पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों के लिए हो रही चुनावी प्रक्रिया ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है। इस बार के चुनावी परिणाम न केवल राज्य की राजनीति में बदलाव का संकेत दे रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके असर की संभावनाएं उभर रही हैं। जनता के बीच इस बात को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है कि कौन-सी पार्टी बाजी मारेगी और कौन-से उम्मीदवार संसद में प्रवेश करेंगे।
मतगणना के शुरुआती रुझानों में बीजेपी और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर नजर आ रही है। बीजेपी 10 सीटों पर आगे है, जबकि टीएमसी 31 सीटों पर अपनी बढ़त बनाए हुए है। खास बात यह है कि कुछ क्षेत्रों में बेहद करीबी मुकाबला देखा जा रहा है, जैसे कि बहारामपुर और आसनसोल में। यहां दोनों पार्टियों के बीच टक्कर इतनी तगड़ी है कि कहना मुश्किल है कि अंतत: जीत किसकी होगी।
राजनीति में जीत का जश्न मनाने वालों की लिस्ट में कई नाम शामिल हो चुके हैं। टीएमसी के जेसी बसुनिया ने कूच बिहार से जीत हासिल की है, वहीं अलिपुरद्वार से बीजेपी के मनोज टिग्गा विजेता बनकर उभरे हैं। जलपाईगुड़ी से बीजेपी के डॉ. जयंत कुमार रॉय और दार्जिलिंग से राजू बिस्टा ने भी जीत दर्ज की है। यह जीत सिर्फ पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि राज्य की जनता के लिए नए विकास के मार्ग खोल सकती है।
इस बार के चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों का प्रदर्शन भी देखने लायक है। मालदा दक्षिणी से कांग्रेस के इशा खान चौधरी ने जीत दर्ज की है, जबकि टीएमसी के खलीलुर रहमान ने जंगीपुर से बाजी मारी है। टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने भी कृष्णानगर से जीत हासिल की है।
चुनाव से पहले आए एग्जिट पोल्स ने बीजेपी को टीएमसी से आगे दिखाया था। एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार, बीजेपी को 26-31 सीटें मिलने का अनुमान था, जबकि टीएमसी को 11-14 सीटों तक सीमित रहना पड़ सकता है। कांग्रेस के लिए पहले की दो सीटों का ही अंदाजा लगाया गया था जो इस बार भी बरकरार है।
लोकसभा चुनाव के अंतिम परिणाम का इंतजार पूरे देश की नजरों पर टिकी हुई है। मतगणना के अंतिम दौर में उम्मीद की जा रही है कि कई और क्षेत्रों से बीजेपी और टीएमसी के उम्मीदवारों के बीच जोरदार मुकाबले देखने को मिलेंगे। परिणाम के साथ ही राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है और इसके संभावित प्रभाव दूरगामी होंगे।
चुनाव परिणाम आने के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति को लेकर कई सवाल खड़े हो सकते हैं। नई सरकार बनने के साथ राज्य की विकास योजनाओं, जनता की अपेक्षाओं और सरकारी नीतियों में कितना बदलाव आएगा, इस पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका विशेष प्रभाव हो सकता है।
उम्मीद है कि जनता का फैसला राज्य के लिए शुभ होगा और नए विकास के दरवाजे खुलेगा। अंततः, लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह जनता के फैसले का सम्मान करता है और उसी के अनुसार नीति निर्धारण करता है।
Jitender Rautela
6 06 24 / 17:28 अपराह्नअरे भाई टीएमसी फिर से बर्बरी कर रही है! बीजेपी को तो बस अपनी बात बोलने दो, ये लोग तो सिर्फ घर बैठे नेटवर्क बनाते हैं। अब तो लोकतंत्र भी बंगाली अंदाज में चल रहा है।
abhishek sharma
8 06 24 / 14:40 अपराह्नअरे यार ये सब एग्जिट पोल्स तो बस एक बड़ी धोखेबाजी है। जब तक मतगणना खत्म नहीं होती, कोई भी बात नहीं माननी चाहिए। बीजेपी जो बोल रही है, वो तो बस अपने ट्रेंड को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। टीएमसी के जितने वोट आए हैं, वो असली हैं। ये जो बातें कर रहे हैं, वो सब टीवी पर बोले जा रहे हैं, असली जनता तो अभी भी चुपचाप अपने घरों में बैठी है। अगर तुम्हारे गांव में कोई बीजेपी वाला बोले कि वो जीत रहा है, तो उसके पीछे दो टीएमसी वाले होंगे जो बस अपनी टोपी बदल रहे हैं।
Surender Sharma
8 06 24 / 21:38 अपराह्नbhaiya yeh sab kuchh fake hai. kya pata kisne vote diya. jayant kumar roy? kya ye koi actor hai? jalebi kha ke so gaya kya? tmcs ke log toh bas galiyon mein gaane lagate hain, vote nahi karte. aur kongress? woh toh abhi bhi kuchh nahi karta bas photo khichwa leta hai. #bjpwinning #bengalchutiya
Divya Tiwari
9 06 24 / 04:43 पूर्वाह्नअगर आपको लगता है कि बीजेपी की जीत राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव लाएगी, तो आप गहरे सपने देख रहे हैं। ये जो टीएमसी जीत रही है, वो बंगाल की आत्मा है। ये लोग अपनी भाषा, अपनी संस्कृति के लिए लड़ रहे हैं। जब तक आप बंगाल के लोगों की भावनाओं को समझ नहीं पाएंगे, तब तक आपकी राजनीति बस एक अक्षर का खेल होगी। ये जीत नहीं, एक आंदोलन है।
shubham rai
10 06 24 / 16:15 अपराह्नtmcs ke 31 seats? wow. 😐
Nadia Maya
10 06 24 / 22:03 अपराह्नइस चुनाव के परिणामों को सिर्फ सीटों के आधार पर नहीं देखना चाहिए। यह एक सांस्कृतिक और राजनीतिक ट्रांसफॉर्मेशन का संकेत है। जब एक राज्य जिसमें साहित्य, संगीत और बुद्धि का इतिहास है, वह एक ऐसी पार्टी को विश्वास देता है जो निरंतर राष्ट्रीय एकता के नाम पर उसकी विशिष्टता को नकारती है, तो यह एक अत्यंत गहरी विरोधाभासी घटना है। यह तो जैसे कालीदास के लिए एक फास्ट-फूड स्टॉल बनाना हो।
Nitin Agrawal
12 06 24 / 20:49 अपराह्नbjp 10 seats? lol. tmcs ke sabhi seats fake hai. vote counting abhi shuru hua hai aur tum log already winner declare kar rahe ho? bhaiya kya tumhare paas koi data hai ya bas whatsapp forward?
Gaurang Sondagar
13 06 24 / 13:20 अपराह्नBjp will win this state no matter what. Bengali people are brainwashed by tmc. This is not democracy this is mafia rule. They will never admit defeat. We are watching. The country is watching. India will not be fooled
Ron Burgher
15 06 24 / 02:21 पूर्वाह्नyeh sab log jinke paas kuchh nahi hai, unke liye vote karne ka koi matlab nahi hota. bas ek din ke liye kuchh chahiye toh vote dete hain. jisne bhi vote diya, uska dimaag kharab hai. bjp ko toh 35+ milne chahiye tha. yeh sab kuchh fake hai, sab kuchh jhooth hai.