प्रो कबड्डी लीग के सबसे खतरनाक राइडर और तमिल थालाइवास के कप्तान पवन सेहरावत को अचानक लीग के बीचोंबीच निकाल दिया गया — और इसके पीछे का सच अब खेल के इतिहास में एक बड़ा धब्बा बन गया है। तमिल थालाइवास ने 21 अक्टूबर, 2025 को एक आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए घोषणा की कि सेहरावत को "डिसिप्लिनरी कारणों" से टीम से बाहर कर दिया गया है। लेकिन जब पवन ने पूछा — कौन सा अनुशासन तोड़ा? — तो कोई जवाब नहीं मिला।
पवन सेहरावत ने सिर्फ तीन मैच खेले थे, जिनमें 22 रेड पॉइंट्स बनाए थे। लेकिन उनकी कार्यक्षमता का असर तब दिखा जब वे चले गए — तमिल थालाइवास लगातार पांच मैच हार गए। उनके बिना टीम की रेडिंग बेकार लगने लगी। जबकि पवन के खिलाफ कोई आधिकारिक शिकायत नहीं थी, उन्होंने बाद में बताया कि उनके और कोच संजीव बलियान और साथी राइडर अर्जुन देशवाल ने एक नई रणनीति बनाई थी, जिसे मैनेजमेंट ने अनदेखा कर दिया। "इसकी जिम्मेदारी एक व्यक्ति की है," उन्होंने कहा।
उनका एक सोशल मीडिया पोस्ट जिसमें लिखा था — "मैं फिर उठूंगा" — और तीन दिल टूटे इमोजी, दर्शकों के दिलों में आग लगा दी। फैंस ने ट्विटर पर #JusticeForPawan ट्रेंड किया। कुछ ने तो कहा कि ये उनका निकाला जाना नहीं, बल्कि एक शानदार खिलाड़ी का दिल तोड़ दिया गया है।
प्रो कबड्डी लीग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी टीम ने अपना कप्तान लीग के बीच में निकाल दिया। ये फैसला न सिर्फ टीम के लिए बल्कि पूरे लीग के लिए एक चेतावनी है। जब एक खिलाड़ी को बिना किसी स्पष्टीकरण के बाहर कर दिया जाए, तो दूसरे खिलाड़ी भी अपने अधिकारों के बारे में सोचने लगते हैं।
पवन के निकाले जाने के बाद तमिल थालाइवास की स्थिति और खराब हो गई। वे 18 मैचों में 12 पॉइंट्स के साथ आठवें स्थान पर थे। नवंबर 2025 तक उनके सभी लीग मैच पूरे हो चुके थे — और प्लेऑफ के लिए कोई आशा नहीं बची थी। ये उनका सबसे खराब सीजन रहा।
पवन के बाद, अर्जुन देशवाल ने एक इंटरव्यू में कहा, "हम तीनों ने एक साथ तैयारी की थी। हमारी रणनीति टीम के लिए बेहतर थी।" संजीव बलियान ने तो सीधे कहा — "जब खिलाड़ियों की आवाज़ दबा दी जाती है, तो टीम नहीं, बल्कि टीम का आत्मविश्वास मर जाता है।"
इस बीच, प्रो कबड्डी लीग के अध्यक्ष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन सभी मुद्दों को लेकर बात की। उन्होंने पवन के मामले के साथ-साथ "खराब अंपायरिंग" और अंकुश रत्नी के निकाले जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "हम लीग को 20वें सीजन तक स्थिर रखना चाहते हैं।" लेकिन लोग पूछ रहे हैं — अगर एक कप्तान को बिना कारण निकाल दिया जा सकता है, तो स्थिरता का मतलब क्या है?
पवन सेहरावत केवल एक खिलाड़ी नहीं हैं — वे एक जायजा हैं। उन्होंने 142 मैचों में 1,340 रेड पॉइंट्स बनाए हैं, जिसमें 70 सुपर 10 हैं। ये आंकड़े उन्हें प्रो कबड्डी लीग के इतिहास के सबसे बड़े राइडर्स में शामिल करते हैं। उनकी रेडिंग की गति, धोखेबाजी और अंतिम लम्हे में बनाए जाने वाले पॉइंट्स — ये सब उन्हें एक अलग ही श्रेणी में रखते हैं।
उनके बिना तमिल थालाइवास का खेल बोरिंग लगने लगा। अब टीम ने दूसरे राइडर्स को आजमाना शुरू कर दिया है, लेकिन कोई भी उनकी जगह नहीं भर पा रहा।
पवन सेहरावत अभी खेल से बाहर हैं, लेकिन उनका नाम अभी भी ट्रेंड कर रहा है। कई टीमें उन्हें अगले सीजन के लिए अपने लिए ट्रैक कर रही हैं। क्या वे किसी और टीम में वापस आएंगे? क्या तमिल थालाइवास के मैनेजमेंट को सुधारना पड़ेगा? क्या प्रो कबड्डी लीग अब खिलाड़ियों के अधिकारों के लिए एक नया नियम बनाएगी?
एक बात तो पक्की है — जब एक खिलाड़ी को बिना कारण निकाला जाए, तो खेल का विश्वास भी निकल जाता है। अब ये सवाल बस तमिल थालाइवास का नहीं, बल्कि पूरे प्रो कबड्डी लीग का है।
तमिल थालाइवास ने आधिकारिक तौर पर "डिसिप्लिनरी कारण" का हवाला दिया, लेकिन कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई। पवन ने दावा किया कि उनकी रणनीति और मैनेजमेंट के बीच तनाव था, और एक व्यक्ति ने इसे बढ़ाया। कोई आधिकारिक शिकायत, चेतावनी या लिखित नोटिस जारी नहीं किया गया।
पवन के निकाले जाने के बाद टीम लगातार पांच मैच हार गई। उनके बिना रेडिंग कमजोर हो गई और टीम का आत्मविश्वास टूट गया। नवंबर 2025 तक 18 मैचों में सिर्फ 12 पॉइंट्स के साथ वे आठवें स्थान पर थे — जिससे प्लेऑफ के लिए कोई संभावना नहीं बची।
प्रो कबड्डी लीग के अध्यक्ष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले को लेकर बात की, लेकिन कोई निष्कर्ष या नीति नहीं घोषित की। उन्होंने इसे "एक टीम के आंतरिक मुद्दे" कहा, जबकि खिलाड़ियों और फैंस का मानना है कि ये लीग के गवर्नेंस का मुद्दा है।
हां। उनका रिकॉर्ड और प्रतिभा अभी भी लीग के सबसे ऊपरी स्तर पर है। कई टीमें उन्हें अगले सीजन के लिए ट्रैक कर रही हैं। अगर वे एक नई टीम में शामिल होते हैं, तो उनकी आगे की उपलब्धियां इस घटना के बाद और भी बड़ी हो सकती हैं।
इस घटना ने लीग की पारदर्शिता और खिलाड़ियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार के प्रति सवाल उठाए हैं। फैंस ने अब टीम के फैसलों पर सवाल करना शुरू कर दिया है। अगर लीग अपने बड़े खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार करती रही, तो यह खेल की लोकप्रियता और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकती है।
हां। दोनों ने खुलकर मैनेजमेंट के खिलाफ आवाज उठाई है। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो ये दोनों भी टीम छोड़ने की संभावना है। ऐसा होने पर तमिल थालाइवास का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा।
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