भारतीय ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक एथलेटिक्स मीट से भाग न लेने के अपने निर्णय पर स्पष्टीकरण देते हुए सभी संभावित अटकलों को समाप्त कर दिया है। आयोजकों की तरफ से पहले यह कहा गया था कि नीरज घायल हो गए हैं, लेकिन नीरज ने इस बात का खंडन किया है। उन्होंने 26 मई को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में स्पष्ट किया कि वह घायल नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हाल ही में एक थ्रोइंग सेशन के दौरान अपने एडडक्टर में कुछ महसूस किया जिसके कारण उन्होंने सावधानी बरतने का निर्णय लिया।
नीरज का यह फैसला इस साल के महत्वपूर्ण ओलंपिक ग्रीष्मकालीन खेलों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा कि वे फिलहाल किसी गंभीर चोट से ग्रस्त तो नहीं हैं लेकिन वह किसी भी प्रकार के जोखिम को वहन नहीं कर सकते, विशेषकर तब जब वे ओलंपिक खेलों में अपने खिताब का बचाव करने की तैयारी कर रहे हैं। नीरज ने कहा कि सही तरीके से वापस आना उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण है और जब तक वह पूर्ण रूप से स्वस्थ महसूस नहीं करेंगे, तब तक वह प्रतिस्पर्धाओं में भाग नहीं लेंगे।
नीरज चोपड़ा का खेल करियर बहुत ही प्रेरणादायक रहा है। अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन विश्व चैम्पियन बन पाएंगे। उनका मानना है कि विश्वास और मेहनत से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। नीरज ने पहले भी बताया है कि वह किस तरह आत्म-संदेह से आगे बढ़कर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने में सफल हो पाए।
नीरज चोपड़ा का स्वास्थ्य और ट्रेनिंग इस समय उनके ओलंपिक अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके कोच और सपोर्ट टीम उन्हें हर समय फिट रहने और किसी भी प्रकार की चोट से बचने की दिशा में मार्गदर्शन कर रहे हैं। नीरज का कहना है कि किसी भी चोट से बचने और सुरक्षित रहते हुए खुद को अपनी सर्वोत्तम स्थिति में लाना उनकी प्राथमिकता है।
नीरज चोपड़ा ने यह भी कहा कि वह वापस प्रतिस्पर्धाओं में लौटने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और उनकी नजरें आगामी प्रतियोगिताओं पर टिकी हैं। वह बहुत जल्द ही ट्रेनिंग में पूरी मेहनत से जुट जाएंगे ताकि उनकी तैयारी में कोई कमी न रह जाए।
नीरज चोपड़ा के प्रशंसक और समर्थक उनके इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि नीरज अपनी पूरी क्षमता के साथ ओलंपिक में वापसी करेंगे। नीरज का मानना है कि अपने प्रशंसकों के समर्थन से वह हर कठिनाई का सामना कर सकते हैं और उन्हें विश्वास है कि उनका यह निर्णय उनके ओलंपिक मिशन में सफल साबित होगा।
भारतीय ओलंपिक दल के लिए नीरज चोपड़ा एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और उनके प्रदर्शन पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। नीरज का लक्ष्य है कि वे ओलंपिक में अपने स्वर्ण पदक का बचाव करें और भारत के लिए और भी गौरवशाली पल लेकर आएं। यह निर्णय किसी भी चोट को टालते हुए ओलंपिक में अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की दिशा में लिया गया महत्वपूर्ण कदम है।
संक्षेप में, नीरज चोपड़ा का ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक एथलेटिक्स मीट से बाहर रहना एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय है ताकि वे भविष्य में अपने फिटनेस को बनाये रखते हुए ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर सकें।
Surender Sharma
29 05 24 / 17:15 अपराह्नye toh bas bhaag raha hai competition se, injury ka bhi koi proof nahi hai
nasser moafi
30 05 24 / 00:15 पूर्वाह्नbro nirej ne jo socha wohi sahi hai 😌💪 ओलंपिक के लिए तो बहुत ज्यादा तैयारी करनी है, एक छोटी सी चोट भी बड़ी मुसीबत बन सकती है। हम उनका साथ देते हैं 🇮🇳❤️
abhishek sharma
30 05 24 / 20:47 अपराह्नअरे यार, ये सब तो बस एक और बड़ा खिलाड़ी अपनी बीमारी के नाम पर छुट्टी ले रहा है। जब तक वो अपनी ट्रेनिंग का रिकॉर्ड नहीं दिखाता, तब तक मैं इसे बस एक बहाना समझूंगा। लेकिन फिर भी... अगर वो ओलंपिक में जीत गया तो मैं उसके लिए बैंगलोर से एक जानवर का नाम बदल दूंगा। जिसका नाम है 'राम शर्मा'। वो तो अब नीरज चोपड़ा हो जाएगा।
मैंने उसकी ट्रेनिंग की वीडियो देखी थी। वो तो एकदम साफ-सुथरा था। उसके पैरों की हर चाल में एक अलग ही गति थी। उसकी टॉस की गति तो ऐसी थी जैसे कोई बादल उड़ रहा हो।
लेकिन अब ये सब बातें बेकार हैं। क्योंकि अगर वो ओलंपिक में नहीं जाएगा तो हमारे देश का एक बड़ा टाइम टेबल खाली हो जाएगा।
हम लोगों को ये नहीं चाहिए कि कोई बड़ा खिलाड़ी अपनी बीमारी के नाम पर छुट्टी ले।
हम चाहते हैं कि वो अपनी पूरी क्षमता के साथ खेले।
अगर वो चोट लगी है तो उसका इलाज करवाएं।
अगर वो नहीं लगी है तो वो खेले।
हम भारत के लिए खेल रहे हैं।
हम ओलंपिक के लिए खेल रहे हैं।
हम अपने देश के लिए खेल रहे हैं।
और अगर वो नहीं खेलेगा तो हम उसके लिए भी खेलेंगे।
क्योंकि हम भारतीय हैं।
और हम जीतने के लिए खेलते हैं।
Saravanan Thirumoorthy
31 05 24 / 15:40 अपराह्नअगर नीरज ने नहीं खेला तो भारत नहीं जीतेगा ये बात तो सब जानते हैं
Tejas Shreshth
31 05 24 / 18:01 अपराह्नइस निर्णय को देखकर मुझे लगता है कि आधुनिक खिलाड़ी अपने शरीर को एक टेम्पल की तरह समझने लगे हैं... जैसे कि वो किसी दिव्य अवतार के अवशेष हैं। एक थ्रो भी अगर गलत हुआ तो वो विश्व के बचाव के लिए एक नया युग शुरू कर देता है। क्या हमने कभी सोचा कि ये जो बातें हम कर रहे हैं... वो सच में खेल की बात हैं या फिर एक नए धर्म की शुरुआत?
Hitendra Singh Kushwah
1 06 24 / 18:35 अपराह्नअगर ये निर्णय ओलंपिक के लिए सही है तो फिर ओस्ट्रावा क्यों चाहिए? बस एक ट्रायल था।
Divya Tiwari
2 06 24 / 19:10 अपराह्नमैं रो रही हूँ... नीरज को ऐसा करना पड़ रहा है... ये देश क्या हो गया? एक खिलाड़ी को अपनी जिंदगी के सबसे बड़े दिन पर रुकना पड़ रहा है... और हम सब बस बातें कर रहे हैं। क्या हम इतने निर्दयी हो गए हैं?
shubham rai
3 06 24 / 14:05 अपराह्नठीक है बस खेल नहीं लगा... अब जल्दी से ठीक हो जाओ
Nadia Maya
5 06 24 / 06:22 पूर्वाह्नइस निर्णय को देखकर मुझे लगता है कि आज के खिलाड़ी अपने शरीर को एक राष्ट्रीय धरोहर की तरह समझते हैं... जैसे कि वो किसी देवता के अवतार हैं। एक छोटी सी चोट भी अगर हो जाए तो वो एक राष्ट्रीय आपातकाल बन जाता है। क्या हम भूल गए कि खेल तो जीवन है, जिसमें चोट भी आती है?
Nitin Agrawal
6 06 24 / 12:09 अपराह्नये तो बस डर रहा है ना अपने खिताब से लड़ने से... ओस्ट्रावा तो बस एक ट्रायल था
Gaurang Sondagar
8 06 24 / 00:10 पूर्वाह्नहमारे देश के लिए खेलना है तो चोट लगे या न लगे खेलना ही है
Ron Burgher
9 06 24 / 12:43 अपराह्नअगर तुम्हारा खेल तुम्हारी जिंदगी है तो चोट लगे या न लगे तुम्हें खेलना ही है... तुम खेल नहीं रहे तुम बच रहे हो
kalpana chauhan
9 06 24 / 13:09 अपराह्नहम सब नीरज के साथ हैं ❤️ ये फैसला उसकी बुद्धिमत्ता का प्रमाण है। ओलंपिक तो बस एक दिन का खेल नहीं है... ये तो एक जीवन भर का संघर्ष है। जल्दी ठीक हो जाओ नीरज! 🇮🇳💪
Prachi Doshi
9 06 24 / 19:42 अपराह्नसही फैसला है। स्वास्थ्य सबसे पहले।
Karan Kacha
10 06 24 / 19:37 अपराह्नमैं इस निर्णय को देखकर बहुत प्रभावित हुई... नीरज ने अपने शरीर को एक मंदिर की तरह समझा है... और इसलिए वो अपने आप को इतना संवेदनशील बनाए रख रहा है। क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक खिलाड़ी अपने शरीर को इतना संरक्षित करता है... तो क्या वो अपने आप को एक देवता के अवतार की तरह नहीं समझता? वो जानता है कि उसकी हर चाल, हर फेंक, हर छलांग... न केवल अपने लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रतीक है। इसलिए वो नहीं खेल सकता... क्योंकि वो जानता है कि अगर वो खेलता है और चोट लग जाती है तो वो न केवल अपने लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक आपदा बन जाएगा। और ये निर्णय... ये निर्णय एक विश्व चैम्पियन की बुद्धिमत्ता का प्रमाण है। नीरज के लिए खेलना तो बस एक काम है... लेकिन अपने शरीर को सुरक्षित रखना... ये तो एक धर्म है।
vishal singh
12 06 24 / 03:04 पूर्वाह्नअरे भाई, ये सब बहाना है। तुम लोगों को नहीं पता कि ये खिलाड़ी कितने लालची हो गए हैं। जब तक वो नहीं खेलेंगे तब तक तुम नहीं रुकोगे।
abhishek sharma
12 06 24 / 07:40 पूर्वाह्नतुम लोग बस यही बात कर रहे हो कि नीरज ने खेलना छोड़ दिया... लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि अगर वो खेल गया और चोट लग गई तो ओलंपिक में उसकी जगह कौन लेगा? क्या तुम वहां जाकर खुद फेंकोगे? या फिर तुम बस अपने फोन पर लिखोगे कि 'अच्छा फैसला'?
मैं तो ये कहूंगा कि नीरज ने अपने आप को एक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में समझा है। वो जानता है कि अगर वो खेल गया और चोट लग गई तो वो न केवल अपने लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक आपदा बन जाएगा।
और ये निर्णय... ये निर्णय एक विश्व चैम्पियन की बुद्धिमत्ता का प्रमाण है।
अगर तुम लोग इसे समझ नहीं पा रहे हो तो शायद तुम्हें खेल नहीं समझना आता।
मैं नीरज के साथ हूं।
और मैं उसके इस फैसले को समर्थन करता हूं।
क्योंकि वो नहीं खेल रहा... वो बच रहा है।
और ये बचाव... ये बचाव ही विजय की शुरुआत है।