इंग्लैंड की Nat Sciver-Brunt ने 15 दिसंबर 2024 को Bloemfontein के Mangaung Oval में इतिहास रचा। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केवल 96 गेंदों में शतक बनाकर उन्होंने 26 साल पुरानी महिला टेस्ट रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जो पहले शमीनी सेनविरतन (1998) ने 106 गेंदों में सेट किया था। इस जीत ने न सिर्फ मैच का रुख बदला, बल्कि महिलाओं के टेस्ट क्रिकेट में आक्रमण शैली का नया मानक स्थापित किया।
मैच की शुरुआत में इंग्लैंड 103/2 पर खडी थी, जब हेथर नाइट का आउट हो गया। Sciver-Brunt ने तुरंत क्रीज में कदम रखा और Maia Bouchier के साथ साझेदारी बनाकर गेंदबाजों को अभ्यस्त कर दिया। Bouchier ने अपने पहले टेस्ट शतक को 124 गेंदों में बनाया, जो उस समय इंग्लैंड की सबसे तेज़ शतक भी थी। दोनों ने मिलकर 174 रन का साझेदारी लिखी, जिससे दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाजों की योजनाएँ बिखर गईं।
Sciver-Brunt ने पहले 46 गेंदों में आधा शतक पूरा किया, फिर धाकड़ रेट बढ़ाते हुए 96वें गेंद पर दो रन ले कर शतक की पावती ली। अंत में उन्होंने 145 गेंदों पर 128 रन बनाए, जिसमें 18 चौके और कई तेज़ रनों से दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए। उनका खेल तकनीकी सटीकता और आक्रमक सोच दोनों का मिश्रण था, जो टेस्ट क्रिकेट में अक्सर नहीं देखा जाता।
इस पारी ने महिलाओं के टेस्ट में तेज़ शतक की लीडरबोर्ड को पूरी तरह बदल दिया। अब शीर्ष तीन इस तरह दिखाई देती हैं:
Sciver-Brunt का इस रिकॉर्ड को तोड़ना कई बातों को उजागर करता है। पहला, आजकल की महिला खिलाड़ियों की शारीरिक शक्ति और तकनीकी कुशलता पहले से कहीं अधिक है। दूसरा, टेस्ट फ़ॉर्मेट में भी टी-20 जैसी आक्रमण शैली अब असामान्य नहीं रही। तीसरा, इंग्लैंड की महिला टीम में अब एक नई पीढ़ी की बल्लेबाज़ी देखने को मिल रही है, जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा को और भी तीव्र बना रही है।
मैच के बाद इंग्लैंड को 345 रन की मजबूत स्थिति मिली, जिससे उनके जीत की संभावनाएँ बढ़ गईं। दक्षिण अफ्रीका की टीम ने भी कुछ हद तक कमर कस ली, लेकिन Sciver-Brunt की तेज़ पकड़ ने उन्हें काफी हद तक पछाड़ दिया। इस जीत के साथ इंग्लैंड की महिला टीम की रैंकिंग में भी सुधार की संभावना है, और यह पारी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी कि वे भी टेस्ट की लम्बी अवधि में आक्रमक खेल दिखा सकें।
भविष्य में अगर ऐसे रिकॉर्ड जारी रहे तो महिला टेस्ट क्रिकेट को नई दर्शकों की संख्या मिल सकती है, जिससे इस फ़ॉर्मेट की व्यावसायिक संभावनाएँ भी बढ़ेंगी। इन बदलावों को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय बोर्डों को जल्द ही टेस्ट शेड्यूल को अधिक आकर्षक बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
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