सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी, जिसका नाम महान भारतीय क्रिकेटर सैयद मुश्ताक अली के नाम पर रखा गया है, भारत का प्रमुख घरेलू टी20 क्रिकेट टूर्नामेंट है। इसकी शुरुआत 2006-07 के सीजन में हुई, जिस समय से यह टूर्नामेंट क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में अपनी खास जगह बना चुका है। यह ट्रॉफी विशेष रूप से युवा क्रिकेटरों के लिए एक अनोखा मंच प्रदान करती है, जहां वे अपनी प्रतिभाओं को निखार सकते हैं और राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बना सकते हैं।
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में विभिन्न टीमों ने अपनी शानदार छाप छोड़ी है। तमिलनाडु की टीम ने तीन बार इस ट्रॉफी को जीता है, जिससे वह अब तक की सबसे सफल टीम बन गई है। वहीं, बड़ौदा, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने भी दो-दो बार खिताब पर कब्जा जमाया है। पंजाब ने 2023 में अपनी पहली जीत दर्ज की और अब 2024-25 में मुंबई ने मध्य प्रदेश को हराकर दूसरी बार खिताब अपने नाम किया।
ओह! 2024-25 का सीजन मुंबई के लिए बेहद खास रहा। फाइनल मुकाबले में मुंबई ने मध्य प्रदेश को पटखनी देकर ट्रॉफी पर कब्ज़ा जमाया। खेल के इस रोमांचक मुकाबले में खिलाड़ियों ने अपना सब कुछ झोंक दिया। शार्दुल ठाकुर और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ियों की बेहतरीन परफोर्मेंस ने मुंबई की जीत सुनिश्चित की।
इस सीजन की सबसे खास बात रही बड़ौदा का सिक्किम के खिलाफ रिकॉर्ड प्रदर्शन, जहां उन्होंने 349 रन बनाकर टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया। भानु पानिया ने मात्र 51 गेंदों में 134 रन जड़ कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
2024-25 के सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 38 टीमों ने भाग लिया और ये टूर्नामेंट राउंड-रॉबिन फार्मेट के तहत खेला गया, जिसके बाद नॉकआउट स्टेज का आयोजन हुआ। इस टूर्नामेंट का महत्व केवल इसके खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय टीम के लिए भी उभरते प्रतिभाओं को पहचान देने का काम करता है।
टूर्नामेंट का इतिहास भी कम रोमांचक नहीं रहा है। पहले सीजन में तमिलनाडु ने पहली ट्रॉफी जीती और बंगाल ने 2010-11 में मनोज तिवारी की कप्तानी में पहली जीत दर्ज की। इस खिताब ने कई खिलाड़ियों का करियर संवारा है, जैसे दिनेश कार्तिक, जिन्होंने दो बार तमिलनाडु की कप्तानी की। मनोज तिवारी और मनीष पांडे जैसे खिलाड़ियों ने अपनी टीमों की कप्तानी करते हुए खिताब जीते हैं।
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी भारतीय क्रिकेट की नींव मानी जाती है, जिसमें केवल जीत ही नहीं, बल्कि खेल भावना और उससे भी महत्वपूर्ण, खेल के प्रति जुनून की जीत होती है। भविष्य में यह टूर्नामेंट और भी अधिक रोमांचक होगा, और यह नई प्रतिभाओं को भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक लंबा और सफल करियर शुरू करने का मौका देगा।
टूर्नामेंट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ, खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस भी हर साल नई ऊंचाइयों को छू रही है। ये अद्वितीय दृष्य केवल क्रिकेट के खेल को नहीं, बल्कि पूरे देश को एक नई ऊर्जा से भर देते हैं।
Rajesh Khanna
18 12 24 / 21:42 अपराह्नमुंबई की जीत देखकर बहुत खुशी हुई! श्रेयस अय्यर ने फाइनल में जो बल्लेबाजी की, वो असली क्लास थी। शार्दुल ठाकुर का अंतिम ओवर तो फिल्मी सीन लग रहा था। ये टीम अब भारतीय क्रिकेट की असली भविष्य की उम्मीद है।
Sinu Borah
19 12 24 / 18:00 अपराह्नअरे भाई, सब मुंबई की तारीफ कर रहे हो लेकिन क्या किसी ने देखा कि मध्यप्रदेश के बाल्ले बाज़ ने आखिरी 10 ओवर में 12 रन देकर भी टीम को लड़ने का मौका दिया? वो भी तो लड़ रहे थे, बस बारिश नहीं हुई ना। और बड़ौदा का 349? ओह बाप रे, ये टी20 है या फर्स्ट क्लास? ये टूर्नामेंट अब बहुत बेकार हो रहा है, बस रन बनाने का खेल बन गया।
Sujit Yadav
20 12 24 / 20:22 अपराह्नअसली क्रिकेट प्रेमी इस टूर्नामेंट को नहीं मानते। ये सब बस एक व्यावसायिक उपक्रम है, जिसमें बच्चों को बाजार में बेचा जा रहा है। शार्दुल ठाकुर का फाइनल बल्लेबाजी? एक बार एक बार बेहतरीन बल्लेबाजी करना अच्छा है, लेकिन ये सब टेस्ट क्रिकेट की नींव को तोड़ रहा है। भारतीय क्रिकेट बस टी20 के लिए बन गया है, और ये बहुत दुखद है। 🥲
Kairavi Behera
22 12 24 / 10:18 पूर्वाह्नजो बच्चे इस टूर्नामेंट में खेल रहे हैं, उनके लिए ये बहुत अच्छा मौका है। मैं जिन लोगों को देखती हूँ, वो सिर्फ रन नहीं बना रहे, बल्कि दबाव में भी शांत रह रहे हैं। श्रेयस अय्यर का नेतृत्व और शार्दुल का बाउलिंग देखकर लगता है कि भारत का क्रिकेट अच्छे हाथों में है। बस इन बच्चों को ज्यादा दबाव न दें, वरना जल्दी खराब हो जाएंगे।
Aakash Parekh
22 12 24 / 13:48 अपराह्नबड़ौदा का 349? अच्छा लगा। बाकी सब तो आम बात है। मुंबई जीत गई, ठीक है। अब क्या? अगला टूर्नामेंट कब है?
Sagar Bhagwat
24 12 24 / 02:55 पूर्वाह्नअरे भाई, ये सब लोग तो बस फाइनल के बारे में बात कर रहे हैं, पर क्या किसी ने देखा कि गुजरात ने ग्रुप में जबरदस्त खेल दिया था? वो टीम तो असली टीम थी, बस थोड़ी बेकार टॉस ने उन्हें बाहर कर दिया। मुंबई तो बस भाग्यशाली थी। 😏
Jitender Rautela
24 12 24 / 14:50 अपराह्नतमिलनाडु की टीम तो बस अपने बारे में बात करती रहती है। अब तक तीन बार जीती? अच्छा है। लेकिन देखो उनकी टीम में कितने खिलाड़ी अभी भी राष्ट्रीय टीम में हैं? कोई नहीं! बस ट्रॉफी बटोर रहे हैं। मुंबई वाले तो असली लड़के हैं, ये खिलाड़ी तो बाहर भी खेल रहे हैं।
abhishek sharma
25 12 24 / 01:44 पूर्वाह्नये सब टी20 का खेल है ना? तो फिर इतना ड्रामा क्यों? 349 रन? ये तो टी20 में एक बार का बारिश का फेक है। और भानु पानिया का 134? बहुत अच्छा लगा, लेकिन उसके बाद क्या? वो अगले मैच में फिर से आउट हो गया। ये खिलाड़ी तो बस एक दिन के लिए तारे बन जाते हैं, फिर गायब। मुंबई की जीत अच्छी है, लेकिन ये सब फुलकारी है। असली टेस्ट क्रिकेट कहाँ है? 🤷♂️
Surender Sharma
26 12 24 / 02:46 पूर्वाह्नमुंबई जीत गया? ओके। पर श्रेयस अय्यर का स्कोर कितना था? 70? या 80? नहीं याद आ रहा। शार्दुल ने जो बॉल फेंके वो भी नहीं देखे। बड़ौदा का 349? ये तो गलत है, मैंने सुना था 299 था। और तमिलनाडु की टीम? वो तो अब बस बोरिंग है।
Divya Tiwari
26 12 24 / 10:25 पूर्वाह्नमुंबई की जीत सिर्फ एक टीम की जीत नहीं, ये भारत की आत्मा की जीत है! जब दुनिया भारत को नीचा दिखाती है, तो ये बच्चे बिना किसी बाहरी सहारे के खेलकर साबित कर दिया कि हम असली हैं। ये ट्रॉफी हमारे राष्ट्रीय गौरव की निशानी है। जय हिंद! 🇮🇳
shubham rai
26 12 24 / 21:52 अपराह्नबस फाइनल देखा। बाकी नहीं। 😴