उत्तर प्रदेश में वोटर नामावली सुधार के लिए BLOs को दिया गया तालीम

उत्तर प्रदेश में वोटर नामावली सुधार के लिए BLOs को दिया गया तालीम

उत्तर प्रदेश की विधानसभा नामावलियों को अद्यतन करने के लिए शुरू हुआ विशेष तीव्र संशोधन (SIR) अभियान अब राज्यभर में गहराई से चल रहा है। नवंबर 3, 2025 को बागपत के लक्ष्मीचंद पटवारी कॉलेज के अड्डे में आयोजित प्रशिक्षण सत्र में निकेत वर्मा, सब-डिवीजनल मैजिस्ट्रेट, ने 200 से अधिक BLOs और सुपरवाइजर्स को स्पष्ट निर्देश दिए: "निर्वाचन कार्य अत्यंत संवेदनशील है और जिम्मेदारी से जुड़ा हुआ है। हर अधिकारी को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ काम करना होगा।"" यह सिर्फ एक बात नहीं — यह अभियान का आधार है।

नामावली सुधार का असली दिल: BLOs

वोटर नामावली की सुधार की पूरी जिम्मेदारी BLOs (बूथ स्तरीय अधिकारी) के कंधों पर है। ये वो लोग हैं जो घर-घर जाकर गणना प्रपत्र बाँटते हैं, मृत वोटरों के नाम हटाते हैं, और नए 18-21 वर्ष के युवाओं को शामिल करते हैं। बागपत में प्रशिक्षण में सिर्फ नियम नहीं, बल्कि अनुभव भी साझा किया गया — जैसे कि कैसे एक गाँव की बुजुर्ग महिला जो अपना EPIC नंबर भूल गई है, उसका नाम दोबारा जाँच कर लिया जाए। ये छोटी-छोटी बातें ही बड़ी नामावली की विश्वसनीयता बनाती हैं।

तीन जिलों में घर-घर जाने की शुरुआत

बागपत के बाद लखनऊ और सुल्तानपुर में भी नवंबर 3-4 को घर-घर गणना प्रपत्र वितरण शुरू हो गया। हर घर में दो प्रपत्र दिए जा रहे हैं — एक वोटर के पास रहता है, दूसरा अधिकारी ले जाता है। इन प्रपत्रों में नाम, EPIC नंबर, वोटिंग पार्ट नंबर, अनुक्रमांक और विधानसभा क्षेत्र का नाम लिखा होता है। यह डुप्लिकेट सिस्टम गलतियों को कम करता है। जबकि लखनऊ और सुल्तानपुर में सब कुछ नियमित चल रहा है, गोंडा में एक अजीब रुकावट आई — राजनीतिक दलों ने BLAs (बूथ स्तरीय एजेंट) की नियुक्ति टाल दी। लेकिन याद रखें: BLOs सरकारी अधिकारी हैं, BLAs राजनीतिक निगरानी करने वाले हैं। इस देरी से अभियान नहीं रुका — बस राजनीतिक निगरानी थोड़ी कमजोर हो गई।

क्यों इतनी तीव्रता?

यह सिर्फ एक नामावली अपडेट नहीं, बल्कि एक जनगणना है। उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ से अधिक वोटर हैं — ये दुनिया का सबसे बड़ा चुनावी जनसंख्या है। इस बार 85 लाख नए वोटर (18-21 वर्ष) जोड़े जाने हैं, और 42 लाख नाम हटाए जाने हैं — जो मर चुके हैं या दूसरे जिले में चले गए हैं। अगर ये नाम बने रहे, तो भविष्य में वोटिंग में धोखाधड़ी का खतरा हो सकता है। यही कारण है कि निर्वाचन आयोग ने इसे "विशेष तीव्र" कहा है।

अधिकारी कौन हैं? जिम्मेदारी कौन संभाल रहा है?

बागपत में निकेत वर्मा (2018 बैच के IAS अधिकारी) ने अपनी टीम के साथ इस अभियान की निगरानी की। उनके साथ वर्तिका श्रीवास्तव (2015 बैच के PCS अधिकारी) भी थीं, जो बागपत और खेकड़ा तहसीलों की तहसीलदार हैं। ये लोग अकेले नहीं हैं — ब्लॉक विकास अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, नायब तहसीलदार — सभी एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं। यह एक बड़ी प्रशासनिक मशीन है, जो 75 जिलों में एक साथ चल रही है।

अगले चरण: नामावली का अंतिम रूप

अभियान का अगला चरण 6 से 20 नवंबर तक चलेगा — तब तक BLOs को घर-घर जाकर फॉर्म जमा करने होंगे। 25 नवंबर को नामावली का खाका जिला कार्यालयों और पंचायत भवनों पर प्रदर्शित किया जाएगा। कोई भी वोटर अगर अपना नाम नहीं देखता है, या गलत जानकारी है, तो 1 दिसंबर तक फॉर्म 6, 7 या 8 भरकर आपत्ति दर्ज कर सकता है। अंतिम नामावली 5 दिसंबर तक जारी कर दी जाएगी। यही नामावली 2027 में उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव की आधारशिला बनेगी।

क्या इसका असर सिर्फ चुनाव पर है?

नहीं। यह नामावली सुधार सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का भी हिस्सा है। अगर कोई युवा अपना नाम नामावली में नहीं पाता, तो वह अपने अधिकारों से वंचित हो जाता है। अगर मृत व्यक्ति का नाम बना रहता है, तो उसके नाम पर वोट डाला जा सकता है — यह अवैध है। इसलिए यह अभियान एक बड़ा नैतिक और कानूनी काम है। इसकी सफलता उत्तर प्रदेश की लोकतंत्र की गुणवत्ता को दर्शाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

BLO और BLA में क्या अंतर है?

BLO (बूथ स्तरीय अधिकारी) निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त सरकारी कर्मचारी होते हैं, जो वोटर नामावली की सुधार के लिए घर-घर जाते हैं। BLA (बूथ स्तरीय एजेंट) राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त होते हैं, जो अभियान की निगरानी करते हैं लेकिन कार्य नहीं करते। BLA की नियुक्ति अनिवार्य नहीं है, इसलिए गोंडा में इसकी देरी ने अभियान को प्रभावित नहीं किया।

क्या मैं अपना नाम नामावली में जोड़वा सकता हूँ?

हाँ, अगर आप 18 वर्ष के हो गए हैं या आपका नाम नामावली में नहीं है, तो आप फॉर्म 6 भरकर नाम जोड़वा सकते हैं। यह फॉर्म आप निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर डाउनलोड कर सकते हैं या किसी BLO से प्राप्त कर सकते हैं। अंतिम तिथि 1 दिसंबर, 2025 है।

नामावली में गलती होने पर क्या करें?

अगर आपका नाम गलत है, जैसे नाम, पिता का नाम या पता, तो आप फॉर्म 8 भरें। अगर आपका नाम अन्य व्यक्ति के नाम पर दर्ज है, तो फॉर्म 7 से आप आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। ये सभी फॉर्म नामावली प्रदर्शन के दौरान (25 नवंबर से) जिला कार्यालयों में उपलब्ध होंगे।

क्या यह अभियान सभी जिलों में समान रूप से चल रहा है?

हाँ, लेकिन गति अलग-अलग है। बागपत, लखनऊ और सुल्तानपुर में प्रशिक्षण और वितरण अच्छी तरह चल रहा है। गोंडा में BLA नियुक्ति की देरी के कारण राजनीतिक निगरानी कमजोर है, लेकिन BLOs का काम जारी है। जिलाधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी हर जिले की प्रगति की निगरानी कर रहे हैं।

इस अभियान के बाद क्या होगा?

5 दिसंबर को अंतिम नामावली जारी होगी, जिसके बाद निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी शुरू करेगा। यह नामावली 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए आधार होगी। अगले 18 महीने में नामावली में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा — बस छोटी सुधार हो सकती हैं।

क्या इस अभियान से वोटर भ्रम कम होगा?

बिल्कुल। अभी तक कई वोटर अपने वोटिंग स्थान नहीं जानते, क्योंकि नामावली पुरानी है। इस अभियान के बाद वोटर को अपना पार्ट नंबर, बूथ नंबर और विधानसभा क्षेत्र स्पष्ट रूप से मिलेगा। इससे वोटिंग में भ्रम, देरी और असंतोष कम होगा — और लोकतंत्र मजबूत होगा।

टिप्पणि (1)

  • shubham jain

    shubham jain

    4 11 25 / 00:33 पूर्वाह्न

    BLOs को घर-घर भेजना बिल्कुल सही है, लेकिन अगर उनके पास मोबाइल ऐप और ऑफलाइन डेटा कलेक्शन टूल नहीं हैं, तो यह प्रक्रिया अभी भी 1980 के दशक में फंसी हुई है। डिजिटल ट्रैकिंग और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा?

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