पैरालंपिक्स: बिना हाथों की तीरंदाज शीतल देवी ने पेरिस में विश्व रिकॉर्ड से चूकीं

पैरालंपिक्स: बिना हाथों की तीरंदाज शीतल देवी ने पेरिस में विश्व रिकॉर्ड से चूकीं

शीतल देवी का अद्वितीय प्रदर्शन

भारत की साहसी तीरंदाज शीतल देवी ने एक बार फिर से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बिना हाथों के तीरंदाज के रूप में प्रख्यात शीतल ने पेरिस 2024 पैरालंपिक्स के महिला व्यक्तिगत कंपाउंड प्रतियोगिता के रैंकिंग राउंड में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 29 अगस्त को हुए इस राउंड में शीतल ने 703 अंक प्राप्त कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। यह स्कोर पहले से मौजूद पैरालंपिक और विश्व रिकॉर्ड को तोड़ता है, लेकिन तुर्की की ओजनुर क्योर ने अपने अंतिम प्रयास में 704 अंक हासिल कर लिया और शीतल को शीर्ष स्थान से वंचित कर दिया।

कड़ी स्पर्धा

इस प्रतियोगिता में शीतल ने अपनी मेहनत और धैर्य से सभी को प्रभावित किया। रैंकिंग राउंड के दौरान वह हमेशा शीर्ष दो स्थानों पर ही बनी रहीं और प्रमुख प्रतियोगिता में ब्राजील की कारला गोगेल और तुर्की की ओजनुर क्योर जैसी तीरंदाजों को चुनौती दी। हालांकि, उनका अंतिम शॉट 9 अंक का रहा, जिससे ओजनुर को शीर्ष स्थान सुरक्षित करने का मौका मिल गया। जबकि पहले से विश्व रिकॉर्ड धारक फीबी पैटरसन ने 688 अंकों के साथ सातवें स्थान पर समाप्त किया।

शीतल का जीवन संघर्ष और प्रेरणा

शीतल का जीवन एक प्रेरणा की कहानी है। फोकोमेलिया नामक दुर्लभ जन्मजात स्थिति के कारण वह बिना हाथों के पैदा हुईं। 2021 में एक युवा कार्यक्रम में भारतीय सेना के कोचों द्वारा खोजे जाने के बाद, शीतल का तीरंदाजी में प्रशिक्षण शुरू हुआ। वह मैट स्टट्जमैन से प्रेरित हैं, जो खुद बिना हाथों के तीरंदाज हैं और जिन्होंने लंदन 2012 पैरालंपिक्स में रजत पदक जीता था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

शीतल ने केवल एक साल के भीतर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कौशल की पहचान बनाई। 2022 एशियाई पैरागेम्स में उन्होंने दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता। इसके अलावा, 2023 में चेक गणराज्य में हुए वर्ल्ड आर्चरी पैरा चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर उन्होंने पेरिस 2024 पैरालंपिक्स के लिए भारत को कोटा दिलाया।

आने वाली चुनौतियाँ

भविष्य में शीतल के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हैं लेकिन उनकी अब तक की यात्रा ने दिखाया है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास उन्हें और भी ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

भविष्य की प्रतियोगिताओं में शीतल के सामने असीमित संभावनाएँ होंगी और हमें विश्वास है कि वह भारत के लिए और भी गौरव लेकर आएंगी। उनके जैसे लोग समाज के लिए एक मजबूत प्रेरणा हैं और यह दिखाते हैं कि कोई भी शारीरिक कमी आपके सपनों को पूरा करने में बाधा नहीं बन सकती।

टिप्पणि (5)

  • shubham rai

    shubham rai

    31 08 24 / 21:33 अपराह्न

    703 अंक... और फिर भी दूसरे नंबर पर? अरे भाई, ये तो बस एक शॉट की दूरी थी। लेकिन फिर भी, ये पूरा प्रदर्शन देखकर लगता है जैसे कोई हवा को रोकने की कोशिश कर रहा हो। 🤷‍♂️

  • Nitin Agrawal

    Nitin Agrawal

    2 09 24 / 14:40 अपराह्न

    704 kya bhai?? kya yeh turki girl ne koi jadu kiya? shital ki toh toh koi baat hi nahi... phir bhi 703 pe bhi toh koi medal toh milna chahiye tha... bhai yeh score toh kisi normal insaan ke liye bhi mushkil hai

  • Gaurang Sondagar

    Gaurang Sondagar

    4 09 24 / 11:26 पूर्वाह्न

    हमारी बेटी ने दुनिया का रिकॉर्ड तोड़ा और फिर भी स्वर्ण नहीं मिला? ये दुनिया कैसे चल रही है? तुर्की के लिए तो ये बस एक शॉट था लेकिन हमारी शीतल ने अपने बिना हाथों के जीवन से दुनिया को सबक सिखाया। हम भारतीय हैं हमारे लिए जीत नहीं बल्कि अपनी जिद ही जीत है

  • kalpana chauhan

    kalpana chauhan

    6 09 24 / 01:33 पूर्वाह्न

    शीतल देवी की ये यात्रा देखकर लगता है कि जब इंसान अपने अंदर की आग को जलाता है तो कोई भी शरीर की सीमा उसे रोक नहीं सकती। उन्होंने न सिर्फ एक रिकॉर्ड बनाया बल्कि हर उस बच्चे के लिए एक नया सपना जगाया जो सोचता है कि उसके पास कुछ नहीं है। 💪❤️ भारत की गर्व की बेटी 🇮🇳

  • Ron Burgher

    Ron Burgher

    7 09 24 / 16:59 अपराह्न

    अरे ये लोग तो बस नियम बदल देते हैं जब उनकी जीत नहीं होती। अगर शीतल ने इतना अच्छा शूट किया तो फिर ये रिकॉर्ड कैसे नहीं माना जाता? कोई बाहरी फैक्टर तो नहीं था? इतनी मेहनत के बाद ये निराशा देखकर दिल टूट गया

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