निता अंबानी – जीवन, काम और समाज में योगदान

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत की सबसे बड़े उद्यमियों की पत्नियों में से एक, निता अंबानी, कैसे अपने आप को एक सफल महिला बिज़नेस लीडर और दानकर्ता दोनों बना पाईं? चलिए, उनके शुरुआती दिनों से लेकर आज के सामाजिक कार्य तक की कहानी को सरल शब्दों में समझते हैं।

व्यावसायिक सफर और रिलायंस में भूमिका

निता अंबानी का जन्म 1963 में इरानी शहर अज़रबाइजान में हुआ था। बचपन में उनके माता‑पिता ने उन्हें शिक्षा के महत्व पर ज़ोर दिया, इसलिए उन्होंने कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी में एग्रो‑इकोनॉमी की पढ़ाई पूरी की। 1995 में मुकेश अंबानी से शादी के बाद, उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज में धीरे‑धीरे अपनी जगह बनाई।

रिलायंस में उनका पहला बड़ा योगदान था रिलायंस फाउंडेशन की स्थापना, जो आज स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास में कई करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है। निता ने इस फाउंडेशन को रणनीतिक दिशा दी, जिससे प्रोजेक्ट्स का असर तेजी से बढ़ा।

व्यापार जगत में उन्होंने खुद को केवल “पति की पत्नी” नहीं, बल्कि कंपनी की प्रमुख महिला लीडर के रूप में स्थापित किया। 2005 में रिलायंस ने उनके नाम पर रिलायंस फाउंडेशन फॉर द एन्हांसमेंट ऑफेडुकेशन (RFFE) शुरू किया, जहाँ उन्होंने ग्रामीण स्कूलों के ढाँचे में बदलाव लाए, स्कूल लाइब्रेरी और डिजिटल क्लासरूम बनवाए।

स्पोर्ट्स में भी निता की दिलचस्प भूमिका है। मुंबई इंडियंस के मालिक के रूप में, उन्होंने टीम के विकास, खिलाड़ी चुनाव और ब्रांडिंग में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनकी कड़ी मेहनत का फल 2013 में टीम को पहला IPL ट्रॉफी जीतना था, और बाद में भी कई बार जीत हासिल हुई।

समाजिक पहलकदमियां और दान कार्य

निता अंबानी का सबसे बड़ा पहचान उनका दान कार्य है। 2014 में उन्होंने रिलायंस फाउंडेशन के तहत ‘रिलायंस नर्सिंग स्कूल’ शुरू किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरीं। इस पहल से अब तक 10,000 से अधिक नर्सें तैयार हुई हैं।

एक और प्रमुख प्रोजेक्ट है ‘रिलायंस फाउंडेशन इनोवेशन हब’, जहाँ युवा उद्यमियों को फंडिंग और मेंटरशिप मिलती है। निता ने इस हब को महिलाओं के लिए खास तौर पर सशक्त बनाने पर फोकस किया, जिससे उनका उद्यमिता का सपना सच हो सके।

पिछले साल, उन्होंने ‘आरोग्य सवेरन’ अभियान लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य कोविड‑19 के बाद ग्रामीण बुजुर्गों को मुफ्त स्वास्थ्य जांच और दवाइयाँ देना था। इस अभियान ने 1.2 लाख लोगों की मदद की और स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाया।

उनकी सामाजिक जिम्मेदारी के काम को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जैसे ‘ग्लोबल फेमिनिन लीडरशिप अवॉर्ड’ और ‘युनेस्को इंस्पायरिंग वूमेन अवार्ड’। इन सम्माननामों से यह साफ़ दिखता है कि उनके प्रयास सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहे जा रहे हैं।

अगर आप निता अंबानी की कहानी से प्रेरणा लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले यह समझें कि उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल को एक साथ जोड़कर सामाजिक बदलाव लाने की सोच रखी। उनके कार्यों से पता चलता है कि बड़ी कंपनियों में भी सामाजिक योगदान को प्राथमिकता देना संभव है, बशर्ते सही रणनीति और दृढ़ संकल्प हो।

आगे देखते हुए, निता अंबानी अब भी नई पहल के लिए तैयार हैं—जैसे जल संरक्षण, डिजिटल साक्षरता और महिला सशक्तिकरण। ये पहलें न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

तो, अगली बार जब आप किसी बड़े प्रोजेक्ट या दान कार्य के बारे में सुनें, तो याद रखें कि पीछे कई बार ऐसे लोग होते हैं जो खुद को सिर्फ व्यापारी नहीं, बल्कि समाज सुधारक मानते हैं। निता अंबानी ऐसा ही एक उदहारण हैं—एक ऐसी महिला जो व्यापार में सफल है और साथ ही अपने समाज को बेहतर बनाने में भी अग्रणी है।

ईशा अंबानी ने किया खुलासा: IVF के जरिए जुड़वाँ बच्चों की माँ बनीं, निता अंबानी की तरह

ईशा अंबानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी, ने खुलासा किया है कि उन्होंने अपनी माँ निता अंबानी की तरह IVF के जरिए जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया है। यह खुलासा उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में किया। ईशा की यह पहल भारत में IVF और बांझपन के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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