राहुल द्रविड़: टी20 वर्ल्ड कप जीत में रोहित शर्मा ने किया भावुक श्रद्धांजलि व्यक्त

राहुल द्रविड़: टी20 वर्ल्ड कप जीत में रोहित शर्मा ने किया भावुक श्रद्धांजलि व्यक्त

राहुल द्रविड़: क्रिकेट जगत का शांत योद्धा

भारतीय क्रिकेट टीम ने आखिरकार टी20 वर्ल्ड कप में अपनी खिताबी जीत के साथ एक नई इबारत लिखी है। इस गौरवमयी जीत के पीछे का सबसे बड़ा नाम है टीम के कोच राहुल द्रविड़। भारतीय क्रिकेट के इस शांत योद्धा को उनके योगदान और समर्पण के लिए कप्तान रोहित शर्मा ने भावुक नजराने अर्पित किए। रोहित शर्मा ने यह स्पष्ट किया कि इस टूर्नामेंट की जीत सिर्फ खिलाड़ियों की नहीं बल्कि उससे भी ज्यादा कोच द्रविड़ की है।

जब टीम ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर खिताब जीता, उस वक्त पूरे स्टेडियम में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन इस खुशी के पल में एक दृश्य था जो सबका दिल छू गया—राहुल द्रविड़ का ट्रॉफी को ऊंचा उठाकर चीखना। यह शायद पहली बार था कि क्रिकेट के इतिहास में द्रविड़ को इस तरह भावुक होते देखा गया। यह दृश्य उनकी करियर की आखिरी टूर्नामेंट की जीत में खासा मायने रखता है, जहां उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

राहुल द्रविड़: योगदान की कहानी

राहुल द्रविड़ का क्रिकेट करियर हमेशा से ही उनकी मेहनत, संयम और योजनाबद्ध दृष्टिकोण के लिए जाना जाता रहा है। लगभग 20 से 25 साल के इस सफर में उन्होंने न केवल एक खिलाड़ी के रूप में बल्कि कोच के रूप में भी असाधारण योगदान दिया। उनके इसी योगदान की वजह से टीम ने 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप और वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल्स तक का सफर तय किया।

हालांकि, एक खिलाड़ी के रूप में द्रविड़ कभी भी वर्ल्ड कप नहीं जीत पाए, लेकिन इस बार कोच के रूप में उन्होंने वह सपना पूरा किया। टीम के हर खिलाड़ी का कहना है कि इस खिताब के पीछे द्रविड़ का योगदान अमूल्य है। उनकी गहरी समझ, रणनीति, और निरंतर मार्गदर्शन ने टीम को इस मुकाम तक पहुँचाया।

टीम की एकजुटता और द्रविड़ की योजना

टीम की इस सफलता का एक बड़ा कारण उनकी एकजुटता और योजना है। रोहित शर्मा ने इसे स्पष्ट किया कि टीम की इस जीत में सबसे बड़ा योगदान द्रविड़ का है। योजना, समझ और टीम के हर खिलाड़ी की काबिलियत का इस्तेमाल करना उन्होंने बड़ी सरलता और कुशलता से किया। इस जीत ने भारत को 11 साल बाद एक और आईसीसी ट्रॉफी हासिल करने में मदद की।

भविष्य की राह और द्रविड़ की विरासत

द्रविड़ के इस सफर के खत्म होने के बाद भी उनका योगदान और उनकी योजनाएं भारतीय क्रिकेट को आने वाले कई वर्षों तक मदद करेगी। जिस नींव को उन्होंने मजबूती से तैयार किया है, वह भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने का काम जारी रखेगा।

अंततः, राहुल द्रविड़ का यह सफर कईयों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उनके योगदान और उनकी मेहनत को देखते हुए, भारतीय क्रिकेट ने ऐसे कोच को खोया है जिसने हमेशा खेल और टीम को पहले स्थान पर रखा। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मानक है और उनके बिना भी उनका प्रभाव भारतीय क्रिकेट पर बना रहेगा।

टिप्पणि (12)

  • Kairavi Behera

    Kairavi Behera

    30 06 24 / 21:59 अपराह्न

    राहुल द्रविड़ ने जो किया, वो कोचिंग नहीं, जीवन बदलने जैसा था। हर बच्चे को उसकी तरह बनाना चाहिए - शांत, मेहनती, और दिल से लगाव रखने वाला। टीम के हर खिलाड़ी ने उनकी आवाज़ सुनी, और वो आवाज़ ने दुनिया को हिला दिया।

  • Aakash Parekh

    Aakash Parekh

    2 07 24 / 03:44 पूर्वाह्न

    हां भाई, द्रविड़ तो बहुत अच्छे हैं, पर रोहित ने जो खेला, वो तो बस अपने आप में जबरदस्त था। कोच का जमाना खत्म हो गया, अब खिलाड़ी का जमाना है। 😴

  • Sagar Bhagwat

    Sagar Bhagwat

    2 07 24 / 19:48 अपराह्न

    अरे यार, द्रविड़ को भी तो खिलाड़ी बनना चाहिए था, नहीं तो उनके दिमाग का इस्तेमाल तो खराब हो रहा है। वो तो खुद वर्ल्ड कप जीत नहीं पाए, अब कोच बनकर खुश हो रहे हैं? बस बात बना रहे हैं।

  • Jitender Rautela

    Jitender Rautela

    4 07 24 / 12:26 अपराह्न

    ये सब तो बकवास है। जिसने खेला वो जीता, जिसने बैठकर बात की वो तो बस फोटो लेने आया। द्रविड़ का नाम तो अब ब्रांड बन गया है। जितना बोलोगे, उतना बड़ा लगेगा। असली हीरो तो रोहित है, जिसने आखिरी ओवर में बल्ला उठाया।

  • abhishek sharma

    abhishek sharma

    5 07 24 / 11:32 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये जो द्रविड़ का दृश्य है - ट्रॉफी उठाकर चीखना - वो देखकर मेरा दिल भी भावुक हो गया। लेकिन दरअसल, ये सब एक बड़ा ड्रामा है। जब तक उनके बच्चे खेल रहे थे, तब तक तो कोई उनकी बात नहीं सुनता था। अब जब जीत गए, तो सब उनके पीछे दौड़ रहे हैं। ये भारत की आदत है - जीत के बाद बहादुरी दिखाना। वैसे, द्रविड़ की रणनीति बहुत समझदारी से बनाई गई थी, खासकर लोअर ऑर्डर के लिए जो बहुत कम लोग देखते हैं। उन्होंने श्रेय रोहित को दे दिया, जो बहुत बड़ी बात है। लेकिन अगर वो नहीं होते, तो रोहित के बल्ले का भी जादू नहीं होता। ये टीम का जमाना नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के दिमाग का जमाना है। जिसने अपनी बुद्धि से खिलाड़ियों को उनकी अपनी शक्ति का एहसास कराया।

  • Surender Sharma

    Surender Sharma

    6 07 24 / 20:35 अपराह्न

    dravid ki jay ho! par kya tumhe pata hai koi bhi coach nahi jeeta kabhi world cup? ye sab bs media ka drama hai. rohit ne hi jeeta, dravid to bas baithke dekhte rehe

  • Divya Tiwari

    Divya Tiwari

    7 07 24 / 18:07 अपराह्न

    हमारे देश के लिए एक ऐसा आदर्श जिसने अपना सब कुछ दे दिया - जब दुनिया ने हमें नज़रअंदाज़ किया, तो वो हमारे लिए खड़े हुए। ये जीत सिर्फ टीम की नहीं, भारत की आत्मा की जीत है। कोई भी अंग्रेज़ी बोलने वाला ये समझ नहीं पाएगा।

  • shubham rai

    shubham rai

    8 07 24 / 13:14 अपराह्न

    हां भाई... द्रविड़ अच्छे हैं। 😌

  • Nadia Maya

    Nadia Maya

    10 07 24 / 01:09 पूर्वाह्न

    अरे यार, ये सब तो एक बहुत ही बारीकी से निर्मित नैरेटिव है - जहां एक नॉन-स्टार कोच को एक नए एपिक हीरो के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। लेकिन अगर हम इसे एक फिलॉसोफिकल लेंस से देखें, तो ये वास्तव में एक आधुनिक यूनानी ट्रैजेडी है - जहां व्यक्ति अपने स्वयं के सपने के लिए दूसरों के सपने को जीता है। राहुल द्रविड़ एक आदर्श हैं, लेकिन क्या हम इस आदर्श के पीछे छिपे व्यक्तिगत विरोधाभासों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं?

  • Nitin Agrawal

    Nitin Agrawal

    10 07 24 / 18:09 अपराह्न

    dravid ne kuch nahi kiya bas rohit ko bola jao jeete jao aur phir khud ke saamne khadi ho gaye

  • Gaurang Sondagar

    Gaurang Sondagar

    10 07 24 / 23:59 अपराह्न

    द्रविड़ ने जीत दिलाई ये बकवास है रोहित ने जीता और अब द्रविड़ को बाज़ार में बेच रहे हैं भारत के लिए जीत बनाना था ना कि एक नए देवता की तस्वीर बनाना

  • Ron Burgher

    Ron Burgher

    12 07 24 / 16:34 अपराह्न

    अरे भाई, ये सब बातें तो बहुत अच्छी हैं पर अगर तुम्हारा बेटा खेल नहीं रहा होता तो तुम इतना बड़ा ड्रामा क्यों कर रहे हो? द्रविड़ का योगदान तो है, पर ये भावुक होने का जमाना तो खत्म हो गया। अब बस खेलो, जीतो, और शांत रहो।

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