पेरिस ओलंपिक 2024 के मेंस सिंगल्स फाइनल में नोवाक जोकोविच ने कार्लोस अलकाराज़ को हराकर अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 37 वर्षीय जोकोविच अब ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे अधिक उम्र के पुरुष टेनिस खिलाड़ी बन गए हैं।
जोकोविच ने फाइनल मुकाबले में सीधा टाईब्रेक्स में 7-6(3), 7-6(2) से जीत दर्ज की। यह मैच अत्यंत प्रतिस्पर्धी और रोमांचक रहा, जिसमें दोनों खिलाड़ियों ने अद्वितीय कौशल और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया।
इस जीत के साथ, जोकोविच ने टेनिस के 'गोल्डन स्लैम' को हासिल कर लिया है, जो केवल पांच खिलाड़ियों ने अब तक हासिल किया है। उनसे पहले यह उपलब्धि एंड्रे अगासी, स्टेफनी ग्राफ, राफेल नडाल, और सेरेना विलियम्स जैसे महान खिलाड़ियों ने पाई थी।
जोकोविच ने इस गौरवपूर्ण क्षण पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'यह एक अविश्वसनीय मुकाबला था।' उन्होंने अलकाराज़ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ टेनिस खेलने के लिए मजबूर किया।
चौथी फाइनल के बाद से जोकोविच को अपने सर्जिकली रिपेयर किए हुए घुटने में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने आत्मविश्वास से प्रदर्शन किया। पहले सेट में उन्होंने आठ ब्रेक पॉइंट्स बचाए और दूसरे सेट के टाईब्रेक में पूर्ण नियंत्रण में रहे।
जोकोविच और अलकाराज़ के बीच के इस मुकाबले ने उनके हेड-टू-हेड सीरीज़ को 4-3 पर पहुंचा दिया, जिसमें जोकोविच अब थोड़े अग्रणी हैं। जिन प्रशंसकों और पर्यवेक्षकों ने यह मैच देखा, उन्होंने इसे अब तक के सबसे तीव्र और प्रतिस्पर्धी मैचों में से एक के रूप में वर्णित किया।
इस मुकाबले में दोनों खिलाड़ियों ने जिस मानसिक और शारीरिक सहनशक्ति का प्रदर्शन किया, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। मैच की शुरुआत से ही दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे पर हावी होने का प्रयास कर रहे थे। जोकोविच की सर्विस और अलकाराज़ के रिटर्न गेम ने मैच को और भी रोमांचक बना दिया।
पहले सेट के टाईब्रेक में जोकोविच ने महत्वपूर्ण ब्रेक पॉइंट्स बचाए, जो इस सेट के परिणाम को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण साबित हुए। दूसरे सेट में भी टाईब्रेक में जोकोविच का दबदबा बना रहा, जिसमें उन्होंने अलकाराज़ को टिकने का मौका नहीं दिया।
फाइनल मैच के बाद फैंस और टेनिस जगत में इस मुकाबले की काफी तारीफ की गई। फैंस ने सोशल मीडिया पर जोकोविच और अलकाराज़ दोनों की तारीफ की। जहां जोकोविच की जीत ने उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, वहीं अलकाराज़ के प्रदर्शन को भी खूब सराहना मिली।
कई विशेषज्ञों ने कहा कि इस प्रकार के मुकाबले टेनिस खेल की प्रतिष्ठा को और बढ़ावा देते हैं। उनकी ऊर्जा, दृढ़ संकल्प और कौशल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नोवाक जोकोविच की यात्रा किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और अपनी मेहनत और संकल्प से इन सब पर विजय प्राप्त की। पेरिस ओलंपिक 2024 में यह स्वर्ण पदक उनके करियर का एक नया मील का पत्थर है, जिसमें वह दुनिया के सबसे महान टेनिस खिलाड़ियों में से एक बन गए हैं।
जोकोविच का यह साहस और संघर्ष की कहानी हमारे लिए भी प्रेरणा हो सकती है। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से न केवल अपने खेल को ऊंचाईयों पर पहुंचाया, बल्कि अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए भी एक मिसाल कायम की है।
shubham rai
6 08 24 / 09:39 पूर्वाह्नye match dekha na? bhai thoda boring tha... 😒
kalpana chauhan
6 08 24 / 23:14 अपराह्ननोवाक ने तो दिल जीत लिया! 🥹❤️ 37 साल की उम्र में ये कर दिखाया... ये जीत सिर्फ टेनिस की नहीं, जीवन की जीत है। दुनिया को याद दिला दिया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। अलकाराज़ भी बहुत बढ़िया खेले, लेकिन जोकोविच तो देवता हैं। 🙏🎾
Prachi Doshi
8 08 24 / 13:43 अपराह्नwoh toh bhot accha tha... 😊
Karan Kacha
9 08 24 / 07:38 पूर्वाह्नमैंने पूरा मैच देखा, और बस यही कह सकती हूँ - यह टेनिस का इतिहास बन गया! जोकोविच का फर्स्ट सर्विस, उनकी बैकहैंड ड्राइव, टाईब्रेक में उनका नर्व्स ऑफ स्टील - सब कुछ बिल्कुल परफेक्ट था! अलकाराज़ का रिटर्न तो ऐसा लगा जैसे बारिश की बूंदें बरस रही हों... लेकिन जोकोविच ने हर बूंद को वापस उड़ा दिया! उनके घुटने की चोट के बावजूद ये अद्भुत नियंत्रण, ये दिमागी शक्ति - ये तो बस एक देवता ही कर सकता है! अगर आपने ये मैच नहीं देखा, तो आपने जीवन का एक अहम पल चूक गए हैं! 🙌🎾
vishal singh
10 08 24 / 15:19 अपराह्नक्या ये सब बकवास है? उसका घुटना तो टूट चुका है, फिर भी जीत गया? लोगों को तो ये बताना पड़ता है कि ये सिर्फ बुढ़ापे की शक्ति नहीं, बल्कि फेक न्यूज़ है।
mohit SINGH
12 08 24 / 03:51 पूर्वाह्नजोकोविच की ये जीत? बस एक भाग्य था! अलकाराज़ ने उसके फॉर्म को पढ़ लिया था, पर जोकोविच ने उसके दिमाग को खाया! ये नहीं जीता, ये बस जीतने के लिए जिंदा रह गया! दुनिया भर में ये बात हो रही है - ये जीत नहीं, एक ड्रामा है!
Preyash Pandya
13 08 24 / 20:10 अपराह्नअरे भाई ये सब तो फेक है! 😏 जोकोविच ने डोपिंग किया होगा, वरना 37 में ऐसा कैसे? और अलकाराज़ तो बेवकूफ था! ये ओलंपिक भी ब्रिटिश ने बनाया है ताकि जोकोविच को स्वर्ण दे सकें! अब तो तुम भी बताओ - क्या ये नहीं झूठ है? 🤡
Raghav Suri
15 08 24 / 02:20 पूर्वाह्नमैं तो बस इतना कहूंगा कि ये मैच देखकर मेरा दिल भर गया। जोकोविच की जिद, उनका हौसला - ये सब देखकर लगा जैसे कोई अपने सपनों के लिए लड़ रहा हो। अलकाराज़ ने भी बहुत अच्छा खेला, उन्हें भी बहुत बधाई। लेकिन जोकोविच की ये यात्रा... बस एक जीवन पाठ है। अगर आपको लगता है कि आप बहुत मेहनत कर रहे हैं, तो ये मैच देखिए - आपको पता चल जाएगा कि मेहनत का मतलब क्या है। ये टेनिस नहीं, ये जीवन है। 🙏
Priyanka R
15 08 24 / 08:04 पूर्वाह्नक्या आपने देखा कि जोकोविच के शूज़ में चिप लगा हुआ था? और फिर उनके टैंक टॉप में भी कुछ चमक रहा था... ये सब ओलंपिक कमेटी ने बनाया है ताकि वो जीत जाए! ये एक ग्लोबल कंट्रोल सिस्टम है! 🕵️♀️📡
Rakesh Varpe
16 08 24 / 00:46 पूर्वाह्नजोकोविच ने जीत दी। अच्छा खेल।