जब बात Navratri 2023, हिन्दु कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि का नौ‑दिन का उत्सव जिसमें दुर्गा, माँ काली और शैतान पर विजय का प्रतीक है. इसे नवव्रत भी कहा जाता है, तो ये वर्ष के खास तिथियों, रीति‑रिवाजों और लोकसंस्कृति के साथ कैसे जुड़ता है, इस पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
इस उत्सव का मुख्य केंद्र दुर्गा, हिन्दू धर्म में शक्ति के रूप में पूजी जाने वाली देवी, जो नवरात्रि में नौ रूपों में प्रकट होती है है। दुर्गा के नौ रूप—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चण्डि, कुण्डली, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री—हर दिन के साथ अलग‑अलग अनुष्ठान और मंत्र होते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक उत्थान का साधन है, बल्कि परिवार में सामंजस्य भी बनाता है। प्रत्येक रूप को स्मरण करने से जुड़ी उपवास, भोक नहीं खाना, शाकाहारी भोजन करना और कुछ समय मौन रखना परम्परा भी नवरात्रि का अभिन्न भाग है। उपवास का उद्देश्य मन को शुद्ध करना और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करना है।
उपवास के बाद शाम को अक्सर गरबा, घूमते हुए गाते‑नाचते हुए एकत्रित नृत्य, विशेषकर गुजरात में नवरात्रि के दौरान किया जाता है शुरू हो जाता है। गरबा का मूल सिद्धांत ‘नृत्य + भजन = आध्यात्मिक ऊर्जा’ है, जहाँ आप ताल पर थिरकते हुए मंत्रों की धारा में डूब जाते हैं। गरबा में सहभागिता न केवल शारीरिक व्यायाम देती है, बल्कि सामुदायिक बंधन को भी मजबूत बनाती है। कई लोग कहते हैं, “गरबा के बिना नवरात्रि अधूरी लगती है”, क्योंकि यह उत्सव को जीवंत बनाता है।
भजन‑कीर्तन, कालरात्रि में रावण का पूजन और दशहरा तक की यात्रा भी नवरात्रि के व्यापक रूप को दर्शाती है। इस क्रम में Navratri 2023 के तिथि‑समय निर्धारित करने के लिए पंचांग, सिताराम और नववर्ष की गणना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, 2023 में नवरात्रि शरद ऋतु में 15 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक चली, जहाँ प्रत्येक दिन ‘व्रत’, ‘पूजा’, ‘भोजन’ और ‘भजन‑कीर्तन’ के चार चरण होते थे। इस तरह की संरचना हमें अनुष्ठानिक अनुक्रम (व्रत → पूजा → आहार → भजन) के माध्यम से तिथियों को समझने में मदद करती है।
1. व्रत नियम: तेज़ व्रत, झींगा-मांस वर्जित, फल‑सब्जी पर आधारित आहार। 2. पूजा सामग्री: कदली, धूप, हल्दी, हवा, फूल, और कलश। 3. धार्मिक गीत: ‘या देवी यारा’, ‘ओंदा कुंडा’। 4. समुदायिक आयोजन: स्थानीय मंदिरों में ‘आदि पूजा’ और ‘गरबा’ का प्रबंधन। ये सभी तत्व नवरात्रि को सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर मजबूत बनाते हैं।
अब आप समझ गए होंगे कि Navratri 2023 केवल तिथियों का समूह नहीं, बल्कि एक विस्तृत परम्पराओं, उपवास, गरबा और देवी दुर्गा के नौ रूपों का जाल है। नीचे आप विभिन्न लेखों, रिपोर्टों और टिप्स की सूची पाएँगे जो नवरात्रि के विभिन्न पहलुओं—ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक—को कवर करती हैं। पढ़ते रहें और अपने नवरात्रि उत्सव को और भी बेहतरीन बनाइए।
16 अक्टूबर 2023 को शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ आया। दिन की तिथि द्वितीया और तृतीया थी, सूर्योदय 6:22 एएम और सूर्यास्त 5:51 पीएम रहा। चंद्र दर्शन के खास अवसर ने इस मर्यादा को और बड़ा significance दिया। पंचांग में चंद्र उदय 7:39 एएम, चंद्र अस्त 6:45 पीएम दर्ज है। इस दिन के शुभ मुहूर्त और राहु काल भी धर्मपरायणों के लिये महत्वपूर्ण थे।
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