NEET UG 2025 के छात्रों के लिए मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा। मद्रास हाईकोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें चेन्नई के चार सेंटर्स पर बिजली जाने (पावर कट) की वजह से दोबारा परीक्षा कराने और रिजल्ट रोकने की मांग की गई थी। जस्टिस सी कुमारप्पन ने साफ कर दिया कि NTA (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी या गलत इरादा नहीं दिखा। अब NEET UG 2025 का रिजल्ट तय शेड्यूल के मुताबिक जारी किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दावा किया था कि परीक्षा के दौरान लाइट चली गई थी, जिससे छात्र-छात्राओं का परफॉरमेंस प्रभावित हुआ। वो चाहते थे कि इन चार सेंटर्स के छात्रों के लिए दोबारा एग्जाम हो। इस पर कोर्ट ने कहा, 'अगर इधर-उधर की समस्याओं के लिए बार-बार रि-एग्जाम के आदेश दिए गए, तो 22 लाख छात्रों के साथ अन्याय होगा जो पूरे देश में परीक्षा दे चुके हैं।' कोर्ट ने ये भी साफ किया कि पावर कट जैसी छोटी वजहों के कारण इतनी बड़ी परीक्षा में दोबारा समान अवसर बनाने का कोई आधार नहीं है।
इससे पहले कोर्ट ने 17 मई को रिजल्ट पर रोक लगाई थी ताकि याचिकाओं की पूरी सुनवाई हो सके। अब 6 जून को सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी दलीलें सुनने के बाद रोक को हटा लिया है। इसका मतलब है कि NTA अब NEET UG के नतीजे 14 जून तक जारी कर सकती है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि NTA की पूरी परीक्षा प्रक्रिया में कोई दुर्भावना नहीं थी और उन्होंने सवा दो करोड़ कैंडिडेट्स के लिए एक जैसे अवसर बनाए रखने की कोशिश की। इसी मसले पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट भी पहले ये फैसला दे चुका है कि सिर्फ उन उम्मीदवारों की अंकों की घोषणा रोकी जाए, जो इंदौर के बिजली कटौती से सीधे प्रभावित हुए हैं—बाकी सभी का रिजल्ट समय पर जारी किया जाए।
देशभर में लाखों छात्र सालभर से इस परीक्षा का इंतजार करते हैं। ऐसे में कुछ सेंटर पर बिजली कटौती जैसी समस्याओं के लिए सबके रिजल्ट रुकना या रि-एग्जाम संभव नहीं है। कोर्ट के ताजा फैसले से पूरे देश के अभ्यर्थियों की अनिश्चितता अब खत्म हो गई है और सबकी निगाहें NTA के ऑफिसियल रिजल्ट की ओर टिक गई हैं।
Rajesh Khanna
10 06 25 / 21:26 अपराह्नअंततः एक अच्छा फैसला! ये लोग बिजली कटने के नाम पर हर बार रि-एग्जाम की मांग करते हैं, लेकिन देशभर में 22 लाख छात्रों का भविष्य नहीं बर्बाद किया जा सकता। नेटा की मेहनत की तारीफ है। 🙌
Sinu Borah
12 06 25 / 11:37 पूर्वाह्नअरे भाई, ये सब फैसले तो सिर्फ टीवी पर दिखाने के लिए होते हैं। क्या तुम्हें लगता है कि जब बिजली चली गई तो छात्र का दिमाग भी बंद हो गया? क्या वो अपने दिमाग से नहीं लिख सकता था? ये नेटा भी तो नियम बनाते हैं और फिर उन्हें तोड़ते हैं। अगर एक सेंटर में बिजली गई तो वहां के बच्चों को दोबारा देना ही चाहिए, नहीं तो ये सिस्टम ही बेकार है। ये जो फैसला आया, वो बस एक धोखा है जिसे लोगों को समझाने के लिए बड़े-बड़े शब्द लगाए गए हैं।
Sujit Yadav
14 06 25 / 09:09 पूर्वाह्नThe judiciary has rendered a jurisprudentially sound decision, grounded in the principle of equitable access and systemic integrity. To grant re-examinations on the basis of localized power outages would set a precedent tantamount to institutional anarchy. The NTA, despite logistical constraints, maintained procedural neutrality across 2.2 crore candidates. This is not merely administrative efficiency-it is a moral imperative. The dissenting voices, often emotionally charged, fail to recognize the structural asymmetry inherent in such demands. 🤔📚⚖️
Kairavi Behera
14 06 25 / 17:46 अपराह्नअगर तुम्हारी बिजली चली गई तो बहुत दुख हुआ, लेकिन सोचो कि देश के दूसरे कोने में बैठा एक लड़का जिसने पूरा साल तैयारी की, उसका भी तो भविष्य है। ये फैसला बहुत बड़ा है। अब बस रिजल्ट का इंतजार करो, और अगर तुम्हारा नंबर अच्छा आया तो खुश हो जाओ, अगर नहीं आया तो फिर से कोशिश करो। तुम अकेले नहीं हो। 💪
Aakash Parekh
16 06 25 / 15:19 अपराह्नफैसला तो आ गया, अब बस रिजल्ट आएगा तो बात बन जाएगी। बस अब तक तो बहुत देर हो गई।
Sagar Bhagwat
16 06 25 / 20:33 अपराह्नअरे यार, ये सब तो बस नेटा के लिए आसान रास्ता निकालने की कोशिश है। अगर बिजली चली गई तो वो छात्र तो टेंशन में रह गया, उसका मन भी खराब हो गया। लेकिन अच्छा हुआ, अब लोगों को पता चल गया कि ये सिस्टम कितना बेकार है। अगली बार तो हमें ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
Jitender Rautela
16 06 25 / 20:38 अपराह्नये जो बच्चे बिजली कटने के नाम पर रि-एग्जाम मांग रहे थे, वो तो बस लायक नहीं थे। अगर तुम्हारी बिजली चली गई तो तुम्हें घर पर बैठकर भी पढ़ना चाहिए था। ये सिस्टम तो बहुत अच्छा है, जिसने भी अपनी तैयारी की, वो आगे बढ़ेगा। बाकी जो रो रहे थे, वो अपनी बुद्धि को भी बंद कर दें। 😒
abhishek sharma
18 06 25 / 02:00 पूर्वाह्नहम सब जानते हैं कि बिजली कटना एक बड़ी बात नहीं है... लेकिन अगर एक बच्चे का दिमाग उसी पल बंद हो गया, तो उसका दिन खत्म हो गया। ये फैसला तो लॉजिकल है, लेकिन इंसानी है? नहीं। हम जिस बात को रोज़ देखते हैं-जैसे किसी के घर में बिजली नहीं, या बच्चे टॉर्च के रोशनी में पढ़ते हैं-उसका इस फैसले से क्या लेना-देना? अगर ये सिस्टम इतना फेल है कि एक बिजली कटौती से पूरा एग्जाम बर्बाद हो जाए, तो क्या हमें उसकी जगह बदलने की बजाय, बच्चों को बस चुपचाप बैठने को कहना चाहिए? ये न्याय नहीं, ये बर्बरता है।
Surender Sharma
19 06 25 / 17:00 अपराह्नnta ne to bas apni piche ki galti ko cover karne ke liye yeh faisla kiya hai... koi real solution nahi hai... bas sabko chill karne ke liye yeh sab bol diya... result aayega toh phir bhi koi kuch nahi bolo ga...