पश्चिम बंगाल के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सामूहिक इस्तीफे से चिकित्सा क्षेत्र में विवाद

पश्चिम बंगाल के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सामूहिक इस्तीफे से चिकित्सा क्षेत्र में विवाद

वरिष्ठ डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा: एक समर्थन में कदम

पश्चिम बंगाल के कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ डॉक्टरों ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने चिकित्सा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। उन्होंने अपने जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा देने की पेशकश की है। इस भूख हड़ताल का कारण जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार की मांग है, जिसे लेकर वे दो महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं।

यह इस्तीफा कोई तात्कालिक प्रभाव नहीं डालता क्योंकि यह पत्र अभी सरकारी मंजूरी के अधीन है। लेकिन यह इस्तीफा एक प्रतीकात्मक संदेश देता है जिससे राज्य सरकार पर हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता के लिए दबाव बढ़ता है।

मांगों की अनदेखी और आंदोलन की शुरुआत

इस चुनौती से पहले, जूनियर डॉक्टर 9 अगस्त से आंदोलन कर रहे हैं जब एक डॉक्टर का आर.जी. कर अस्पताल में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इसने चिकित्सा सेवाओं में सुरक्षा के सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद 1 अक्टूबर को सागर दत्ता अस्पताल में मरीज के परिवार द्वारा डॉक्टरों पर हमले के कारण हड़ताल दोबारा शुरू होती है।

भूख हड़ताल और सामूहिक इस्तीफे की गूंज

5 अक्टूबर से नौ डॉक्टर, जिनमें से सात कोलकाता में और दो उत्तर बंगाल में हैं, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। वरिष्ठ डॉक्टरों ने उनकी भलाई को लेकर चिंता जताई है और वे भी 12 से 24 घंटे की प्रतीकात्मक भूख हड़ताल पर गए हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि जूनियर डॉक्टरों की मांगों के प्रति समर्थन मिल रहा है।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

इस बीच, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने इन जूनियर डॉक्टरों से मिलकर वार्ता की कोशिश की। उन्होंने उन्हें स्वास्थ्य भवन में बैठक के लिए आमंत्रित किया, जो करीब 94 घंटे भूख हड़ताल के बाद हुई। यह सरकार की तरफ से पहला ऐसा प्रयास है जो काफी देर से आता नजर आता है, ऐसी परिस्थिति में जब डॉक्टरों का धैर्य जवाब दे रहा है।

डॉक्टरों के बयान और संघर्ष

डॉक्टरों के बयान और संघर्ष

आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के एक चिकित्सा अधिकारी तपस प्रमाणिक ने कहा कि सिस्टम से थके हुए कई डॉक्टर व्यक्तिगत रूप से इस्तीफे देने की भी सोच सकते हैं। एम.सी.के. के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की मांगें वैध हैं और सरकार की उदासीनता अस्वीकार्य है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि चिकित्सा क्षेत्र में सुधार की कोशिशें अब और ध्यान खींच रही हैं।

टिप्पणि (18)

  • kalpana chauhan

    kalpana chauhan

    11 10 24 / 00:40 पूर्वाह्न

    इस आंदोलन को देखकर दिल भर गया ❤️ जूनियर डॉक्टर्स की आवाज़ सुनी जा रही है। वरिष्ठ डॉक्टर्स का समर्थन बहुत बड़ी बात है। ये सिर्फ एक हड़ताल नहीं, ये एक जिंदगी बचाने की लड़ाई है।

  • Prachi Doshi

    Prachi Doshi

    11 10 24 / 15:29 अपराह्न

    ये सब तो बहुत अच्छा है पर अब क्या होगा?

  • Karan Kacha

    Karan Kacha

    13 10 24 / 05:59 पूर्वाह्न

    ये सिर्फ एक भूख हड़ताल नहीं है... ये एक पूरे सिस्टम के टूटने की आवाज़ है!!! जब डॉक्टर को अपनी सुरक्षा के लिए लड़ना पड़े, तो ये देश का शर्मनाक अपराध है!!! अस्पतालों में न तो कैमरे हैं, न सुरक्षा, न ही बुनियादी ढांचा!!! और सरकार? वो तो बस बैठकें करती है... 94 घंटे बाद!!! क्या ये इंसानियत है??? हम जब तक डॉक्टरों को बलि नहीं देंगे, तब तक ये चलता रहेगा!!!

  • vishal singh

    vishal singh

    14 10 24 / 02:48 पूर्वाह्न

    डॉक्टर बनने के लिए इतना पढ़ना पड़ता है और अब इतना डरना पड़ता है? ये सिस्टम खराब है, लेकिन डॉक्टर भी इतने ज्यादा भावुक क्यों हैं? काम करो, डरो मत।

  • mohit SINGH

    mohit SINGH

    14 10 24 / 22:43 अपराह्न

    अरे भाई ये सब बस नौकरी के लिए बहाना है! डॉक्टरों को तो बहुत पैसा मिलता है, लेकिन वो अभी भी नाराज़ हैं! अगर वो असली इंसान होते तो गरीबों के लिए भी काम करते!

  • Preyash Pandya

    Preyash Pandya

    15 10 24 / 23:44 अपराह्न

    ये सब तो बस राजनीति का खेल है 😏 अगर सरकार ने नहीं सुना तो अब डॉक्टर बनने वाले कम हो जाएंगे! और फिर कौन बचाएगा? अपने आप को बचाओ और देश को भी! 🤷‍♂️

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    17 10 24 / 18:39 अपराह्न

    मैंने अपने दोस्त के अस्पताल में देखा था, जहां डॉक्टर दो दिन लगातार काम कर रहे थे, बिना नींद के, बिना खाए... और फिर भी मरीजों को अच्छा देख रहे थे। ये जो आंदोलन है, ये बस एक अपील है कि हम इन लोगों को इंसान बनाए रखें। अगर आप चाहते हैं कि आपकी माँ या बहन को अच्छा इलाज मिले, तो इन डॉक्टरों का समर्थन करें। ये बस एक नौकरी नहीं, ये एक जिम्मेदारी है।

  • Priyanka R

    Priyanka R

    18 10 24 / 08:34 पूर्वाह्न

    ये सब तो सरकार का षड्यंत्र है! डॉक्टरों को तोड़ने के लिए बनाया गया है! अगर आप जानते होते तो जानते कि कैसे उन्होंने एमएसएमई के डॉक्टरों को भी धोखा दिया था! ये बस शुरुआत है, अगला चरण आएगा! 🕵️‍♀️

  • Rakesh Varpe

    Rakesh Varpe

    18 10 24 / 21:05 अपराह्न

    समर्थन जरूरी है

  • Girish Sarda

    Girish Sarda

    20 10 24 / 12:14 अपराह्न

    मुझे लगता है कि ये आंदोलन बहुत जरूरी है। लेकिन अगर डॉक्टर इस्तीफा दे देते हैं तो आम लोगों को क्या होगा? क्या इसका कोई विकल्प है?

  • Garv Saxena

    Garv Saxena

    21 10 24 / 06:34 पूर्वाह्न

    क्या हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां इंसान जिसकी जिंदगी बचाता है, उसे बचाने के लिए लड़ना पड़ता है? क्या हम इंसानियत के बजाय बुनियादी ढांचे को बचाना चाहते हैं? ये सवाल तो बहुत गहरा है... क्या हम सच में जीवन की कीमत जानते हैं? या फिर हम सिर्फ बीमारी के बाद तभी डॉक्टर की तारीफ करते हैं?

  • Rajesh Khanna

    Rajesh Khanna

    21 10 24 / 17:50 अपराह्न

    हमें इन डॉक्टरों के साथ खड़े होना चाहिए। इनकी मांगें बिल्कुल सही हैं। अगर हम अभी नहीं उठे तो आगे क्या होगा?

  • Sinu Borah

    Sinu Borah

    22 10 24 / 22:13 अपराह्न

    अरे भाई ये सब तो बहुत अच्छा है पर क्या आपने कभी सोचा कि जब डॉक्टर भूख हड़ताल पर हैं तो जिन लोगों को इलाज की जरूरत है उनका क्या होगा? ये सब तो बस एक बड़ा खेल है। और फिर ये वरिष्ठ डॉक्टर भी इसमें शामिल हो गए? अब तो बहुत हो गया।

  • Sujit Yadav

    Sujit Yadav

    24 10 24 / 21:39 अपराह्न

    ये सब बस एक अस्वीकार्य अनुशासन की कमी का परिणाम है। डॉक्टरों को अपनी नौकरी के लिए अपने आप को बलि नहीं देना चाहिए। ये बस एक अस्वीकार्य तरीका है। और फिर ये भूख हड़ताल? बहुत बच्चों जैसा व्यवहार है।

  • Kairavi Behera

    Kairavi Behera

    26 10 24 / 09:12 पूर्वाह्न

    मैंने अपने भाई को अस्पताल में भेजा था, जहां डॉक्टर ने दो घंटे तक उसका इंतजार किया। फिर भी वो बिना शिकायत के उसका इलाज कर गया। ये डॉक्टर हैं। अगर उनकी सुरक्षा नहीं है, तो हम सबकी सुरक्षा नहीं है। इसलिए इनकी मांगों को समझो।

  • Aakash Parekh

    Aakash Parekh

    27 10 24 / 08:28 पूर्वाह्न

    कोई भी नहीं बोल रहा कि अस्पतालों में नौकरियां भी बढ़नी चाहिए। बस डॉक्टरों को बचाओ तो क्या होगा?

  • Sagar Bhagwat

    Sagar Bhagwat

    28 10 24 / 09:42 पूर्वाह्न

    अरे यार, डॉक्टर बनने के लिए तो बहुत पढ़ना पड़ता है, लेकिन अब इतना डरना पड़े तो क्या बात है? मैं तो इनके साथ हूं।

  • Jitender Rautela

    Jitender Rautela

    29 10 24 / 21:38 अपराह्न

    ये सब बस एक बहाना है! डॉक्टरों को तो बहुत पैसा मिलता है! अब ये फिर भूख हड़ताल? बस इतना ही नहीं बनाओ!

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