जब सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के बड़े फैसले लेने होते हैं, तो अक्सर एक भरोसेमंद सलाहकार की जरूरत पड़ती है। यही भूमिका निभाता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA). उनका काम केवल रिपोर्ट बनाना नहीं, बल्कि नीति बनाना, संभावित खतरे की पहचान करना और टॉप लेवल पर रणनीति बनाना है।
अगर आप सोच रहे हैं कि यह पद सिर्फ बड़े दिमाग वाले लोगों के लिए है, तो नहीं। आज के NSA अक्सर विभिन्न क्षेत्रों—सेना, विदेश, साइबर, आतंकवाद—से आते हैं और टीम वर्क में माहिर होते हैं। वो सीधे प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री को सलाह देते हैं, जिससे तेजी से निर्णय लेना आसान हो जाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मुख्य जिम्मेदारियों में ये चीजें आती हैं:
इन सब कामों के लिए NSA को लगातार अपडेटेड रहना पड़ता है। हर महीने नई रिपोर्ट, नई तकनीक, नई धमकी—इन सभी को समझकर सही सलाह देनी होती है।
भारत जैसे बड़े और विविधताओं से भरपूर देश में NSA के सामने कई कठिनाइयाँ आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती है बहु-परतों वाली सुरक्षा खतरे—साइबर हमले, सीमावर्ती संघर्ष, आतंकवादी समूहों की सक्रियता—all at once. इनको एक साथ संभालना आसान नहीं।
दूसरी समस्या है अंतर-स्थलीय समन्वय। सेना, intelligence agencies, विदेश मंत्रालय, राज्यों की पुलिस—इन सभी को एक ही दिशा में ले जाना है। अक्सर अलग-अलग एजेंसियों की प्राथमिकताएं अलग होती हैं, इसलिए NSA को मध्यस्थ बनकर सभी को समझाना पड़ता है।
तकनीकी बदलाव भी एक बड़ा रुकाव है। AI, ड्रोन, क्वांटम कंप्यूटिंग—ये सब नई धारा बन रही हैं और अगर इनको सही तरह से अपनाया न गया तो जोखिम बढ़ जाता है। NSA को इन तकनीकों को समझना और नीति में शामिल करना चाहिए।
भ्रष्टाचार और राजनैतिक दबाव भी कभी-कभी काम में बाधा बनते हैं। सलाहकार को अपने काम में निष्पक्ष रहना पड़ता है, तभी सरकार सही दिशा में आगे बढ़ सके। इस कारण अक्सर उसे जनता का भरोसा जीतने की भी जरूरत पड़ती है।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए NSA को न केवल विशेषज्ञता, बल्कि तेज़ सोच और टीम लीडरशिप भी चाहिए। जब ये सब मिल जाता है, तो देश की सुरक्षा बढ़ती है और संकट के समय में सरकार को स्पष्ट दिशा मिलती है।
आखिर में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का काम सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि भारत की शांति, स्थिरता और विकास की नींव को मजबूत करने का मिशन है। अगर आप इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, तो बीती हुई घटनाओं का अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का ज्ञान और नवीनतम तकनीकी समझ जरूरी है। यही चीजें आपको इस भूमिका में सफल बना सकती हैं।
अजीत डोभाल को तीसरी बार भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया गया है, जिससे वे इस पद को लगातार तीन बार संभालने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। वे पीके मिश्रा के साथ अपनी सेवा जारी रखेंगे, जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव बने रहेंगे। दोनों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
विवरण +