अगर आप क्रिकेट का शौक़ीन हैं, तो शायद आपने ग्रेहैम थॉर्प का नाम सुनते ही दिल में थोड़ा हलचल महसूस की होगी। 1990 के दशक में उन्होंने इंग्लैंड को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाई और आज भी उनका स्टाइल कई युवा खिलाड़ी सीखते हैं। चलिए, उनके करियर, खेलने की शैली और रिटायरमेंट के बाद के कामों पर एक नज़र डालते हैं।
ग्राहम थॉर्प ने अपना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट 1993 में शुरू किया। पहले ही वर्ष में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 125 रन बनाकर अपना नाम बना लिया। उनका सबसे यादगार इनिंग 1998 में फिरोज़ाबाद में आया, जहाँ उन्होंने 115* बनाकर इंग्लैंड को एक ज़बरदस्त जीत दिलाई। वह पनिंग के बाद भी स्थिरता से खेलते रहे, जिससे उन्हें ‘स्टेबल प्लेयर’ कहा जाता था। कुल मिलाकर उन्होंने 100 टेस्ट मैचों में 6,000 से अधिक रन बनाए, कई बार 50 और 100 के साझे बनते रहे।
उनकी बलीवेटिंग टैक्टिक भी काफी प्रभावी थी। उन्होंने अक्सर मुश्किल परिस्थितियों में टीम को बचाया, जैसे 2001 में भारत के खिलाफ एक टाई‑ब्रीक इनिंग जहाँ उन्होंने 94* बनाकर इंग्लैंड को ड्रॉ सुरक्षित किया। इस तरह की इंस्टेंसिटी उन्हें रिवर्स‑लेग फाइंडर के तौर पर भी मशहूर बनाती है।
2005 में थॉर्प ने क्रिकेट से रिटायरमेंट ले ली, लेकिन उनका खेल के साथ रिश्ता यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने इंग्लैंड के यंगर्स को ट्रेनिंग देना शुरू किया और 2011 में इंग्लैंड के बॉलिंग कोच की जिम्मेदारी संभाली। इस भूमिका में उन्होंने कई तेज़ गेंदबाज़ों को ग्राउंडिंग, लाइन‑अंडर‑डायल टेक्निक पर काम करवाया, जिससे इंग्लैंड की बॉलिंग में नई जान आई।
कोचिंग के अलावा थॉर्प ने कई टेलीविज़न टॉक शोज में भी भाग लिया, जहाँ वह खिलाड़ियों की मनस्तिथि और मैदान में उनके निर्णयों को समझाते हैं। उनके अनुभव को सुनकर कई उभरते क्रिकेटर अपने खेल में सुधार लाते हैं।
आज भी थॉर्प अक्सर क्रिकेट क्लीनिक आयोजित करते हैं, जहाँ वह बचपन से ही क्रिकेट में रूचि रखने वाले बच्चों को बुनियादी शॉट्स और फील्डिंग की अहमियत सिखाते हैं। उनका मानना है कि बेसिक स्किल्स और सही मानसिकता ही किसी को बड़े मंच पर चमकाने में मदद करती है।
अगर आप ग्रेहैम थॉर्प से प्रेरणा लेना चाहते हैं, तो उनका करियर एक बेहतरीन उदाहरण है – निरंतर मेहनत, कठिन परिस्थितियों में शांत रहना और रिटायरमेंट के बाद भी खेल को आगे बढ़ाने की लगन। इनके किस्से पढ़ते हुए आप न सिर्फ उनके खेल को समझेंगे, बल्कि अपने खुद के लक्ष्य के लिए भी एक रोडमैप बना पाएँगे।
इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर और कोच ग्राहम थॉर्प का 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया। थॉर्प ने 100 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया और 6,744 रन बनाए। कोचिंग करियर में उन्होंने इंग्लैंड टीम को अनेक महत्वपूर्ण जीत दिलाई। उनकी असमय मृत्यु से क्रिकेट जगत शोक में है।
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