Sensex और Nifty में गिरावट: H-1B वीज़ा शुल्क की चिंता और ऑटो स्टॉक्स की जीत

Sensex और Nifty में गिरावट: H-1B वीज़ा शुल्क की चिंता और ऑटो स्टॉक्स की जीत

बाजार की साप्ताहिक तस्वीर

शुक्रवार को भारतीय इक्विटी बाजार ने दो मुख्य बेंचमार्क इंडेक्स में हल्की गिरावट दर्ज की। Sensex 58 अंक गिरकर 82,102 पर बंद हुआ, जो 0.07% की गिरावट दर्शाता है। वहीं NSE का Nifty 33 अंक घटकर 25,170 पर पहुँचा, अर्थात 0.13% नीचे। दोनों सूचकांक की गिरावट को देखते हुए, निवेशकों के बीच ज़्यादा नकारात्मक भावना नहीं देखी गयी, क्योंकि बैंकिंग और ऑटो सेक्टर की मजबूत खरीदारी ने संभावित नुकसान को सीमित किया।

कैसे हुई यह गिरावट, और किन कारणों ने बाजार के विभिन्न हिस्सों को अलग‑अलग दिशा दी, इसे विस्तार से समझते हैं।

H‑1B वीज़ा शुल्क वृद्धि का आईटी सेक्टर पर असर

बाजार में सबसे बड़ी बाधा H‑1B वीज़ा शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि की खबर थी। अमेरिकी सरकार ने इस वर्ष वीज़ा आवेदकों से ली जाने वाली फीस में उल्लेखनीय वृद्धि की घोषणा की, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों के अमेरिकी क्लाइंटों के साथ बंधी आय पर दबाव पड़ सकता है। Nifty IT इंडेक्स ने अकेले 0.6% की गिरावट दर्ज कर पिछले दिन की 3% की बिक्री को आगे बढ़ा दिया।

लिवलॉन्ग वैल्थ के संस्थापक और रिसर्च एनालिस्ट हरिप्रसाद K. ने कहा, “नए शुल्क संरचना ने बाज़ार में तेज़ी से बेचने की लहर ला दी है, क्योंकि कई कंपनियों की आय का बड़ा हिस्सा अमेरिकी कामगार वीज़ा पर निर्भर करता है।” इस बात को देखते हुए, प्रमुख आईटी दिग्गज जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इन्फोसिस और विप्रो के शेयरों में लगातार नीचे की दिशा बनी रही।

वास्तव में, 2024 में भारतीय नागरिकों ने अनुमोदित H‑1B वीज़ा में 71% हिस्सा लिखा था, जिससे इस नीति परिवर्तन का प्रभाव अधिक स्पष्ट हो गया। निवेशकों ने इस जोखिम को बढ़ते हुए देखा और तकनीकी सेक्टर से पैसा निकालना शुरू कर दिया।

बैंकिंग सेक्टर का समर्थन

बैंकिंग सेक्टर का समर्थन

आईटी सेक्टर की गिरावट के बीच, बैंकिंग शेयरों ने बाजार को स्थिर रखने में मदद की। इंडसइंड बैंक और एक्सिस बैंक दोनों ने 2‑3% की छः-छः उछाल दर्ज किया। इस सकारात्मक गति ने Nifty Bank इंडेक्स को 225 अंक बढ़ाकर 55,510 पर समाप्त कर दिया। इस तेज़ी का कारण है प्रमुख बैंकों के लाभ में सुधार, बढ़ती ब्याज दरों से शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) में सुधार और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों की बुनियादी वित्तीय कंपनियों में बढ़ती रुचि।

विशेष रूप से, इंडसइंड बैंक का शेयर 2.2% बढ़ा, जबकि एक्सिस बैंक ने 2.5% की वृद्धि दिखाई, जिससे उन्हें तेज़ी से खरीदारी का फायदा मिला। लघु व मध्यम बैंक भी इस प्रवाह से प्रेरित हो रहे थे, जिससे कुल मिलाकर वित्तीय सेक्टर ने बाजार में सकारात्मक माहौल बनाये रखा।

ऑटो सेक्टर ने बनाया नया रेकॉर्ड

जबकि आईटी और कुछ बड़े कैप सेक्टर गिरावट में थे, ऑटोमोबाइल सेक्टर ने उल्लेखनीय जीत हासिल की। Nifty Auto इंडेक्स 1% की छलांग लगाकर नया हाई बना और पूरे सत्र में सबसे अधिक लाभ दर्ज किया। मारुति सुजुकी ने 2.2% की बढ़त के साथ अपना रिकॉर्ड उच्च स्तर छू लिया, जो कंपनी के जीवनकाल में सर्वोच्च कीमत थी। यह बढ़त कई कारणों से समझी जा सकती है:

  • नवरात्रि के पहले दिन डीलरशिप में ग्राहक आगमन में वृद्धि, जिससे बिक्री में प्रोत्साहन मिला।
  • GST 2.0 के लागू होने से कर लाभ और मूल्य स्थिरता का आश्वासन, जिससे खरीदारों का भरोसा बढ़ा।
  • बाजार में नई मॉडलों की लॉन्चिंग और इलेक्ट्रिक वैरायटी की उम्मीद, जिससे निवेशकों की आशावादिता बढ़ी।

मारुति के साथ ही महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 1% की उछाल देखी, जबकि ईचर मोटर्स ने 1.4% तक की वृद्धि हासिल की। इन सभी कारकों ने मिलकर ऑटो सेक्टर को बाजार की बहाली में प्रमुख भूमिका निभाने में मदद की।

बाजार में व्यापक कमजोरी और छोटे‑मध्यम कैप की गिरावट

बाजार में व्यापक कमजोरी और छोटे‑मध्यम कैप की गिरावट

समग्र रूप से, 16 प्रमुख सेक्टरों में से 15 ने कमी दर्ज की, जिससे बाजार की ब्रीद बहुत कमजोर रही। विशेष रूप से छोटे‑और‑मध्यम कैप शेयरों ने 0.5% की गिरावट दिखाई, और मिडकैप इंडेक्स 203 अंक घटकर 58,497 पर बंद हुआ। यह संकेत देता है कि बड़े कैप शेयरों के सामने बड़ी कंपनियों में ध्यान केंद्रित किया गया, जबकि छोटे और मध्यम आकार के कंपनियों में निरपेक्ष रुचि बनी रही।

बाजार के खुलेपन से शुरू हुआ, जब शुरुआती घंटों में थोड़ा गैप डाउन था। परन्तु बैंकिंग सेक्टर की मजबूत खरीदारी ने शुरुआती नुकसान को जल्दी ही उलट दिया। इस रिवर्सल ने निवेशकों को आशावादी बना दिया, परन्तु H‑1B वीज़ा मुद्दे की अनिश्चितता अभी भी बाजार में सावधानी का माहौल बना रखी थी।

आखिरकार, इस सत्र में तकनीकी और आयात‑आधारित कंपनियों की अस्थिरता स्पष्ट दिखाई दी, जबकि वित्तीय और ऑटो सेक्टर ने खुद को सुरक्षित आश्रय माना। निवेशकों को अब यह देखना होगा कि अमेरिकी वीज़ा नीति में आगे क्या बदलाव आएगा, और इसका भारतीय निर्यात‑आधारित सेक्टरों पर क्या असर पड़ेगा। बाजार अभी भी विविधीकरण और जोखिम प्रबंधन की ओर झुका हुआ है।

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