भूस्खलन अचानक और तेज़ी से धरती के ऊपर के हिस्से को नीचे गिरा देता है। एक पल में कई लोग, घर और सड़कों का नाटक बिगड़ सकता है। अगर आप ग़रीब इलाकों, पहाड़ी क्षेत्रों या नदियों के किनारे रहते हैं, तो भूस्खलन का खतरा हमेशा रह सकता है। इसलिए इस लेख में हम समझेंगे कि भूस्खलन कब और क्यों होता है और ऐसी स्थिति में आपको तुरंत क्या करना चाहिए।
भूस्खलन के पीछे कई कारण होते हैं। सबसे बड़ा कारण तेज़ बारिश या बाढ़ है; जब मिट्टी में बहुत पानी फंस जाता है, तो वह खुद को पकड़ नहीं पाती और नीचे गिरती है। दूसरा कारण है पहाड़ी क्षेत्रों में मानवीय कार्य जैसे सड़क, इमारत या खदान का निर्माण, जो प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ देता है। थर्मल परिवर्तन, यानी बहुत गर्म या बहुत ठंडा मौसम, भी मिट्टी को ढीला कर देता है। कभी‑कभी भूकंप जैसी भौगोलिक घटनाएं भी भू‑स्खलन को ट्रिगर कर देती हैं। अगर आप इन संकेतों को पहचानते हैं – जैसे जमीन का लगातार फिसलना, दरारें बनना या पेड़‑पौधे असामान्य रूप से झुकना – तो समझ लेना चाहिए कि खतरा करीब है।
पहले तो अपने गाँव या मोहल्ले में सरकारी या स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी चेतावनी संदेशों को ध्यान से पढ़ें। बारिश के मौसम में अगर आप पहाड़ी इलाके में रहते हैं, तो बाहर जाने से पहले मौसम रिपोर्ट देखें। घर बनाते समय या प्लॉट चुनते समय सतही जल निकास, ड्रेनेज और ढलान की सही दिशा का ध्यान रखें। अगर आप खेत में काम करते हैं, तो हल्का उर्वरक प्रयोग और बफ़र ज़ोन बनाना मददगार रहता है।
भूस्खलन के समय सबसे जरूरी है जल्दी से सुरक्षित जगह पर जाना। नीचे बोरिंग या खाई नहीं बनाएं, बल्कि मजबूत ढाँचे वाली इमारत, ऊँची जगह या घास‑भरे तराज़ू में पंखा से बचें। अगर आप कार में यात्रा कर रहे हैं और अचानक जमीन फिसल रही दिखे, तो तुरंत गति कम करें, ब्रेक नहीं दबाएं, बल्कि धीरे‑धीरे स्टीयरिंग लेवर को मोड़ते हुए सुरक्षित जगह देखें।
भूस्खलन के बाद मदद कैसे मिलती है? स्थानीय प्रशासन की आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर सेव रखें, और यदि संभव हो तो बचाव दल को अपने वर्तमान स्थान की सटीक जानकारी दें। घर में जरूरी चीज़ें – पानी, दवाएँ, टॉर्च और प्राथमिक चिकित्सा किट – हमेशा एक हाथ में रखें, ताकि आपातकाल में तुरंत काम चल सके।
अंत में, याद रखें कि भूस्खलन को पूरी तरह रोकना मुश्किल हो सकता है, पर सही तैयारी और समय पर चेतावनी से आप और आपके परिवार की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। अगर आप इन सरल कदमों को रोज़मर्रा की जिंदगी में शामिल कर लेते हैं, तो भूस्खलन के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
केरल के वायनाड जिले के मेप्पाडी क्षेत्र में भयानक भूस्खलन ने कम से कम 89 लोगों की जान ले ली। सैकड़ों लोग मलबे में फंसे हुए हैं और बचाव कार्यो में तेजी लाने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एनडीआरएफ और अन्य बचाव दलों को घटनास्थल पर भेजा है। भारी बारिश के चलते बचाव कार्यों में दिक्कत आ रही है।
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