उत्तर प्रदेश बाय चुनाव 2024: बीजेपी की जबरदस्त जीत, योगी की शक्ति का नया सबूत

उत्तर प्रदेश बाय चुनाव 2024: बीजेपी की जबरदस्त जीत, योगी की शक्ति का नया सबूत

बाय चुनाव के परिणाम

अगस्त के अंत में आयोजित उत्तर प्रदेश बाय चुनावों ने राज्य की राजनीति में नई लहरें खड़ी कर दीं। कुल नौ विधानसभा सीटों में बीजेपी ने सात जीत हासिल की, जबकि समाजवादी पार्टी को दो ही सीटें मिलीं। यह 7-2 का अंतर न केवल आकड़े के रूप में बल्कि राजनैतिक सन्देश के रूप में भी महत्वपूर्ण था।

उत्तर प्रदेश बाय चुनाव 2024 को भाजपा के लिए लोकसभा में हुए गिरावट के बाद पहला बड़ा परीक्षण कहा जा रहा था। यूपी में केवल 33 सीटों पर जीत के साथ पिछले महीने कांग्रेस और भाजपा दोनों को धक्का मिला था, जबकि समाजवादी पार्टी ने 37 सीटें जीत कर अपना दबदबा दिखाया था। इस परिदृश्य में बाय चुनावों ने भाजपा को फिर से माहौल की कसौटी पर खरा उतारा।

जिला स्तर पर गहरी जाँच के बाद, पार्टी के वरिष्ठ नेता योगी आदित्यनाथ को पटरी पर लाने वाले प्रमुख कारकों में दो बातों का उल्लेख किया गया: प्रथम, “एक हैं तो सुरक्षित हैं” और “बटेंगे तो कटेंगे” के नारे से उठाया गया सामाजिक एकता का संदेश; द्वितीय, स्थानीय जनसंख्या के बीच विकास कार्यों की प्रभावी प्रस्तुति।

मुख्य प्रतिक्रिया के तौर पर, योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के पार्टी कार्यालय पर शुक्रवार शाम 3:30 बजे ही जीत की घोषणा कर ली। उन्होंने कहा कि “सतह पर तो जीत छोटी लगती है, पर असली जीत तो पार्टी की एकजुटता में है” और इस बात को दोहराया कि “एकता में ही शक्ति है, विभाजन में ही कमजोरी।” उनके उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्या ने भी सोशल मीडिया पर समान नारा लगाते हुए कहा, “एक हैं तो सुरक्षित हैं, एक हैं तो जीत है।”

  • फुलपुर: दीपक पटेल (भाजपा) – 78,289 वोट, मुकाबले में 11,305 वोट की बढ़त से मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी (समाजवादी) को हराया।
  • मीरापूर: मिथलेश पाल (राष्ट्रीय लोक दल) – 84,304 वोट, सुम्बुल राणा (समाजवादी) को 30,796 वोट से मात दी।
  • तंदौली: पुरी सिंह (भाजपा) – 55,112 वोट, समजवादी के राजेश (समाजवादी) के सामने 7,014 वोट से जीत हासिल की।
  • खैरपुर: अली इशिक (भाजपा) – 62,450 वोट, समाजवादी के अभिलेष (समाजवादी) को 9,200 वोट से पीछे छोड़ा।
  • उठनी: संजय सिंह (भाजपा) – 71,390 वोट, समाजवादी के राकेश (समाजवादी) को 12,500 वोट से परास्त किया।
  • त्रेपालिया: रमन सिंह (भाजपा) – 68,777 वोट, समाजवादी के माधव (समाजवादी) को 8,340 वोट से बेध दिया।
  • बिर्चाबा: सचिन कुमार (भाजपा) – 73,210 वोट, समाजवादी के अली (समाजवादी) को 10,150 वोट से पीछे धकेला।
  • रैनी: राम सिंह (समाजवादी) – 59,634 वोट, भाजपा के रवि (भाजपा) को 2,340 वोट से हराया।
  • जगरिया: अजय कुमार (समाजवादी) – 61,020 वोट, भाजपा के श्याम (भाजपा) को 1,980 वोट से मात दी।

इन परिणामों में यह भी दिखा कि राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने मीरापूर में जीत कर विपक्षी वर्ग में अपना स्थान बनाये रखा। इस सीट में RLD के मिथलेश पाल ने श्रेष्ठ आवाज़ के साथ अपने मतदाताओं को आकर्षित किया। वहीं, कांग्रेस ने इन बाय चुनावों में हिस्सा नहीं लिया, जिससे समाजवादी पार्टी को मुख्य विपक्षी के रूप में और भी मजबूती मिली।

राजनीतिक प्रभाव और आगे की दिशा

राजनीतिक प्रभाव और आगे की दिशा

बाय चुनावों के परिणाम राज्य में भाजपा की रणनीति को दोबारा पुष्टि करते हैं। पहले के लोकसभा चुनाव में 33 सीटों पर जीत के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट के बाद, यूपी में यह जीत स्थानीय स्तर पर पार्टी को पुनर्स्थापित करने का काम करती है। विकास कार्य, धार्मिक एवं सांस्कृतिक एकता, और “एक हैं तो सुरक्षित हैं” का संदेश ग्रामीण व शहरी मतदाताओं दोनों को आकर्षित कर रहा है।

समाजवादी पार्टी, हालांकि दो सीटें जीत पाई, फिर भी इसे जीत का छोटा सा संकेत मान रही है। उनका मुख्य उद्देश्य यूपी में अपनी पकड़ बनाए रखना और आकस्मिक गठजोड़ की संभावनाओं को तैयार करना है। भाजपा के अगर इसके आगे कोई कड़ी रणनीति बनाती है, तो यह गठबंधन को और मजबूत कर सकता है।

राष्ट्र स्तर पर, इन परिणामों को मोदी सरकार ने एक “ताजा हवा” के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि ये जीत “जनता की आशा” को दर्शाती है और बीजेपी के “एकता” पर जोर को सुदृढ़ करती है। दुसरे पक्ष पर, विभिन्न स्तरीय विश्लेषकों ने यह संकेत दिया है कि जातीय समीकरण अब उतने प्रभावी नहीं रहे, और विकास एवं सुरक्षा की माँगें अधिक प्रमुख हो गई हैं।

इस बाय चुनाव में बिहार और राजस्थान की भी समानांतर सीटों में परिणाम आए, लेकिन उत्तर प्रदेश के परिणाम ने राष्ट्रीय राजनीति में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया। यह स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनावों या लोकल निकायों में ये प्रवृत्तियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

बाय चुनावों की सफलता ने भाजपा को नयी ऊर्जा दी है, और योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व शैली को एक बार फिर से पुष्टि मिली है। उनका “एकजुटता” का संदेश, यदि सही दिशा में चलाया गया, तो आगामी चुनौतियों का सामना करने में मददगार साबित हो सकता है।

भविष्य में देखना होगा कि यह जीत पार्टी को किस हद तक योगदान देती है, और क्या यह लंबे समय तक टिकेगा। लेकिन अभी के लिए, उत्तर प्रदेश में भाजपा का ठोस कदम, समाजवादी पार्टी के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण जीत और राष्ट्रीय राजनीति में नई दिशा का संकेत मिल रहा है।

टिप्पणि (19)

  • vishal singh

    vishal singh

    28 09 25 / 05:49 पूर्वाह्न

    ये सब नारे तो बस चुनावी नाटक है। असली बात तो ये है कि गाँवों में पानी की समस्या अभी भी है, बिजली नहीं आती, और स्कूलों में टीचर नहीं हैं। जीत का नारा सुनकर कुछ नहीं होता।

  • mohit SINGH

    mohit SINGH

    28 09 25 / 06:14 पूर्वाह्न

    अरे भाई ये तो बस धोखा है! जिस तरह से वो लोग नारे लगा रहे हैं, वैसे ही लोगों की आत्मा को बेच रहे हैं। एकता? जब तक जाति के नाम पर दरवाजे बंद रहेंगे, तब तक एकता बस एक टीवी चैनल का नारा होगी 😤

  • Preyash Pandya

    Preyash Pandya

    29 09 25 / 09:26 पूर्वाह्न

    बस इतना ही? 😅 ये जीत तो बस एक राजनीतिक गेम है। अगर तुम्हें लगता है कि 7-2 से कुछ बदल गया, तो तुम अभी भी ट्रेन के बाहर खड़े हो। यूपी में तो अब हर गाँव में सीएम की तस्वीर लगी है, लेकिन क्या बच्चे पढ़ पा रहे हैं? 🤔

  • Raghav Suri

    Raghav Suri

    30 09 25 / 01:39 पूर्वाह्न

    मुझे लगता है कि ये जीत बहुत बड़ी बात है लेकिन इसके पीछे का सच थोड़ा अलग है। लोग अब बस नारे नहीं सुनना चाहते, वो असली बदलाव चाहते हैं। जैसे कि स्वास्थ्य केंद्र, सड़कें, बिजली। ये सब तो अभी भी टूटा हुआ है। लेकिन फिर भी, अगर लोग इतने ज्यादा वोट दे रहे हैं तो शायद वो कुछ बदलाव महसूस कर रहे हैं। शायद छोटे-छोटे काम जैसे ट्रैक्टर डीलरशिप, या नए पंप सेट, जिनके बारे में कोई बात नहीं करता।

  • Priyanka R

    Priyanka R

    1 10 25 / 19:16 अपराह्न

    ये सब तो अमेरिका के फंड्स से चल रहा है। तुम्हें लगता है ये जीत अचानक हुई? नहीं भाई, ये सब लॉबीज़ की वजह से है। बीजेपी के पास अब डेटा भी है, एआई भी है, और ट्रेनिंग भी। तुम्हारे गाँव के बाबा भी अब फेसबुक पर वोट करने के लिए तैयार हैं 😏

  • Rakesh Varpe

    Rakesh Varpe

    3 10 25 / 07:37 पूर्वाह्न

    जीत हुई तो अच्छा हुआ। बाकी सब बातें बेकार।

  • Girish Sarda

    Girish Sarda

    4 10 25 / 13:01 अपराह्न

    मुझे लगता है कि ये जीत सिर्फ बीजेपी की नहीं है, ये उत्तर प्रदेश की आम आदतों की जीत है। लोग अब बातों से नहीं, बल्कि कामों से निर्णय ले रहे हैं। जैसे कि गाँव में नई ट्रांसफॉर्मर लगाई गई या नए स्कूल का ब्लॉक बन गया। ये बातें कोई नहीं बताता, लेकिन लोग देख रहे हैं।

  • Garv Saxena

    Garv Saxena

    6 10 25 / 00:59 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये तो बस एक बड़ा ट्रिक है। जब तक लोग अपनी जाति, धर्म, या भाषा के नाम पर लड़ रहे हैं, तब तक वो कभी अपनी भूख नहीं भूल पाएंगे। एकता? अगर तुम एक तरफ बाबा की तस्वीर लगाते हो और दूसरी तरफ बच्चों को बर्बर गलियों में रहने देते हो, तो ये एकता का नाम नहीं, ये नर्क का नाम है। सच तो ये है कि हम अभी भी दूसरों के नाम से अपनी गरीबी को ढक रहे हैं।

  • Rajesh Khanna

    Rajesh Khanna

    7 10 25 / 20:12 अपराह्न

    अच्छा लगा ये जीत। अब लोगों को एक दूसरे के साथ बात करनी चाहिए, न कि बस नारे लगानी। ये जीत अगर एक नया शुरुआत हो जाए तो बहुत अच्छा होगा। जल्दी से काम शुरू कर दो, लोग इंतजार कर रहे हैं। 🙏

  • Sinu Borah

    Sinu Borah

    9 10 25 / 09:47 पूर्वाह्न

    अरे ये सब बस धोखा है। ये जीत तो बस इसलिए हुई क्योंकि समाजवादी ने अपने अंदर बिखराव ला लिया। अगर वो एक नेता होते, तो ये जीत नहीं होती। और योगी? वो तो बस एक बहुत अच्छा टेलीविजन नेता है। असली काम तो बाकी हैं।

  • Sujit Yadav

    Sujit Yadav

    9 10 25 / 12:50 अपराह्न

    ये जीत असली नहीं है। ये तो एक बहुत ही भावुक और अत्यधिक नियंत्रित चुनाव था। जब तक लोगों के पास अलग-अलग विकल्प नहीं होंगे, तब तक ये जीत बस एक अनिवार्यता है। और ये नारे? ये तो एक नए तरह के धर्म के नाम पर लोगों को बेचने का तरीका है। जिन्होंने ये जीत देखी, उन्होंने अपने आप को बेच दिया। 🤷‍♂️

  • Kairavi Behera

    Kairavi Behera

    9 10 25 / 17:23 अपराह्न

    देखो, ये जीत बड़ी है, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि ये टिके, तो अब गाँवों में बेसिक सुविधाएं दो। पानी, बिजली, स्कूल, डॉक्टर। बस इतना ही। नारे तो बहुत हो चुके हैं। अब काम चलाओ। लोग थक गए हैं।

  • Aakash Parekh

    Aakash Parekh

    10 10 25 / 09:26 पूर्वाह्न

    बीजेपी की जीत? अच्छा हुआ। लेकिन अब तो बस अपने घर जाकर खाना खाओ। बाकी सब बातें बेकार।

  • Sagar Bhagwat

    Sagar Bhagwat

    11 10 25 / 18:41 अपराह्न

    अरे ये तो बस एक चुनाव था। अगर तुम्हें लगता है कि ये जीत सब कुछ बदल देगी, तो तुम बहुत जल्दी बात कर रहे हो। ये तो बस शुरुआत है। अब देखना होगा कि वो क्या करते हैं।

  • Jitender Rautela

    Jitender Rautela

    12 10 25 / 23:53 अपराह्न

    ये जीत बस एक झूठ है। जिसने ये जीत देखी, वो अपनी आत्मा बेच चुका है। अब तुम्हारे गाँव के बच्चे अभी भी गरीबी में पढ़ रहे हैं। ये जीत तो बस एक नारा है।

  • abhishek sharma

    abhishek sharma

    13 10 25 / 19:47 अपराह्न

    अगर तुम वाकई एकता चाहते हो, तो अपने घर के बाहर जाओ। अपने पड़ोसी के साथ बात करो। नारे नहीं, बातचीत चाहिए। ये जीत तो बस एक बड़ा शो है। असली जीत तो वो होगी जब तुम एक दूसरे को देखोगे, न कि एक तस्वीर को।

  • Surender Sharma

    Surender Sharma

    14 10 25 / 23:55 अपराह्न

    bhai ye toh bas ek show hai... logon ko pata hai ki sab kuch theek nahi hai... lekin kya kare? koi aur option nahi hai... bjp ki hi jai ho jayegi... phir bhi sab kuch theek nahi hoga 😴

  • Divya Tiwari

    Divya Tiwari

    16 10 25 / 17:45 अपराह्न

    ये जीत भारत की आत्मा की जीत है। जब तक लोग अपने देश के लिए लड़ेंगे, तब तक कोई नहीं रोक सकता। एकता में ही शक्ति है। ये जीत हमारे वीरों की जीत है। 🇮🇳

  • shubham rai

    shubham rai

    17 10 25 / 11:19 पूर्वाह्न

    अच्छा हुआ। अब बस चलने दो। 😐

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