पहलगाम आतंकी हमले के बाद कर्नाटक CM सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, युद्ध नहीं शांति को बताया समाधान

पहलगाम आतंकी हमले के बाद कर्नाटक CM सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, युद्ध नहीं शांति को बताया समाधान

पहलगाम हमला: सिद्धारमैया ने युद्ध के बजाय सुरक्षा पर दी तवज्जो

कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों के हमले के बाद देश भर में रोष फैला था, क्योंकि इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई। ऐसे हालात में जब हर तरफ गुस्से और बदले की भावना के चर्चे थे, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अलग ही सुर पकड़ा। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान से युद्ध छेड़ना किसी भी समस्या का स्थायी हल नहीं है—बल्कि हमें अपनी सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया तंत्र को दुरुस्त करने की जरूरत है। सिद्धारमैया ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी उंगली उठाई कि वो सामान्य नागरिकों और पर्यटकों की सुरक्षा में नाकाम रही है। उनके मुताबिक, 2019 में पुलवामा जैसे बड़े हमला हुआ, जहां 40 जवान शहीद हुए, और अब यही कहानी फिर से दोहराई जा रही है।

सिद्धारमैया का कहना था—'हर बार हमला हो तो युद्ध ही एकमात्र जवाब क्यों बन जाता है? सरकार को सबसे पहले पता लगाना चाहिए कि चूक कहां हुई।' उनकी इस बात को लेकर पाकिस्तान के जियो न्यूज समेत तमाम पाकिस्तानी मीडिया घरानों ने भी मीडिया कवरेज दी, और इसे 'भारत के भीतर से उठती शांति की आवाज' के तौर पर पेश किया।

हमले के बाद राजनीति में गर्मी: BJP का पलटवार

सिद्धारमैया के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी। भाजपा नेताओं ने तो उन्हें 'पाकिस्तान रत्न' तक कह दिया, और सीधे आरोप लगाया कि वो अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। भाजपा ने आरोप लगाया कि ऐसे मौके पर सख्त रवैया अपनाने के बजाय सिद्धारमैया आतंकी नेटवर्क को परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, 'जो नेता हमलों के वक्त हमेशा पाकिस्तान की तरफ नरमी दिखाते हैं, वो देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।'

इन बढ़ती सियासी गहमागहमी के बीच सिद्धारमैया को सफाई भी देनी पड़ी। उन्होंने अपनी बात साफ की—'मैं युद्ध का विरोधी नहीं हूं, लेकिन युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए। सबसे अहम है कि हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां चुस्त-दुरुस्त रहें ताकि ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।' इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ, बल्कि हर राजनीतिक दल ने इस मुद्दे को अपने-अपने हिसाब से गरमा दिया।

यह विवाद महज सिद्धारमैया के बयान तक सीमित नहीं रहा, उसने भारत की सुरक्षा रणनीति, विपक्ष-सरकार के रिश्ते और आतंकी हमलों से निपटने के तौर तरीकों को भी सवालों के घेरे में ला दिया। विपक्ष जहां केंद्र सरकार पर सुरक्षा में सुस्ती का आरोप लगा रहा है, भाजपा के नेता ऐसे बयानों को देशहित के खिलाफ बता रहे हैं।

एक टिप्पणी छोड़ें