अगर आप डॉक्टर बनना चाहते हैं और सरकारी कॉलेज में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो इस पेज पर आपको वही सब जानकारी मिलेगी जो आपको चाहिए। यहाँ हम बतायेंगे कैसे NEET के बाद आपको बैठकों में जगह मिलती है, कटऑफ़ कैसे तय होते हैं और कौन‑से कॉलेज सबसे बेकार नहीं हैं। आप बस पढ़िए, नोट बनाइए और आगे बढ़िए।
NEET (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) भारत में मेडिकल कॉलेज में प्रवेश का मुख्य रास्ता है। परीक्षा के परिणाम आने के बाद, मेडिकल कॉलेजों के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर काउंसलिंग शुरू होती है। काउंसलिंग में आपका रैंक, आपकी श्रेणी (जनजाति, शेड्यूल, OBC आदि) और आपके चयनित राज्य की सीट आवंटन नीति तय करती है कि आपको कौन‑सा कॉलेज मिलेगा।
कटऑफ़ हर साल अलग होते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर AIIMS, JIPMER जैसे केंद्रित संस्थानों में 5‑6 अंकों का कटऑफ़ रहता है, जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 30‑40 अंकों का कटऑफ़ देख सकते हैं। भारत में 2024‑25 के डेटा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में कटऑफ़ थोड़ा कम रहे, जबकि दिल्ली और तमिलनाडु में थोड़ा ज्यादा रहे।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फीस काफी सस्ती होती है, इसलिए इन्हें बहुत लोग पसंद करते हैं। कुछ प्रमुख कॉलेज हैं:
इन कॉलेजों में क्लिनिकल ट्रेनिंग, छात्रावास और पुस्तकालय जैसी सुविधाएँ भी सरकारी मानकों के अनुसार उपलब्ध करवाई जाती हैं। अक्सर राज्य सरकारें ट्यूशन फीस में अतिरिक्त छूट देती हैं, खासकर श्रेणी‑आधारित बंधक के लिए।
कॉलिज चुनते समय सिर्फ फीस नहीं, बल्कि क्लिनिकल एक्सपोज़र, पैरेंटल ड्यूटी, रिजिडेन्शियल सुविधा और एग्ज़ाम रैंकिंग को भी देखना चाहिए। कई बार छोटे शहरों के सरकारी कॉलेजों में सीखने का माहौल बेहतर रहता है क्योंकि छात्र संख्या कम होती है और डॉक्टरों से एक‑एक बात के लिए समय मिलता है।
अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि कौन‑सा कॉलेज आपके लिए सही रहेगा, तो सबसे पहले अपना NEET स्कोर और रैंक चेक करें, फिर अपने राज्य की काउंसलिंग वेबसाइट पर उपलब्ध कटऑफ़ और सीट मैट्रिक्स देखें। इस जानकारी के आधार पर आप अपनी पसंदीदा कॉलेजों की लिस्ट बना सकते हैं।
आखिर में यह याद रखें कि सरकारी मेडिकल कॉलेज और निजी कॉलेज दोनों में आपकी मेहनत और लगन ही सफलता की चाबी है। सही जानकारी के साथ तैयारी शुरू करें, काउंसलिंग में सावधानी रखें और अपने सपनों को हासिल करें। आप डॉक्टर बनेंगे और देश की सेवा करेंगे – यही सबसे बड़ी जीत है।
पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ डॉक्टरों ने जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दिया है। यह कदम राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए उठाया गया है ताकि वे हड़ताली डॉक्टरों की मांगों पर विचार करें। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार की मांग को लेकर जारी है।
विवरण +