हर पाँच साल में होते हैं चुनाव, लेकिन क्या हम सबको भरोसा है कि प्रक्रिया पूरी तरह से ठीक है? कई बार रिपोर्ट में दिखता है कि वोट गिनती में गड़बड़ी, झूठी जानकारी या कोराप्शन होते हैं। इसलिए चुनाव सुधार की बात बड़का महत्व रखती है। इस लेख में हम बात करेंगे कि सबसे जरूरी बदलाव कौन‑से हैं और वो कैसे लागू हो सकते हैं।
EVM ने कागज के कत्थे को खत्म कर दिया, पर अब भी सवाल हैं कि ये पूरी तरह सुरक्षित हैं या नहीं। सबसे बड़ा सुधार है वॉइस रीकोडिंग मशीन (VRM) का जोड़। यह मशीन वोटर को अपना वोट पढ़ने के बाद स्क्रीन पर दिखा देती है, जिससे गलती या धोखा कम होता है। साथ ही, रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग सेंटर बनाकर हर मतदान केंद्र पर डेटा तुरंत भेजा जा सकता है, जिससे मुद्दे तुरंत पकड़ में आएंगे।
कई जगहों पर डुप्लिकेट या मृत लोगों के नाम अभी भी सूची में होते हैं। इससे दोहरे वोट या गलत वोटिंग हो सकता है। यह समस्या हल करने के लिए डिजिटल पहचान (Aadhaar) के साथ लिंकिंग करनी चाहिए। अगर किसी का एधर कार्ड मौजूद नहीं है तो वह मतदाता सूची में नहीं आएगा, और अगर बदलता है तो तुरंत अपडेट हो जाएगा। इससे चुनाव में भरोसा बढ़ेगा और चुनौती भी कम होगी।
इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में अक्सर मतदाता सूची नहीं मिलती या पुरानी रहती है। स्थानीय नागरिक समूहों को सूची जांच में शामिल करने से जनता को खुद भी भरोसा रहेगा कि उनकी आवाज़ गिनी जा रही है। यह प्रक्रिया सस्ती भी है, क्योंकि ऑनलाइन फॉर्मेट में लोगों को अपडेट करने की जरूरत नहीं रहती।
पार्टीज अक्सर बड़े धनराशि खर्च करती हैं, लेकिन उसका स्रोत स्पष्ट नहीं होता। दृढ़ीकरण के लिए ऑनलाइन खर्च ट्रैकिंग पोर्टल बनाना चाहिए, जहाँ हर खर्च रसीद के साथ दिखे। फिर चाहे वह विज्ञापन हो या जनसम्पर्क, सब कुछ जनता देख सकेगी। इससे घोटाले कम होंगे और राजनेता अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।
अगर चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ फैलती है, तो इसे रोकने के लिए फैक्ट‑चेकिंग टीम स्थापित करनी चाहिए, जो रोज़ाना पोस्ट को स्कैन करके झूठे दावे को नोटिस करे। यह भी एक छोटा कदम है, पर प्रभाव बड़ा रहेगा।
कई बार लोग मतदान नहीं करते क्योंकि उन्हें प्रक्रिया समझ नहीं आती। इसे बदलने के लिए स्थानीय भाषा में आसान गाइड, छोटे वीडियो और स्कूल में सिमुलेशन कैंप आयोजित किए जा सकते हैं। अगर युवा वर्ग को सही जानकारी मिले, तो वे अपने अधिकारों को सुनियोजित ढंग से उपयोग करेंगे।
विशेष रूप से महिलाओं, दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए मतदान केंद्रों पर सुविधाजनक व्यवस्था जैसे व्हीलचेयर ramps, निजी बूथ और बुजुर्गों के लिए हेल्पलाइन रखनी चाहिए। जब सबको महसूस हो कि वोट देना आसान है, तो भागीदारी में स्वाभाविक वृद्धि होगी।
चुनाव सुधार केवल एक बड़ी योजना नहीं, बल्कि छोटे‑छोटे कदमों का जमा है। EVM में रीकॉर्डिंग, मतदाता सूची को डिजिटल बनाना, खर्च की पारदर्शिता, फेक न्यूज़ पर नियंत्रण और मतदाता जागरूकता—इन सबको साथ मिलाकर ही हम एक भरोसेमंद चुनाव प्रणाली बना सकते हैं। अगर सरकार, चुनाव आयोग और जनता मिलकर इन बदलावों को अपनाए, तो अगले चुनाव में हर वोट की गिनती सही और भरोसेमंद होगी।
आपका वोट आपका अधिकार है, इसे मजबूत बनाने में आपका योगदान भी उतना ही ज़रूरी है। अब जब आप जानते हैं कि चुनाव सुधार में क्या क्या हो सकता है, तो अगली बार मतदाता केंद्र पर कदम रखने से पहले इन बिंदुओं को याद रखें।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह प्रस्ताव लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को साथ-साथ आयोजित करने का लक्ष्य रखता है। हालांकि, विपक्ष के नेताओं ने इसे व्यावहारिक नहीं मानते हुए आलोचना की है।
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