छठ पूजा – सूर्य अर्घ्य और व्रत का सम्पूर्ण गाइड

जब हम छठ पूजा, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला सूर्य‑उपवास का प्रमुख त्योहारा. इसे कभी‑कभी सूर्य अर्घ्य भी कहा जाता है तो समझिए कि यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि चार दिन‑चार रात की गहन आध्यात्मिक यात्रा है। चार दिन में मुख्यतः छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय खाय’ होता है, जहाँ उत्सव‑प्रेरित लोग शुद्ध जल में स्नान कर सादे भोजन से व्रत शुरू करते हैं। दूसरा दिन ‘करवा चौथ’ जैसा नहीं, बल्कि ‘कुंत्रा’ कहलाता है, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी होती है। तीसरा दिन ‘अर्घ्य’ के नाम से जाना जाता है – यहाँ सूर्य देवता को जल, भुक्ति और पान के साथ अर्घ्य दिया जाता है। आखिरी दिन ‘परायण’ कहलाता है, जिसमें उपवास तोड़ते हुए दाल‑भात, रोहित चावल और ठेकुवा का सेवन किया जाता है। इस चार‑दिवसीय क्रम में ‘व्रत’ (उपवास) और ‘अर्घ्य’ (जल‑भेंड़े) दोनों का समन्वय ‘छठ पूजा’ को अनोखा बनाता है।

मुख्य अनुष्ठान और सामाजिक पहलू

छठ पूजा में सूर्य देवता, सूर्य को जीवन‑स्रोत और शक्ति के प्रतीक रूप में पूजने वाला प्रमुख देवता को अर्घ्य देना सबसे महत्वपूर्ण है। यह अर्घ्य जल, गन्ने के रस, कस्तूरिया और चंदन के धुएँ से किया जाता है, जो सूर्य को शुभकामनाएँ भेजता है। ‘व्रत’ का नियम सख़्त है – सरिया (सादा जल) के अलावा कोई भी भोजन या पानी का सेवन नहीं। यह 36‑घंटे का शुद्ध उपवास शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतिक माना जाता है। सामाजिक रूप से, छठ का समारोह गाँव‑गाँव में मिल‑जुल कर मनाया जाता है, जिससे सामुदायिक भावना और पर्यावरण जागरूकता बढ़ती है। नदी या किनारे पर निर्मित मंच पर उठते सूर्य को देख कर लोगों में एकजुटता और प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव उत्पन्न होता है। साथ ही, ‘परायण’ के बाद सभी मिलकर मिठाई‑पान बाँटते हैं, जिससे सामाजिक बँधन और परस्पर सहयोग की भावना को बल मिलता है।

‘छठ पूजा’ का इतिहास प्राचीन वैदिक ग्रंथों में मिलता है, पर आज यह विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है। यदि आप पहली बार इस उत्सव को देख रहे हैं, तो ध्यान रखें कि पूजा में ‘सहस्र अर्घ्य’ (हजारों अर्घ्य) और ‘नव नवीश पिचकारी’ (नव पाँच अंश) जैसी विशेषताएँ भी होती हैं, जो स्थानीय रीति‑रिवाज़ के अनुसार बदलती हैं। इस लेख में हमने ‘छठ पूजा’ के मुख्य तत्व – सूर्य देवता, व्रत, अर्घ्य और परायण – को सरल शब्दों में समझाया है, साथ ही यह बताया है कि ये सभी कैसे आपस में जुड़े हैं और सामाजिक संरचना को कैसे मजबूत बनाते हैं। आगे आने वाले लेख‑सूची में आप विभिन्न पहलुओं पर गहराई से जानकारी पाएँगे, जैसे कि सही समय‑सारणी, आवश्यक वस्तुएँ और परिवार में इस त्यौहार को मनाने के आसान टिप्स। अब तैयार हो जाइए, छठ के उज्ज्वल अर्घ्य और शुद्ध व्रत की दुनिया में डुबकी लगाने के लिए।

2025 की छठ पूजा: चहाठी माँ को खुश करने के लिये 5 अनिवार्य फल

छठ पूजा 2025 में चहाठी माँ को खुश करने के लिये कौन‑से पाँच फल अर्पित करें, उनका महत्व और तैयारी की विधि जानिए।

विवरण +