सिद्धारमैया उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ लोग नवरात्रि के दौरान बड़ी श्रद्धा से आते हैं। अगर आप पहली बार यहाँ आएँ तो यह लेख आपके लिए है – यहाँ आप इतिहास, महत्त्व और सही पूजा विधि सबकुछ एक जगह पाएँगे।
कहते हैं कि सिद्धारमैया का उद्धार माँ गौरी ने किया था जब उन्होंने अपने भक्तों को संकट से बचाया था। पुरानी गाथाओं में बताया गया है कि हजारों साल पहले एक साधु ने यहाँ एक चमकती हुई मूर्ति पाई और उसे स्थापित कर दिया। तभी से यह जगह भक्ति का केंद्र बन गया।
हर साल नवरात्रि में यहाँ दरबार लगा रहता है, और लोग माँ के चरणों में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना लेकर आते हैं। इस माहौल में गा-भजन और कीर्तन की आवाज़ सुनाई देती है, जो दिल को छू जाती है।
सबसे पहले साफ़ कपड़े पहने और हाथ धोकर मंदिर की ओर निकलें। प्रवेश द्वार पर लाल कपड़ा रखकर प्रवेश करें, यह शांति और समृद्धि का प्रतीक है। फिर माँ की मूर्ति के सामने जलते दीपक के साथ धूप, संत्रा और चन्दन लगाएं।
अगले चरण में माँ को फूलों की माला चढ़ाएँ। गुलाब, चम्पा और गेंडे के फूल सबसे सामान्य होते हैं। इसके बाद 108 बार ‘ऊँ देवी सिद्धारमैये नमः’ मंत्र जपें। अगर आप बहुत देर तक नहीं कर पा रहे तो 11, 21 या 33 बार भी मन लगा कर जप सकते हैं।
इसे पूरा करने के बाद प्रसाद में चावल, मीठा और फल रखें। यह प्रसाद माँ के चरणों में अर्पित करें और फिर भक्तों में बाँटें। यह परम्परा आपके घर में सुख-शांति लाता है।
पूजा समाप्त होने के बाद मंदिर की साफ़-सफ़ाई में मदद करें। यह छोटा सा कार्य आपकी भक्ति को और भी मजबूत बनाता है और स्थान को पवित्र बनाये रखता है।
अगर आप नवरात्रि के दौरान यहाँ नहीं जा सकते, तो घर पर भी इसी विधि को अपनाएं। साँझ को माँ के छोटे फोटो या मूर्ति के सामने इन कदमों को दोहराएँ, वह भी प्रभावी है।
सिद्धारमैया के पास कई छोटी-छोटी कहानियाँ और उपाख्यान भी मिलते हैं, जो भक्तों को प्रेरित करते हैं। कभी‑कभी मंदिर के पास बुनकरी वाली महिलाएँ बेहतरीन क़त्थे बनाती हैं, जिन पर माँ की चित्रण होती है – वो भी एक आकर्षण है।
अंत में, यह याद रखें कि भक्ति की कोई सीमा नहीं होती। आप चाहे बड़े हों या छोटे, दिल से माँ को याद करें और उनका आशीर्वाद पाएँ। सिद्धारमैया हमेशा आपके साथ है, बस आपका प्यार और श्रद्धा चाहिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से युद्ध के बजाय शांति और सुरक्षा सुधारों पर ज़ोर दिया। उनके बयान पर भाजपा ने तीखा हमला किया और उन्हें 'पाकिस्तान रत्न' करार दिया। इस विवाद ने सुरक्षा व्यवस्था पर राजनीतिक बहस को और तेज़ कर दिया।
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