जिमी कार्टर: जीवन, कार्य और आज का प्रभाव

जिमी कार्टर का नाम सुनते ही बड़ी उम्र के लोग उन्हें 1977‑1981 के अमेरिकी राष्ट्रपति याद करेंगे, जबकि युवा पढ़ने वाले शायद उन्हें शांति अभियंता के रूप में पहचानें। अगर आप भारत में रहते हैं तो ‘क्टर सेंटर’ का नाम शायद सुना होगा – वो कैंसर, न्यूरो‑डिजीज और चुनावी निगरानी में मदद करता है। इस लेख में हम जिमी कार्टर की कहानी, उनके राष्ट्रपति काल के मुख्य निर्णय, और आज उनके शांति मिशन का कैसे असर पड़ रहा है, इस पर बात करेंगे।

राष्ट्रपति अवधि में कौन‑से कदम

जिमी कार्टर 39 साल की उम्र में व्हाइट हाउस में पहुँचे, जो आज भी सबसे कम उम्र के अमेरिकी राष्ट्रपति हैं। उनके दो साल में प्रमुख कदम रहे: ऊर्जा संकट को कम करने के लिए ‘ऑयल इम्पोर्ट रेगुलेशन’ लाना, और इज़राइल‑इजिप्ट समझौता (Camp David Accords) को आगे बढ़ाना। इस समझौते ने आगे चल कर 1979 में इज़राइल‑इजिप्ट शांति समझौते में बदल दिया, जो आज भी मध्य‑प्राच्य शांति के लिए एक नींव माना जाता है।

डिप्लोमैटिक रूप से कार्टर ने कई बार सैन्य हस्तक्षेप से बचने की कोशिश की। उन्होंने अफगानिस्तान में सोवियत आक्रमण के बाद सोवियतियों को वार्ता की राह दिखाने की पुकार की, लेकिन उस समय यह काम नहीं हुआ। फिर भी उनका ‘मानवाधिकार‑पहले’ एप्रोच ने कई देशों की नीति में बदलाव लाया।

राष्ट्रपति के बाद के शांति मिशन

अध्यक्षता छोड़ने के बाद कार्टर ने 1982 में ‘कोरिडोर सेंटर’ (अब ‘कार्टर सेंटर’) की स्थापना की। यह संस्था जाँच‑परख के चुनाव, रोग‑निवारण और मानवाधिकार मामलों में काम करती है। भारत में उनकी टीम ने 1990‑यों में चुनावी निगरानी की, जिससे कई राज्य चुनावों में पारदर्शिता बढ़ी।

कार्टर ने 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार भी जीता। उनका मानना था कि सच्ची शांति तभी आती है जब सामाजिक असमानता, रोग‑मुक्ति और शिक्षा पर काम किया जाए। इस विचार ने आज के कई दान‑संस्थाओं को प्रेरित किया है। यदि आप भी किसी कारण में मदद करना चाहते हैं, तो कार्टर सेंटर की वेबसाइट पर आप वॉलंटियर या दान की जानकारी ले सकते हैं।

भारत‑अमेरिका संबंधों में भी कार्टर का योगदान कम नहीं है। उन्होंने 1990‑यों में भारत‑अमेरिका आर्थिक वार्ता को आगे बढ़ाया, जिससे दो तरफ़ा व्यापार में भारी बढ़ोतरी हुई। उनके ‘फूल‑से‑फूल’ वाले दोस्ताना शब्दावली ने दोनों देशों के जन‑धर्म में भरोसा भी बनाया।

आज जिमी कार्टर 98 साल की उम्र में भी सक्रिय हैं। उनका ‘फिलिपिनो‑जिमेट्री प्रोजेक्ट’ कई देशों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझाने में मदद कर रहा है। यदि आप उनके बारे में और जानना चाहते हैं तो ‘जिमी कार्टर इंटरव्यू 2023’ या ‘कार्टर सेंटर की नई रिपोर्ट’ गूगल कर सकते हैं।

संक्षेप में, जिमी कार्टर सिर्फ एक पुराना राष्ट्रपति नहीं, बल्कि एक जीवंत सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिनके विचार आज भी कई लोगों को प्रेरित करते हैं। चाहे आप राजनीति के छात्र हों, डॉक्टर, या सामान्य नागरिक, उनके काम से कुछ न कुछ सीखना संभव है। अगले बार जब आप किसी शांति या स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में सुनें, तो याद रखें कि उस पहल के पीछे जिमी कार्टर जैसे लोग हो सकते हैं।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने मनाया 100वां जन्मदिन: जीवन और सेवा का एक शतक

39वें अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 100 वर्ष पूरे किए, वह इस उपलब्धि तक पहुंचने वाले पहले राष्ट्रपति बने। कार्टर, जो जॉर्जिया में अपने आवास पर स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर रहे हैं, उनके परिवार ने उनके जीवन को हँसी और प्रेम के साथ जारी रखने को एक आशीर्वाद माना। विभिन्न आयोजनों और ह्यूमैनिटी के लिए योगदान ने उनके जीवन को प्रेरणास्रोत बना दिया है।

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