जब आप H-1B वीजा शुल्क, अमेरिका में H-1B वर्क वीजा के लिए सरकार द्वारा निर्धारित भुगतान संरचना. इसे अक्सर H‑1B Visa Fee कहा जाता है, जो आवेदन के कई चरणों में अलग‑अलग लागत जोड़ता है। इस फीस को समझना जरूरी है ताकि आप अनजाने में अतिरिक्त खर्च न दें। USCIS, संयुक्त राज्य नागरिकता और आव्रजन सेवा, जो वीजा प्रोसेसिंग का संचालन करती है इस पूरे प्रक्रिया की निगरानी करती है। आप जिस फॉर्म को भरते हैं, वह है I-129 फ़ॉर्म, नियोक्ता द्वारा पेश किया गया वीजा पिटिशन फॉर्म, जिसके साथ बेस फ़ीस जुड़ी होती है। अगर आप तेज़ प्रोसेस चाहते हैं, तो प्रीमियम प्रोसेसिंग, एक अतिरिक्त सेवा जिससे आपका पिटिशन 15 कैलेंडर दिनों में जाँच हो जाता है के लिए अतिरिक्त शुल्क जोड़ना पड़ता है। ये प्रमुख इकाइयाँ मिलकर H-1B वीजा शुल्क बनाते हैं, और इनके बीच संबंध समझना खर्च बचाने की कुंजी है।
H-1B वीजा शुल्क तीन बेसिक भागों में बँटा है: बेस फ़ीस, फ्राइट्री/एडवांस्ड परडिक्शन फ़ीस, और प्रीमियम प्रोसेसिंग फ़ीस। 2025 वित्तीय वर्ष में बेस फ़ीस $730 बनी रही, जबकि फ्राइट्री फ़ीस लगभग $1,500 तक बढ़ गई, जो हाई-टेक कंपनियों पर लागू होती है। प्रीमियम प्रोसेसिंग की लागत $2,500 है और यह सभी पिटिशन पर लागू हो सकती है, चाहे बेस फ़ीस की राशि कुछ भी हो। ये फीस केवल आवेदन से जुड़ी नहीं, बल्कि वीजा की वैधता अवधि, लॅबोर कैलेंडर, और अधिग्रहण के प्रकार पर भी प्रभाव डालती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका नियोक्ता H‑1B कैप‑एग्जेम्प्ट (जैसे विश्वविद्यालय या अनलाभकारी) है, तो फ्राइट्री फ़ीस नहीं लगती, लेकिन बेस फ़ीस और प्रीमियम प्रोसेसिंग अभी भी लागू होते हैं। इस तरह का अंतर दर्शाता है कि योग्यता मानदंड, विज़ा के लिये आवश्यक शैक्षणिक और पद संबंधी शर्तें सीधे शुल्क संरचना को प्रभावित करते हैं। साथ ही, आवेदन की टाइमलाइन भी खर्च को बदलती है—अटेंडेंस अपडेट या रिफंड पॉलीसी का उपयोग करके आप अनावश्यक भुगतान से बच सकते हैं। इसलिए, H-1B वीजा शुल्क को समझने के लिये आपको बेस, फ्राइट्री, और प्रीमियम प्रॉसेसिंग लागत को अलग‑अलग देखना चाहिए और यह देखना चाहिए कि आपका केस कौन‑से कैटेगरी में आता है।
अब आप इस टैग पेज के नीचे आने वाले लेखों में देखेंगे कि कैसे विभिन्न केस स्टडीज़, सरकारी अपडेट, और विशेषज्ञ सलाह H-1B वीजा शुल्क के अलग‑अलग पहलुओं को कवर करती हैं। चाहे आप पहली बार आवेदन कर रहे हों, या पहले से मिले फीस डिटेल्स को अपडेट करना चाहते हों, यहाँ आपको वास्तविक आंकड़े, फॉर्म‑फिल करने के टिप्स, और लागत घटाने की रणनीतियाँ मिलेंगी। इन जानकारीयों को पढ़कर आप अपने नियोक्ता या इमीग्रेशन वकील के साथ बेहतर चर्चा कर पाएंगे और अनावश्यक खर्चों से बच पाएंगे। आगे के लेखों में हम नवीनतम फ़ीस परिवर्तन, प्रीमियम प्रोसेसिंग के विकल्प, और वैधता समाप्ति पर रिन्यूअल‑फ़ीस की बात करेंगे, इसलिए स्क्रॉल करके देखें और अपने वीजा योजना को पूरी तरह तैयार रखें।
सितंबर 23 को भारतीय शेयर बाजार में Sensex 58 अंक गिरकर 82,102 और Nifty 33 अंक घटकर 25,170 पर बंद हुआ। H‑1B वीज़ा शुल्क में वृद्धि की खबर ने आईटी सेक्टर को दबाव में डाल दिया, जबकि बैंकिंग और ऑटो सेक्टर ने बफर का काम किया। Nifty Bank 225 अंक बढ़ा, मारुति सुजुकी सहित ऑटो स्टॉक्स ने रिकॉर्ड ताज़ा किया। छोटे‑मध्यम कैप शेयरों में बिकवाली आगे बढ़ी, जिससे बाजार की ब्रीद कमजोर रही।
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