जब आप Panchang, हिंदू कैलेंडर का विस्तृत स्वरूप जो तिथि, नक्षत्र, सूर्य‑चंद्रमा की गति और लग्न को दर्शाता है. इसे कभी‑कभी "पंचांग" या "पँचना" भी कहा जाता है, हिंदी पंचांग के रूप में, यह दैनिक जीवन में समय निर्धारण के लिए आधारभूत है। यदि आप पूजा‑पाठ, शादी या व्यवसायिक निर्णयों में सही समय चुनना चाहते हैं, तो पंचांग आपका पहला सहायक बन जाता है।
पंचांग का एक मुख्य घटक तिथि, चंद्रमा के एक पूर्ण चक्र के आधार पर निकाली गई दिन की संख्या है। तिथि निर्धारित करती है कि कौन‑सा दिन शुभ है और कौन‑सा नहीं। दूसरा अहम भाग नक्षत्र, भ्रमणशील नक्षत्रों में से सूर्य की स्थिति है, जो व्यक्तियों के जन्म कुंडली और अनुष्ठानों की समयाबद्धता को प्रभावित करता है। तीसरा प्रमुख तत्व सूर्य‑चंद्रमा, इन दो खगोलीय पिंडों की गति जो दिन‑रात और ऋतुओं को बनाती है है, जो तिथि‑नक्षत्र के साथ मिलकर शुभ समय (मुहुरत) तय करता है। अंत में लग्न, ज्योतिष में जन्म के समय ऊर्ध्वाधर रेखा, जिससे कुंडली बनती है पंचांग के साथ मिलकर व्यक्तिगत ग्रह स्थितियों को दिखाता है।
पंचांग समय निर्धारण को कई परस्पर जुड़े तत्वों के माध्यम से करता है। यह त्रिक संबंध स्थापित करता है: Panchang समाहित करता है तिथि, तिथि निर्भर करती है चंद्रमा की चरण‑बदलाव पर, और नक्षत्र निर्देशित करता है शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त सूर्य की स्थिति। इससे यह साफ़ हो जाता है कि सही मुहुरत चुनने के लिए आपको केवल तिथि ही नहीं, बल्कि नक्षत्र और सूर्य‑चंद्रमा की गति दोनों को देखना पड़ता है।
आज के डिजिटल युग में कई वेबसाइटें और मोबाइल ऐप्स पंचांग दिखाते हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि इनके पीछे अद्यतन खगोल विज्ञान डेटा (जैसे NASA की उल्का‑पथ गणना) और पारम्परिक ज्योतिषीय सूत्र दोनों का प्रयोग होता है। जब आप किसी विशेष तिथि की पूजा या शारीरिक कार्य कर रहे हों, तो पंचांग की मुहुरत देखना आपको समय‑सारिणी से आगे बढ़कर ऊर्जा‑संतुलन प्रदान करता है।
पंचांग के उपयोग को दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है: धार्मिक‑आध्यात्मिक और व्यावहारिक‑व्यापारिक. धार्मिक पक्ष में तेज़ पूजा, वैध बर्थडे कट्टर, विवाह, गृहप्रवेश आदि के लिए शुभ तिथि‑समय तय किया जाता है। व्यावहारिक पक्ष में व्यवसायी दिन‑परिचालन, शेयर‑बाजार निवेश, कृषि कार्य आदि के लिए भी पंचांग के योग‑फायदे देखे जाते हैं। इस दो‑आधार वाले उपयोग से यह स्पष्ट होता है कि पंचंग सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में निर्णय‑लेने का एक व्यावहारिक टूल भी है।
आपकी जगह के हिसाब से पंचांग में थोड़ा‑बहुत अंतर हो सकता है, क्योंकि स्थानीय समय‑क्षेत्र, अक्षांश‑देशांतर और परंपरागत ग्रन्थ (जैसे बृहद भागवेतर मुहुरत) को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए जब आप ऑनलाइन पंचांग देखते हैं, तो अपना स्थानीय समय‑क्षेत्र चुनें, ताकि तिथि‑समय आपके वास्तविक परिस्थितियों से मेल खाए। यह छोटा‑सा कदम आपके कार्यों की सफलता की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा सकता है।
आगे के लेखों में आप देखेंगे कि कैसे 2025 की प्रमुख तिथियों में नयी नक्षत्र प्रवृत्तियों ने विभिन्न त्योहारों को प्रभावित किया, सूर्य के विशेष उदय‑अस्त से जुड़ी धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में विस्तृत जानकारी, और लग्न‑संकेतों के आधार पर व्यक्तिगत ज्योतिषीय सलाह। चाहे आप क्रिकेट के मैच के समय को पहचाना चाहते हों या नवरात्रि के परम्परागत पूजा का सही समय, पंचांग आपके लिये एक भरोसेमंद मार्गदर्शक रहेगा। नीचे दी गई लिस्ट में हमारे ताजे लेख और अपडेट आपके ज्ञान को समृद्ध करेंगे।
16 अक्टूबर 2023 को शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ आया। दिन की तिथि द्वितीया और तृतीया थी, सूर्योदय 6:22 एएम और सूर्यास्त 5:51 पीएम रहा। चंद्र दर्शन के खास अवसर ने इस मर्यादा को और बड़ा significance दिया। पंचांग में चंद्र उदय 7:39 एएम, चंद्र अस्त 6:45 पीएम दर्ज है। इस दिन के शुभ मुहूर्त और राहु काल भी धर्मपरायणों के लिये महत्वपूर्ण थे।
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