क्या आपको कभी लगता है कि पूजा करते समय कुछ चीज़ें चूक जाती हैं? चिंता ना करें, यहाँ हम आपको सरल, व्यावहारिक कदमों में पूरी पूजा की विधि बताएंगे। चाहे आप नवरात्रि की विशेष पूजा कर रहे हों या रोज़ की साधारण पूजा, ये टिप्स काम आएँगी।
सबसे पहले, पूजा का सही समय चुनें। आमतौर पर सांयकाल या सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि उस वक्त मन और शरीर दोनों शांत होते हैं। फिर, आवश्यक सामान इकट्ठा करें – पाणि, पवित्र धूप, अगरबत्ती, अक्षर (जैसे पीपल, रबड़), फल, मिठाई और नवज्योति (दीपक)। यदि आप नवरात्रि में पूजा कर रहे हैं तो माँ दुर्गा की अलग‑अलग रूपों की तस्वीरें या प्रतिमा भी रखें।
साफ‑सुथरी जगह पर एक छोटा बरतन या कटोरा रखें, जिसमें पानी डालें। पानी को शुद्ध मानें – अगर संभव हो तो कलश से भरें या शुद्ध जल का उपयोग करें। यह जल पूजा में शुद्धता का प्रतीक है।
1. ध्यान और अभिषेक – पूजा शुरू करने से पहले गहरी सांस लें, मन को शान्त करें और भगवान का स्मरण करें। फिर घी, शहद या तिल का अभिषेक करें। यह ऊर्जा को संतुलित करता है और आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ाता है।
2. आधार स्थापना – प्रतिमा या फोटो के नीचे एक साफ़ कपड़े या कुराकी रखें। उसके ऊपर एक छोटा धूप का दीपक रखें और चारों ओर सफेद चावल और पवित्र जल बिखेरें। यह पर्यावरण को पवित्र बनाता है।
3. आशीर्वाद और मंत्रोच्चारण – अपने मनपसंद मंत्र (जैसे "ॐ दुं दुं दुं भैनं" नवरात्रि के लिए) दोहराएँ। आप छोटा मंत्र या अपने परिवार की प्रीति के अनुसार कोई भी मंत्र उपयोग कर सकते हैं। मंत्रों के साथ हाथों को घुमा‑घुमा कर जल में डुबोएँ और फिर प्रतिमा पर छिड़कें।
4. भोग का अर्पण – तैयार किए हुए फल, मिठाई और पावडर को एक साफ़ पलेट पर रखें और हल्के हाथ से भगवान को अर्पित करें। नवरात्रि में विशेष रूप से हर दिन एक अलग फल या मिठाई का चयन करके अर्पण करने से उत्सव का मज़ा दोगुना हो जाता है।
5. दीप प्रज्वलित करना – एक छोटा मेणबत्ती या घी का दीया जलाएँ। इसे धीरे‑धीरे घुमाते हुए भगवान के सामने रखें। रोशन दीपक मन की अंधकार को दूर करता है और आध्यात्मिक प्रकाश देता है।
6. समापन और प्रसाद वितरित करना – पूजा समाप्त होने पर धन्यवाद कहें और सभी उपस्थित लोगों को प्रसाद बाँटें। प्रसाद ऊर्जा का साझा रूप है, इसलिए इसे दिल से दें।
ये सभी चरण पालन करने से आपकी पूजा न केवल व्यवस्थित बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहरी हो जाएगी।
अगर आप पहली बार पूजा कर रहे हैं तो थोड़ा समय ले कर हर चरण को समझें और धीरे‑धीरे अभ्यास करें। धीरे‑धीरे आप इस प्रक्रिया को स्वाभाविक बना लेंगे। याद रखें, पूजा का असली मकसद दिल से जुड़ना है, इसलिए फॉर्मूले पर फँसने की बजाय ईमानदारी से अपने भाव प्रकट करें।
अंत में, नियमित पूजा से मन में शांति, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। चाहे नवरात्रि का उत्सव हो या रोज़ की साधारण पूजा, सही विधि अपनाएँ और रोज़ की जिंदगी में आध्यात्मिक सुकून पाकर देखें।
नाग पंचमी 2025 का पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा जिसमें सुबह 5:41 से 8:23 तक पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। यह त्योहार शेष नाग, वासुकी आदि की पूजा, भाई के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। महिलाएं विशेष प्रार्थना और पूजा विधि अपनाती हैं। गुजरात में यह पर्व 13 अगस्त को मनाया जाएगा।
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