अगर आप कभी भारत‑बांग्लादेश संबंधों के बीच एक अहम प्रतीक की तलाश में थे, तो बांग्लादेश भवन से बेहतर कोई जगह नहीं मिलती। यह इमारत सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि दो देशों के दोस्ती का जीवंत सबूत है। चलिए, इस भवन की कहानी, उसकी बनावट और आज के कुछ खास इवेंट्स के बारे में बताते हैं, ताकि आप भी इसे समझ सकें और देख सकें।
बांग्लादेश भवन का निर्माण 1970 के दशक में हुआ, जब भारत और बांग्लादेश ने अपने रिश्ते को सुदृढ़ करने के लिए एक साझा स्थान की आवश्यकता महसूस की। इसे बांग्लादेश सरकार ने वित्तीय मदद के साथ भारत सरकार ने निर्माण कार्य में सहयोग किया। इमारत के बिल्डिंग प्लान में पारंपरिक बंगाली शैली को आधुनिक भारतीय वास्तुशिल्प के साथ मिलाया गया, जिससे एक अनोखा रूप मिला। बड़े बुर्ज, जटिल जाली वाले खिड़कियाँ, और ज़िला में बांस की छतें इस के प्रमुख लक्षण हैं।
भवन के भीतर अलग‑अलग मंज़िलों पर बांग्लादेशी कला, हस्तशिल्प और राष्ट्रीय ध्वज के आकार दर्शाए गए हैं। मुख्य सभा कक्ष में बड़े आयताकार फ़्रेस्को में दो देशों के इतिहास को दिखाया गया है, जिससे हर विज़िटर को दोनों देशों की सांस्कृतिक गहराई का बोध होता है।
बांग्लादेश भवन केवल एक स्मारक नहीं रहा; यह कई बड़े कार्यक्रमों का घर भी बन गया है। यहाँ हर साल बांग्लादेश दिवस मनाया जाता है, जिसमें पारस्परिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, खाद्य मेलों और साहित्यिक वार्ताओं का आयोजन होता है। इन कार्यक्रमों में अक्सर भारत‑बांग्लादेश के युवा कलाकार भाग लेते हैं, जिससे नई पीढ़ी को दो देशों के बीच के दोस्ती का एहसास होता है।
बहुत से सरकारी और गैर‑सरकारी मीटिंग्स भी इस इमारत में आयोजित होते हैं – जैसे व्यापार मेले, शैक्षिक सम्मेलन, और स्वास्थ्य शिविर। हाल ही में, इस जगह पर “एशिया कप 2025” के बारे में एक विशेष पैनल चर्चा हुई, जहाँ अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम के बारे में बात हुई, जैसा कि हमारी साइट पर एक समाचार में बताया गया था। इस प्रकार, बांग्लादेश भवन विभिन्न क्षेत्रों की खबरों को जोड़ता रहता है।
अगर आप यहाँ आने की योजना बना रहे हैं, तो सुनहरा समय सुबह 9 बजे से दोपहर 4 बजे के बीच है। प्रवेश निशुल्क है, लेकिन बड़े इवेंट्स में सीमित सीटों के कारण पहले से रजिस्ट्रेशन कर लिया करें। पार्किंग उपलब्ध है, और निकटवर्ती कैफ़े में बांग्लादेशी स्नैक्स का मज़ा ले सकते हैं।
सारांश में, बांग्लादेश भवन इतिहास, वास्तुशिल्प और संस्कृति का मिश्रण है, जो लगातार नई पीढ़ी को दो देशों के बीच के गहरे रिश्ते की याद दिलाता है। अगली बार जब आप दिल्ली या कोलकाता के आसपास हों, तो इस जगह को अपनी सूची में जोड़ें और खुद अनुभव करें कि दो राष्ट्र कैसे एक छत के नीचे मिलते हैं।
१७ जुलाई, २०२४ को बांग्लादेश के संस्कृति मंत्रालय के उप सचिव मोहम्मद सैफुल इस्लाम के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल ने शांतिनिकेतन में बांग्लादेश भवन के मरम्मत कार्यों का निरीक्षण किया। यह दौरा बांग्लादेश और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था।
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