2024 विश्व खाद्य दिवस: भारत में हर साल ₹92,000 करोड़ का खाद्य अपव्यय

2024 विश्व खाद्य दिवस: भारत में हर साल ₹92,000 करोड़ का खाद्य अपव्यय

भारत में खाद्य अपव्यय: एक चिंताजनक स्थिति

विश्व खाद्य दिवस 2024 के अवसर पर, भारत में खाद्य अपव्यय का मुद्दा विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, देश हर साल अनुमानित ₹92,000 करोड़ मूल्य का खाद्य अपव्यय करता है। यह स्थिति न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत चिंता जनक है। भोजन का यह विशाल स्त्रोत जो अपव्यय होता है, उसे देखते हुए यह साफ़ हो जाता है कि भारत को विशेष रूप से खाद्य प्रबंधन और सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है।

अपेक्षित प्रबंधन को लेकर चुनौतियाँ

खाद्य अपव्यय की समस्या को सुलझाने के लिए ढेर सारी चुनौतियाँ रास्ते में खड़ी हैं। एक ओर जब भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है, वहां दूसरी ओर खाद्यान्न की प्रचुरता का प्रभाव और वितरण के असमानता की समस्या प्रमुख है। खाद्य सामग्री का उत्पादन उच्च होते हुए भी इसका उचित प्रबंधन नहीं किया जा सका है, जिससे अपव्यय अपनी चरम पर पहुँच जाता है। एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरते हुए भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सुधार करे और खाद्य अपव्यय ह्रास के उपायों को गंभीरता से अपनाए। खाद्यान्न भंडारण और संरक्षण की असमर्थता और वितरण के नीतियों में सुधार से इस समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है।

खाद्य अपव्यय के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

खाद्य अपव्यय का सीधा प्रभाव समाज पर पड़ता है। एक ओर जब असंख्य लोग भूखे सोने को मजबूर होते हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी पहुंच में आने वाला खाद्य पदार्थ व्यर्थ हो जाता है। इसका असर आर्थिक स्तर पर भी देखा जा सकता है। कृषि और खाद्य उत्पादन में बड़ी मात्रा में निवेश करने के बाद इतना बड़ा अपव्यय होना देश की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ता है। महत्वपूर्ण है कि ऐसे समय में जब भारत के विकास की गाड़ी तेजी से दौड़ रही है, खाद्य अपव्यय की चुनौती को तुरंत सुलझाने की आवश्यकता है।

खाद्य संरक्षण के प्रयास और तौर-तरीके

खाद्य अपव्यय रोकने के लिए उपाय और तौर-तरीकों की आवश्यकता है। सरकार को सुदृढ़ नीतियाँ बनानी चाहिए जो खाद्य अपव्यय को कम करने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को खाद्य पदार्थों के बचाव और अपव्यय को कम करने के तरीकों के बारे में सिखाने की जरूरत है। इसके अलावा, उत्पादकों और वितरकों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की जा सकती है जो उन्हें अपने उत्पादन और वितरण प्रक्रियाओं में सुधार के लिए प्रेरित करें। कृषि, परिवहन, और भंडारण प्रणालियों पर अत्याधुनिक तकनीकी लागू कर अपव्यय को रोका जा सकता है।

खाद्य की कद्र और पुन: उपयोग के महत्व

खाद्य की कद्र और पुन: उपयोग के महत्व

संरक्षण के प्रयासों के अलावा, एक और महत्वपूर्ण कदम यह है कि लोग अपने जीवन में खाद्य की कद्र करें। भोजन की कदर न केवल व्यक्तियों के जीवन में बल्कि समाज के व्यापक स्तर पर भी अप्रत्यक्ष रूप से घटित होती है। खाद्य का सही तरीके से उपयोग और उसका सम्मान न केवल अपव्यय को कम करेगा बल्कि समाज में भोजन की समानता भी बढ़ाएगा। इसके अलावा, खाद्य अपव्यय की चिंता विश्व स्तर पर पर्यावरणीय प्रभाव से भी जुड़ी है। अपव्यय की प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले संसाधन, जैसे पानी और ऊर्जा, पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए संभावनाएं

विश्व खाद्य दिवस 2024 न केवल इस समस्या की ओर ध्यान खींचता है, बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण से खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने की संभावनाओं की ओर भी ध्यान केंद्रित करता है। अगर लोग खाद्य अपव्यय को कम करने में सफल होते हैं, तो यह केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक सकारात्मक बदलाव साबित होगा। वैश्विक सहयोग से विश्व स्तर पर खाद्य संकट की समस्या को समझा और सुलझाया जा सकता है।

खाद्य सुरक्षा और स्थिरता की दिशा में रणनीतियाँ

भविष्य के लिए प्रयास और योजनाएं एक साथ लाने की आवश्यकता है। सरकार और सामाजिक संगठनों को इस दिशा में संलग्न होना होगा। खाद्य संरक्षण और अर्जन की दिशा में लगातार शिक्षण और प्रचार-प्रसार के साथ ही समुदाय स्तर पर भागीदारी बढ़ानी होगी। यदि भारत जैसे देश में एक स्वयंस्थ भारत का सपना देखा जाता है, तो खाद्य अपव्यय को रोकना एक मील का पत्थर साबित होगा।

टिप्पणि (14)

  • Aakash Parekh

    Aakash Parekh

    17 10 24 / 08:32 पूर्वाह्न

    ये सब बातें तो हर साल की तरह हैं... कोई नया आंकड़ा लेकर आता है, फिर एक हफ्ते बाद भूल जाते हैं। असली समस्या तो ये है कि हम खाने को कभी सम्मान नहीं देते।

  • Sagar Bhagwat

    Sagar Bhagwat

    19 10 24 / 00:56 पूर्वाह्न

    हे भगवान, फिर से खाद्य अपव्यय की बात? अगर हम इतना खाना बर्बाद कर रहे हैं, तो शायद इसका मतलब है कि हमारे पास खाने को लेकर बहुत चुनाव हैं! अमेरिका में तो लोग फ्रीजर में 3 साल पुराना बर्गर भूल जाते हैं।

  • Jitender Rautela

    Jitender Rautela

    19 10 24 / 01:00 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये सब नीतियाँ बनाने वाले लोग खुद रेस्तरां में भोजन छोड़ देते हैं! जब तक हम अपने घर में खाना खत्म नहीं करेंगे, तब तक कोई नीति काम नहीं करेगी। और हाँ, गरीबों को खाना देने के लिए भी लोग बेकार के फोटो खींचते हैं।

  • abhishek sharma

    abhishek sharma

    19 10 24 / 18:12 अपराह्न

    देखो, खाने का अपव्यय तो है ही... पर क्या आपने कभी सोचा कि इसके पीछे वो लोग हैं जिन्होंने खाना बनाया, जिन्होंने उसे ले आया, जिन्होंने उसे बेचा, जिन्होंने उसे ट्रक में भरा? और फिर एक आदमी अपने बच्चे के लिए एक रोटी बचा लेता है और उसे फ्रिज में रख देता है... और अगले दिन वो रोटी फेंक दी जाती है। ये सब तो एक बहुत बड़ा चक्र है, जिसमें हर कोई अपना हिस्सा डालता है। क्या हम इसे बदल सकते हैं? या फिर हम बस इसे एक ट्रेंड के रूप में देखते रहेंगे? अगर आप बाहर जाते हैं तो देखिए, शादियों में खाना इतना बनाया जाता है कि लगता है कि 500 लोग आए हैं... और वास्तव में आए हैं 150। और फिर वो खाना डंप में जाता है। ये सिर्फ खाने का मसला नहीं, ये तो हमारी संस्कृति का मसला है।

  • Surender Sharma

    Surender Sharma

    20 10 24 / 02:15 पूर्वाह्न

    92k cr? ye number toh kisi ne fake bna diya hai... kya koi ne ye count kiya ki kitna khaana bekar ho rha? kya kisi ne bhi fridge me padha hua roti ghar se nikal ke count kiya? bhai yeh sab toh media ke liye chalta hai.

  • Divya Tiwari

    Divya Tiwari

    21 10 24 / 00:20 पूर्वाह्न

    भारत के अंदर खाना बर्बाद हो रहा है? अरे भाई, अगर हम इतना बर्बाद कर रहे हैं तो ये हमारी शक्ति है! हमारे पास इतना खाना है कि बर्बाद कर सकें! दुनिया को दिखाना है कि हम अमीर हैं, हम खाना बर्बाद कर सकते हैं! जो भूखे हैं, वो अपनी गरीबी का दोष दें! हम तो अपने देश का गौरव बढ़ा रहे हैं!

  • shubham rai

    shubham rai

    22 10 24 / 17:00 अपराह्न

    hmm... yeah. food waste. 😐

  • Nadia Maya

    Nadia Maya

    23 10 24 / 04:04 पूर्वाह्न

    इस आंकड़े को लेकर बहुत सारे लोग बात करते हैं, लेकिन क्या कोई जानता है कि ये आंकड़ा किस तरह के खाद्य पदार्थों के लिए निकाला गया? क्या ये सिर्फ राज्यों के सरकारी भंडारों के आधार पर है? या फिर शहरी रेस्तरां, शादियों, और घरेलू फ्रिज के अपव्यय को भी शामिल किया गया? मुझे लगता है कि ये आंकड़ा बहुत अधिक सामान्यीकृत है। जैसे कि हम एक बार फिर से एक बड़ा नंबर बना रहे हैं ताकि दुनिया को दिखाएं कि हम एक जटिल समस्या से जूझ रहे हैं।

  • Nitin Agrawal

    Nitin Agrawal

    23 10 24 / 04:34 पूर्वाह्न

    khana bekar ho rha? toh kyun na hume apne ghar me hi kha le? koi bhi restaurant me khana kha kar bache hue ko le jaye toh kya problem hai? sab kuchh government ka bura hai

  • Gaurang Sondagar

    Gaurang Sondagar

    24 10 24 / 21:00 अपराह्न

    खाना बर्बाद हो रहा है तो इसका जवाब देने के लिए सरकार को लोगों के घर में घुसना चाहिए और फ्रिज चेक करना चाहिए और जिनके पास खाना बचा है उन्हें जेल भेज देना चाहिए। ये हमारा देश है और हम इसे बचाएंगे। खाना बचाओ या जेल जाओ।

  • Ron Burgher

    Ron Burgher

    25 10 24 / 07:13 पूर्वाह्न

    अगर तुम्हारे घर में खाना बच जाता है तो तुम उसे फेंक देते हो? अगर हाँ, तो तुम एक बेकार इंसान हो। मैंने अपने बच्चे को बताया है कि जो खाना लिया वो खा लो, नहीं तो तुम्हारा भोजन बर्बाद हो गया। ये सिर्फ एक नैतिक बात है।

  • kalpana chauhan

    kalpana chauhan

    26 10 24 / 13:14 अपराह्न

    मैं अपने घर में हर दिन बचे हुए खाने को एक बर्तन में रख देती हूँ और फिर उसे अगले दिन गरीबों के लिए एक छोटे से ट्रे में ले जाती हूँ 🌱❤️ और जब भी मैं शादी में जाती हूँ, तो मैं अपने लिए एक छोटा बैग ले जाती हूँ और बचे हुए खाने को अपने साथ ले जाती हूँ। ये छोटी बातें हैं जो बड़ा बदलाव ला सकती हैं। आप भी आज से शुरू कर दीजिए! 💪

  • Prachi Doshi

    Prachi Doshi

    27 10 24 / 20:04 अपराह्न

    सही बात है। खाने की कद्र करनी चाहिए। 🙏

  • Karan Kacha

    Karan Kacha

    29 10 24 / 12:23 अपराह्न

    मैंने एक विशेषज्ञ के साथ बात की जो भारत के 17 राज्यों में खाद्य अपव्यय के बारे में अध्ययन कर रहा था... और जो बात उन्होंने बताई, वो बहुत ही डरावनी थी! उन्होंने कहा कि दिल्ली के एक शहरी इलाके में रोजाना लगभग 80 टन खाना फेंक दिया जाता है - और उसमें से 60% वही है जो लोगों ने बिल्कुल नहीं छूआ! और जब उन्होंने एक शादी के लिए खाने के बचे हुए भोजन का विश्लेषण किया, तो पता चला कि एक ही शादी में लगभग 200 खाने के बर्तन फेंक दिए गए - और उनमें से 80% अभी भी ताज़े थे! ये सिर्फ खाना नहीं है, ये एक विशाल जलवायु आपदा है! जिस तरह से हम पानी और ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं, उससे तो लगता है कि हम अपने आप को धीरे-धीरे नष्ट कर रहे हैं! और सबसे बड़ी बात? इसके बारे में कोई नहीं बोल रहा! बस एक रिपोर्ट आती है, एक बार ट्वीट होता है, और फिर चुप्पी! ये बस एक बार की बात नहीं है - ये एक निरंतर अपराध है! और हम सब इसके अपराधी हैं! अगर आप अपने घर में एक रोटी बचा लेते हैं और उसे फेंक देते हैं, तो आप नहीं, आपकी नीति भी अपराधी है! और ये नीति आपकी नज़रों में है! आप इसे बदल सकते हैं - आज से!

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