आज का दिन भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए लगभग 8,000 मेहमानों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के नेता भी शामिल होंगे। यह शपथ ग्रहण समारोह इस मायने में अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि यह मोदी सरकार के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है।
हाल ही में सम्पन्न हुए छह-सप्ताहीय चुनाव के बावजूद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को निचले सदन में स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया। इसके चलते पार्टी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी। यह घटना बीजेपी के दस साल के बहुमत शासन के अंत का प्रतीक है, जिसमें सतत् आर्थिक वृद्धि तो हुई, लेकिन साथ ही केंद्रीकरण और लोकतांत्रिक अवनति के आरोप भी लगे।
तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, नरेंद्र मोदी को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इनमें सबसे प्रमुख हैं बेरोजगारी और मुद्रास्फीति, जो कि इस चुनावी परिणाम के प्रमुख कारणों में से एक रही। बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े और महँगी होती जीवनशैली ने जनता के बीच असंतोष को बढ़ावा दिया है।
मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इन समस्याओं का समाधान करें और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उचित नीतियाँ बनाएं। विश्लेषकों का मानना है कि साझेदारी वाली सरकार से एक समावेशी और संतुलित आर्थिक सुधार की संभावना है, जो भारत के लिए सकारात्मक साबित हो सकती है।
नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के इतिहास में एकमात्र दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने तीन लगातार कार्यकाल के लिए चुने जाने का सम्मान प्राप्त किया है। इससे पहले यह सम्मान केवल जवाहरलाल नेहरू के पास था। यह उनकी राजनीतिशास्त्रीय क्षमता और जनसमर्थन का प्रमाण है। यह घटना उनके नेतृत्व में भारतीय राजनीति के एक नए युग की शुरुआत करेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि साझा सरकार से आर्थिक सुधारों और स्थिरता की संभावना बढ़ेगी। साझेदारी वाली सरकार से नीतियों में संतुलन आएगा और विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। यह स्थिति भाजपा के लिए भी अवसर लेकर आई है कि वे अपने सहयोगियों के साथ मिलकर देश की सेवा कर सकें और जनता के हित में सही निर्णय ले सकें।
पिछले दस सालों में बीजेपी सरकार के कार्यकाल में आर्थिक वृद्धि तो हुई, लेकिन केंद्रीकरण और लोकतांत्रिक अवनति के आरोप भी लगे। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अधिकाधिक शक्ति केंद्रित करने का प्रयास किया, जिससे लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। अब, साझा सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि नीतियों में संतुलन बना रहे और लोकतंत्र को मजबूती मिले।
इस परिप्रेक्ष्य में देखते हुए, नई सरकार के सामने आर्थिक नीतियों को संतुलित रखना और सामाजिक हितों को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण होगा। विभिन्न मुद्दों पर सहयोग और संवाद की आवश्यकता होगी, ताकि साझा सरकार की मंशा सफल हो सके।
Prachi Doshi
9 06 24 / 22:24 अपराह्नअच्छा हुआ कि बहुमत नहीं मिला। अब थोड़ा संवाद होगा।
Karan Kacha
11 06 24 / 08:24 पूर्वाह्नमेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं! ये तीसरी बार का शपथ ग्रहण? ये तो ऐतिहासिक है! जवाहरलाल नेहरू के बाद पहली बार! और अब साझा सरकार? ये तो भारत के लिए एक नया युग है! अब बेकारी, महँगाई, असमानता-सब पर ध्यान देना होगा! बीजेपी अकेले नहीं चलेगी! अब तो सबको सुनना पड़ेगा! ये तो लोकतंत्र की जीत है! भाई, ये तो जीवन बदल देगा! 🙏🎉
vishal singh
11 06 24 / 10:16 पूर्वाह्नबहुमत नहीं मिला तो अब क्या होगा? अपने दोस्तों के साथ गठबंधन करने का दबाव? ये तो नेतृत्व की कमजोरी है।
mohit SINGH
11 06 24 / 21:10 अपराह्नये साझा सरकार तो बस एक झूठी खुशी है! अब तो राजनीति बस बाजार की तरह हो गई है! बोलो तो कौन बेच रहा है? कौन खरीद रहा है? ये नहीं जानते कि देश की आत्मा क्या है!
Preyash Pandya
11 06 24 / 22:06 अपराह्नअरे भाई, अब तो लोगों ने अपनी आवाज उठाई है! 😎 बीजेपी को थोड़ा ठंडा पानी चढ़ाना पड़ा! अब देखोगे, अलग-अलग दल एक-दूसरे को ब्लॉक करेंगे! अच्छा हुआ, वरना हम सब बस एक धार्मिक ट्रेन पर चल रहे थे! 🚂🔥
Raghav Suri
13 06 24 / 01:33 पूर्वाह्नदेखो, मैं तो इस बार बहुत उम्मीद लिए बैठा हूँ। जब एक पार्टी का बहुमत नहीं होता, तो वो अपने विचारों को बदलने को मजबूर हो जाती है। अब तो छोटे दलों की आवाज़ भी सुनी जाएगी। बेरोजगारी के मुद्दे पर असली बातचीत होगी। ये तो भारत के लिए अच्छी खबर है। मैं अपने दोस्तों के साथ इस बात को चर्चा कर रहा हूँ कि हम भी अपने समुदायों में इस बात को फैलाएं। जब लोग एक साथ बैठकर बात करेंगे, तो नीतियाँ भी बदल जाएंगी। ये तो एक नए दौर की शुरुआत है। बस इतना चाहिए कि सब कुछ खुलकर हो।
Priyanka R
13 06 24 / 16:44 अपराह्नतुम सब भूल रहे हो... ये सब एक बड़ी योजना है! अब वो लोग जो बीजेपी के साथ हैं, वो असल में किसी और के हैं! ये गठबंधन तो अंदर से खाली है! तुम नहीं जानते कि वो क्या करने वाले हैं! 😈 इससे पहले भी ऐसा हुआ था... और फिर आया था वो बड़ा झटका! तैयार रहो!
Rakesh Varpe
14 06 24 / 22:32 अपराह्नबहुमत नहीं मिला तो अब भी शपथ ले रहे हैं। ये तो लोकतंत्र का नियम है।
Girish Sarda
16 06 24 / 21:11 अपराह्नसाझा सरकार का मतलब है कि अब तय करने के लिए बातचीत करनी होगी। ये अच्छा है। क्योंकि एक तरफ आर्थिक विकास है तो दूसरी तरफ लोगों की आवाज भी है।
Garv Saxena
16 06 24 / 21:22 अपराह्नअरे भाई, ये सब तो एक नाटक है। तीसरी बार शपथ लेना बड़ी बात है? लेकिन ये नेतृत्व क्या बदला? बेरोजगारी बढ़ी, असमानता बढ़ी, और अब तुम कह रहे हो कि साझा सरकार से सब ठीक हो जाएगा? ये तो जैसे किसी को बीमारी से बचाने के लिए उसके घर का दरवाजा खोल दो और फिर बोल दो कि अब तो हवा आ गई। बेचारे लोगों को तो बस एक अच्छी नीति चाहिए, न कि एक नाटक।
Rajesh Khanna
17 06 24 / 22:31 अपराह्नअच्छा हुआ कि अब अलग-अलग आवाज़ें सुनाई देंगी। आशा है कि सब कुछ बेहतर होगा।
Sinu Borah
19 06 24 / 11:58 पूर्वाह्नअरे यार, ये साझा सरकार तो बस एक जाल है। अब तो देखोगे, एक दल बोलेगा कि बेरोजगारी कम करो, दूसरा बोलेगा कि निवेश बढ़ाओ, तीसरा बोलेगा कि धर्म का ख्याल रखो। और फिर क्या? बस देश बंद रहेगा। इतने सालों बाद भी ये चक्कर चल रहा है। लोग तो बस एक दिन जागेंगे और फिर बस एक ही नेता चाहेंगे।
Sujit Yadav
19 06 24 / 12:08 अपराह्नक्या आपने इसे ध्यान से देखा? ये तो एक आर्थिक और राजनीतिक विनाश का नाटक है। अब तो भारत एक बाजार बन गया है, जहाँ हर कोई अपनी बाजी लगा रहा है। ये लोग नहीं जानते कि नेतृत्व क्या है। ये तो बस नाम बदल रहे हैं, असल तो वही है। 🤡
Kairavi Behera
20 06 24 / 04:20 पूर्वाह्नअब तो बातचीत होगी। बहुमत नहीं मिला तो भी सरकार बन गई, ये तो अच्छी बात है। अब छोटे दल भी अपनी बात रख सकते हैं। बेरोजगारी के लिए असली योजना बनेगी। ये तो भारत के लिए अच्छा है।
Aakash Parekh
21 06 24 / 02:12 पूर्वाह्नबहुमत नहीं मिला, शपथ हो गई। अब तो देखना होगा कि क्या होता है।
Sagar Bhagwat
22 06 24 / 15:15 अपराह्नअच्छा हुआ कि अब अलग-अलग आवाज़ें आ रही हैं। अब तो बातचीत होगी। बस इतना ही चाहिए।
Priyanka R
24 06 24 / 10:00 पूर्वाह्नतुम सब भूल रहे हो... ये सब एक बड़ी योजना है! अब तो लोगों को ये लगेगा कि बदलाव हुआ! लेकिन असल में तो वो ही चल रहा है! 😈 तुम्हें पता है कि अगले छह महीने में क्या होगा? बस रुक जाओ और देखो।