तीरंदाजी भारत में सिर्फ खेल नहीं, बल्कि जड़ों से जुड़ी एक परंपरा है। गाँव‑गाँव में लोग तीर चलाने को अपने आचार‑विचार में शामिल करते हैं। आज की बात करें तो भारतीय तीरंदाज अंतरराष्ट्रीय मंच पर धूम मचा रहे हैं।
आइए सबसे पहले देखें कि भारत ने तीरंदाजी में कैसे कदम रखा। 1908 के लंदन ओलंपिक में भारत ने पहली बार तीरंदाजी में हिस्सा लिया, लेकिन तब तक हमें मेडल नहीं मिला। 2004 में एशिया कप में भारतीय टीम ने पहली बार टीम इवेंट में पदक जीतकर इतिहास रचा। तब से तीरंदाजी की रफ्तार तेज़ हुई।
दीपिका कुमाड़ी का नाम सुनते ही दिमाग में इन्डियन बैंकर की छवि आती है। वह कई बार एशिया गेन और विश्व कप में पेरजित हो चुकी हैं। 2022 में उन्होंने फ़ाइनल में पहुँच कर भारत को नई आशा दी। उसी तरह अतनु दास ने भी लगातार अंतरराष्ट्रीय टूरनामेंट में मजबूत प्रदर्शन किया है।
भारत ने 2020 टोक्यो ओलंपिक में महिला टीम एक्ज़ैक्ट्री में 7वाँ स्थान हासिल किया, जबकि पुरुष टीम ने क्वालिफ़ाईंग में बड़ी उछाल दिखाई। एशिया कप 2025 में अफगानिस्तान की 17‑सदस्यीय टीम में स्पिनर की भरमार है, पर हमारे पास भी स्पिन में दमदार तीरंदाज हैं जो इस खेल को नई ऊँचाईयों पर ले जा रहे हैं।
शिलॉंग तीर (Shillong Teer) भी तीरंदाजी के लोकप्रिय रूपों में से एक है। 29 अक्टूबर 2024 के शिलॉंग टीर रिजल्ट्स में कॉमन नंबर, हाउस नंबर और एंडिंग नंबर की जानकारी दी गई थी, जो प्रान्तीय स्तर पर तीरंदाजी के जुनून को दिखाता है। ऐसे लोकल इवेंट हमारे तीरंदाज़ों को शुरुआती चरण में ही अभ्यास करने का मंच प्रदान करते हैं।
अगले महीने UAE में एशिया कप 2025 होगा। अफगानिस्तान की टीम में स्पिनर की भरमार है, पर भारत के पास धुंधले बादल नहीं, बल्कि तेज़ी से चलने वाले तीरंदाज़ हैं। हमारी टीम भी इस इवेंट के लिए तैयार हो रही है, जिसमें कई युवा लक्ष्यकर्मियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी क्षमताएँ दिखाने का मौका मिलेगा।
देश के भीतर भी कई स्टेट लेवल इवेंट्स चल रहे हैं। हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में स्कूल‑टू‑स्टेडियम तीरंदाजी कार्यक्रम तेज़ी से बढ़ रहा है। इन कार्यक्रमों में प्रतिभा को सिखाने के लिए सर्टिफ़ाइड कोचेज़ का सहयोग लिया जा रहा है।
भविष्य में भारत को तीरंदाजी में और आगे बढ़ाने के लिए दो चीज़ों की जरूरत है: बेहतर सुविधाएँ और प्रोफेशनल सपोर्ट। अगर हमें अधिक ड्राईंग रेंज, फाइबर‑ग्लास ब्रेस और फ़िज़िकल ट्रेनिंग सेंटर मिलें, तो हमारे तीरंदाज़ विश्व मंच पर और तेज़ी से उछालेंगे।
तो, अगर आप तीरंदाजी के दीवाने हैं या सिर्फ इस खेल को समझना चाहते हैं, तो इस पेज को बुकमार्क कर लीजिए। यहाँ आपको भारतीय तीरंदाज़ों की ताज़ा खबरें, प्रतियोगिता परिणाम और प्रशिक्षण टिप्स मिलेंगे। आगे भी अपडेटेड रहिए और भारत के तीरंदाज़ों को अपना समर्थन दीजिए।
शीतल देवी, भारत की बिना हाथों वाली तीरंदाज, ने पेरिस 2024 पैरालंपिक्स की महिला व्यक्तिगत कंपाउंड स्पर्धा के रैंकिंग राउंड में विश्व रिकॉर्ड से मामूली अंतर से चूक गईं। 29 अगस्त को शीतल ने 703 अंक हासिल किए, लेकिन तुर्की की ओजनुर क्योर ने अंतिम प्रयास में 704 अंक प्राप्त कर शीर्ष स्थान हासिल किया।
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