IVF क्या है? समझिए आसान भाषा में

अगर आप गर्भधारण की कोशिश में हैं और डॉक्टर ने IVF (इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) का ज़िक्र किया है, तो घबारा मत। ये तकनीक ऐसी है जो आपके और आपके साथी के शुक्राणु व अंडे को लैब में मिलाती है और फिर बनाये गए एंब्रियो को गर्भाशय में रख देती है।

आइए, इस प्रक्रिया को कदम‑दर‑कदम तोड़‑फ़ोड़ कर समझते हैं, ताकि आपको हर चरण का अंदाज़ा हो और आप अपने सवालों के जवाब खुद ही पा सकें।

IVF प्रक्रिया कैसे काम करती है

पहला कदम: हार्मोन थेरेपी। डॉक्टर आपको ओव्यूलेशन (अंडे का निकलना) को नियंत्रित करने वाली दवाइयाँ देंगे। इससे एक या दो ही अंडे बड़े होकर तैयार हो जाते हैं। यह चरण आमतौर पर 10‑12 दिन चलता है।

दूसरा कदम: अंडे निकालना (एजैकल्शन)। जब अंडे पूरी तरह परिपक्व हो जाएँ, तो एक छोटा सर्जिकल प्रक्रिया (ट्रांसवेजिनल उलस्ट्रेशन) के ज़रिए उन्हें लेकर आते हैं। दर्द कम रखने के लिए हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है, और इस प्रक्रिया में आमतौर पर 5‑10 मिनट लगते हैं।

तीसरा कदम: लैब में फर्टिलाइज़ेशन। डॉक्टर आपके साथियों के शुक्राणु को ले कर अंडे के साथ मिलाते हैं। कभी‑कभी स्पर्म इन्जेक्शन (इंट्रासाइटोप्लाज़्मिक sperm injection – ICSI) भी किया जाता है, खासकर जब शुक्राणु कम या कमजोर हों। फिर एंब्रियो को 3‑5 दिन तक इनक्यूबेट किया जाता है।चौथा कदम: एंब्रियो ट्रांसफर। सबसे स्वस्थ एंब्रियो (आमतौर पर 1‑2) को सुई से गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई सर्जरी नहीं होती और इसे दर्दनाक नहीं माना जाता।

पाँचवाँ कदम: सपोर्ट थेरेपी। ट्रांसफर के बाद डॉक्टर कुछ हार्मोन दवाइयाँ देंगे ताकि एंब्रियो को बेस्ट सपोर्ट मिल सके। लगभग दो हफ्ते बाद बीटा‑हCG टेस्ट से पता चलता है कि क्या गर्भधारण सफल हुआ है।

IVF की लागत और सफलता दर

खर्च सबसे बड़ा सवाल है। भारत में IVF का पूरा पैकेज (दवाइयाँ, एंजियोसिस, लैब फीस, ट्रांसफर) लगभग 1.2 लाख से 2.5 लाख रुपए तक हो सकता है। कुछ क्लीनिक में किफ़ायती पैकेज भी मिलते हैं, लेकिन दवाइयों की कीमत या क्लिनिक की प्रतिष्ठा के आधार पर बदल सकता है।

सफलता दर आयु, कारण और क्लिनिक की तकनीक पर निर्भर करती है। 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में बार‑बार कोशिश में 40‑45% सफलता मिलती है। 35‑38 की उम्र में यह 30‑35% और 38‑40 में 20‑25% तक गिरती है। इसलिए डॉक्टर अक्सर पहले दो‑तीन चक्र में ही परिणाम देखते हैं।

कुछ टिप्स जो दर को बढ़ा सकते हैं:

  • सही समय पर दवाइयाँ लेना, डॉक्टर के निर्देश माने।
  • फर्टिलिटी‑फ्रेंडली लाइफ़स्टाइल अपनाएँ – हल्का व्यायाम, धूम्रपान/शराब छोड़ें।
  • संतुलित आहार, विशेषकर प्रोटीन, आयरन और फोलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में लें।
  • स्ट्रेस कम करने के लिए योग या ध्यान करें; तनाव हार्मोन को बिगाड़ सकता है।

अक्सर लोग सोचते हैं कि IVF मात्र तकनीक है, लेकिन इससे जुड़ी भावनात्मक यात्रा को समझना भी जरूरी है। कई दंपत्ती शुरुआती विफलता से उदास हो जाती हैं, इसलिए मनोवैज्ञानिक सपोर्ट या सपोर्ट ग्रुप से जुड़ना फायदेमंद रहता है।

अंत में, अगर आप IVF के बारे में सोच रहे हैं तो अपने फर्टिलिटी क्लिनिक से पूरी जानकारी लीजिये – किताबें, वीडियो या कंसल्टेशन से सवाल पूछें। जितना आप जानकारी इकट्ठा करेंगे, उतना ही भरोसा महसूस करेंगे। याद रखें, यह प्रक्रिया कई दंपतियों को परिवार दे चुकी है, और आपके लिए भी वही खुशियों का रास्ता बन सकता है।

ईशा अंबानी ने किया खुलासा: IVF के जरिए जुड़वाँ बच्चों की माँ बनीं, निता अंबानी की तरह

ईशा अंबानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी, ने खुलासा किया है कि उन्होंने अपनी माँ निता अंबानी की तरह IVF के जरिए जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया है। यह खुलासा उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में किया। ईशा की यह पहल भारत में IVF और बांझपन के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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