विश्व खाद्य दिवस: क्यों है यह खास और क्या है नई खबरें?

हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व खाद्य दिवस, हमारी खाने‑पीने की ज़रूरतों पर ध्यान आकर्षित करता है। अगर आप सोचते हैं कि यह सिर्फ एक तारीख है, तो सोचने में बड़ी गलती है – ये दिन भूख‑मुक्ति, कृषि सुधार और पोषण शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाता है।

विश्व खाद्य दिवस कब और क्यों मनाते हैं?

संयुक्त राष्ट्र ने 1979 में इस दिन को स्थापित किया, ताकि हर साल अलग‑अलग थीम के तहत वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा की चर्चा हो सके। 2025 की थीम ‘सतत कृषि और जलवायु लचीलापन’ है, यानी हमें ऐसे खेती करने के तरीकों की जरूरत जो पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ और भविष्य में भी भोजन की उपलब्धता बनी रहे।

भारत में इस दिन स्कूल, कॉलेज और NGOs द्वारा विभिन्न कैंपेन चलाए जाते हैं – जैसे स्कूल में पोषण स्टार्टर किट बाँटना, किसानों को नई फसल प्रौद्योगिकी दिखाना, या भोजन वितरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना। ये छोटे‑छोटे कदम मिल कर बड़े बदलाव की नींव बनते हैं।

2025 में प्रमुख खबरें और पहल

इस साल कई महत्वपूर्ण खबरें हमारे टैग “विश्व खाद्य दिवस” के तहत आती हैं। उदाहरण के लिए, सरकार ने नई ‘कृषि सशक्तिकरण योजना’ लॉन्च की, जो छोटे किसानों को सस्ती बीज, फसल बीमा और डिजिटल बाजार तक पहुँच प्रदान करती है। इस योजना से अनुमानित 1 करोड़ किसान सीधे लाभान्वित होंगे।

एक अन्य प्रमुख पहल है विश्व स्तर पर ‘फूड वेस्टेज कम करें’ अभियान। बड़ी कंपनियों ने अब अपने रेस्टोरेंट में बची हुई भोजन को स्थानीय सत्कार्य संस्थाओं को दान करने का वचन दिया है। इससे न केवल भोजन बर्बादी घटेगी, बल्कि भूख‑मुक्ति में भी मदद मिलेगी।

हैदरस्ट्रेलिया‑भारत सहकारी कृषि प्रोजेक्ट ने इस दिन नई बीज पैकेजिंग तकनीक पेश की, जो बीजों को अद्वितीय मैटेरियल से कवर करती है, जिससे उनका जीवनकाल 30% बढ़ जाता है। इससे किसान कम निवेश में अधिक उत्पादन कर पाएँगे।

यदि आप इस टैग पर लिखी गई पूरी सूची देखना चाहते हैं, तो नीचे कुछ प्रमुख लेख दिखाए गए हैं:

  • “सतत कृषि के 5 कदम: कैसे बदलें अपनी खेती” – 2025 में नई तकनीकें
  • “भूख‑मुक्ति अभियान: भारत में क्या है नई योजना?” – सरकारी योजनाओं का सार
  • “खाद्य अपशिष्ट कम करने के आसान तरीके” – घर में तुरंत लागू करने योग्य टिप्स
  • “कृषि बीमा: क्यों है यह ज़रूरी और कैसे ले सकते हैं कवरेज?” – बीमा के लाभ
  • “पोषण शिक्षा की ज़रूरत: स्कूलों में क्यों होनी चाहिए अनिवार्य कक्षाएँ?” – छात्रों के स्वास्थ्य पर फोकस

इन लेखों को पढ़कर आप न केवल विश्व खाद्य दिवस की महत्ता समझेंगे, बल्कि व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर क्या‑क्या बदलाव लाया जा सकता है, यह भी जान पाएँगे। आप भी अपने आसपास के लोगों को इस जानकारी से रूबरू करा सकते हैं – चाहे सोशल मीडिया पर शेयर कर, या स्थानीय कार्यक्रम में हिस्सा लेकर।

अंत में, याद रखें कि हर छोटा कदम बड़ा बदलाव लाता है। अगले विश्व खाद्य दिवस पर, अपने प्लेट में क्या है, किस तरह की खेती से आया है और वह कितना सतत है – यह सब सोचें और अपनी आवाज़ बनें।

2024 विश्व खाद्य दिवस: भारत में हर साल ₹92,000 करोड़ का खाद्य अपव्यय

विश्व खाद्य दिवस 2024 के मौके पर भारत के खाद्य अपव्यय के खतरनाक आंकड़े पर रोशनी डाली गई है। भारत हर साल लगभग ₹92,000 करोड़ का खाद्य अपव्यय देखता है, जिससे खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है। इस समस्या को सुलझाने के लिए जागरूकता आवश्यक है जिससे भोजन की कद्र और अपव्यय में कमी लाई जा सके।

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