम्मान एक पुरानी परंपरा रही है। साल 2025 में Nag Panchami 2025 मंगलवार, 29 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन खास तौर पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। पंचमी की तिथि इस बार 28 जुलाई की शाम शुरू होकर 30 जुलाई की सुबह तक चलने वाली है, मगर पूजा के लिए सबसे शुभ दिन 29 जुलाई को ही माना गया है।

पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 5:41 बजे से 8:23 बजे तक है। यह समय लगभग 2 घंटे 43 मिनट का रहेगा। कहा जाता है इस दौरान सकारात्मक और सात्त्विक ऊर्जा सबसे ज्यादा होती है, इसलिए नाग पूजा के लिए यही अवधि सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। पश्चिम भारत के गुजरात जैसे राज्यों में यह पर्व अलग पंचांग के चलते 13 अगस्त, 2025 को मनाया जाएगा।

क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी?

हिंदू धर्म में नागों को बहुत खास दर्जा मिला है। शेष नाग, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक जैसे नागों को देवता स्वरूप माना जाता है। नीति और धर्म की किताबों में भी नागों का सम्मान करने की सलाह दी जाती है। पुराने जनमान्यताओं के अनुसार, नाग देवता की पूजा करने से सर्प दोष दूर होता है, परिवार में सुख-शांति आती है और जीवन में समृद्धि का मार्ग खुलता है।

इसके अलावा नाग पंचमी का एक भावनात्मक पहलू भी है। इस दिन महिलाएं अपने भाई की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हैं। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में नाग मंदिरों में जाकर दूध, पुष्प और चंदन अर्पित करने की परंपरा है। कुछ जगहों पर जीवित नागों को भी श्रद्धा से दूध पिलाया जाता है, लेकिन आमतौर पर प्रतीक स्वरूप नाग प्रतिमा या चित्र की पूजा होती है।

पूजन विधि में सबसे पहले पूजा स्थान को साफ किया जाता है। फिर वहां नाग देवता की तस्वीर या मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पूजा में दूध, चावल, पुष्प, चंदन, दूर्वा आदि अर्पित किए जाते हैं। नाग मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा की जाती है। खास मंत्रों में 'ॐ तत्सत् शेषनागाय नमः' और 'ॐ नमः शिवाय' सबसे ज्यादा बोले जाते हैं।

  • सर्प देवता और प्रकृति के प्रति सम्मान
  • दूध, पुष्प और चंदन का अर्पण
  • नाग पूजा के खास मंत्रों का उच्चारण
  • भाई की सलामती के लिए स्त्रियों की प्रार्थना

आधुनिक जीवन में भले ही लोग नागों से दूर रहते हों, पर नाग पंचमी का त्योहार आज भी सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण बना हुआ है। पर्व केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह प्रकृति, जीव-जंतुओं और मानवीय भावनाओं के बीच तालमेल का प्रतीक है।

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