मंगलवार सुबह तिब्बत में एक भीषण भूकंप आया जिसने नेपाल, भारत और आसपास के क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.1 मापी गई, जो कि एक अत्यधिक गंभीर श्रेणी की घटना है। इसका केंद्र नेपाल की सीमा के पास तिब्बत में स्थित था, जो कि भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में भूकंप कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस तरह की तीव्रता के भूकंप से हमेशा भारी जन-धन की हानि होती है।
सुबह के 6:35 बजे जब यह भूकंप आया, तो पूरे नेपाल में कोहराम मच गया। राजधानी काठमांडू समेत अनेक क्षेत्रों में जमीन हिलते हुए महसूस की गई। तिब्बत के भीतर, जहां भूकंप का केंद्र था, वहां भारी नुकसान की खबरें आई हैं। चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, इस प्रलंयकारी घटना में कम से कम 53 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। घायलों की संख्या भी दर्जनों में है, जिसमें कोमल स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होगी।
नेपाल के अलावा, भूकंप के झटके भारत के पूर्वी हिस्सों में भी महसूस किए गए। भारतीय राज्य बिहार, असम और पश्चिम बंगाल में भी लोग इस अप्रत्याशित झटके से सहमे हुए बाहर सड़क पर निकल आए। लोग तुरंत अपने घरों और दफ्तरों से बाहर आ गए और सुरक्षा की तलाश में खुले स्थानों की ओर दौड़ पड़े। इन क्षेत्रों में भूकंप का अहसास होना असामान्य नहीं है, किन्तु इतनी तीव्रता के झटके लोगों के मन में दहशत पैदा कर देते हैं।
इस भूकंप ने याद दिलाया कि हिमलाय और इसके आसपास का क्षेत्र भूकंप के लिए कितना संवेदनशील है। 2015 में इसी प्रकार के एक भूकंप में नेपाल ने लगभग 9,000 लोगों को खोया था और बड़ी संख्या में इमारतें ध्वस्त हो गई थीं। यह स्पष्ट करता है कि किसी भी संभावित जोखिम के लिए तैयार रहना ज़रूरी है और सार्वजनिक ज्ञान और जागरूकता के माध्यम से इसके खतरों को कम किया जा सकता है।
मुख्य झटके के बाद, इस क्षेत्र में दो और भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता क्रमशः 4.7 और 4.9 दर्ज की गई। इन झटकों ने पहले से ही डरे हुए लोगों में और अधिक अराजकता पैदा कर दी। उन लोगों के लिए जिन्होंने यह झटके महसूस किए, आघात पुनरावृत्ति ने उन्हें उभरने में और अधिक कठिनाई प्रदान की। राहत और बचाव कार्यों ने तेजी पकड़ ली है, और अनेक स्वयंसेवक और सरकारी एजेंसियां सहायता के लिए आगे आई हैं।
भूकंप की इस आपदा में स्थायी स्वास्थ्य सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है, जो समस्या को और भी गंभीर बनाती है। कई लोग न केवल शारीरिक रूप से प्रभावित हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी तनाव का सामना कर रहे हैं। बचाव कार्यों में प्राथमिकता है कि लोगों को शीघ्रता से चिकित्सा सहायता, आश्रय और भोजन मिले ताकि पीड़ित एक बार फिर सामान्य जीवन की ओर बढ़ सकें।
भूकंप जैसी आपदाओं पर नियंत्रण पाना कठिन होता है, परंतु उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। देशों की सरकारें भूकंप निगरानी और पूर्वानुमान प्रणालियों को और भी दक्ष बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा, लोगों को जागरूक करना भी आवश्यक है, जिससे वे आपदा की स्थिति में उचित कदम उठा सकें और खुद को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रख सकें। मौसम विशेषज्ञों और भूकंप विज्ञानियों का मानना है कि शिक्षा और जानकारी के प्रसार के माध्यम से भूकंप के खतरे को काफी कम किया जा सकता है।
तिब्बत और नेपाल के सीमांचल क्षेत्र में आए इस भूकंप ने एक बार फिर यह साबित किया कि प्रकृति कितनी शक्तिशाली और अप्रत्याशित हो सकती है। यह ज़रूरी है कि हम सभी मिलकर अधिक सशक्त और सुरक्षित समाज की ओर बढ़ें, ताकि भूकंप जैसी आपदाओं के सामने हम आत्मविश्वास से खड़े रहें।
Ron Burgher
9 01 25 / 19:14 अपराह्नये सब तो हमेशा की बात है... जब तक हम अपने घरों को बेकाबू बनाए रखेंगे, तब तक ये आपदाएं आती रहेंगी। भूकंप का जिम्मेदार कोई नहीं, हम सब हैं।
kalpana chauhan
11 01 25 / 11:12 पूर्वाह्नबहुत दुखद है ये सब... 😢 नेपाल के लोगों के लिए दुआएं। भारत के लोग भी अपने घरों में जो नियम बनाते हैं, उन्हें अब बदलना होगा। जल्दी से सुरक्षित घर बनाने की जरूरत है। हम सब मिलकर कुछ कर सकते हैं! 💪❤️
Prachi Doshi
12 01 25 / 04:00 पूर्वाह्नये भी एक बार फिर याद दिलाता है कि तैयारी ज़रूरी है। बस इतना ही।
Karan Kacha
14 01 25 / 03:23 पूर्वाह्नअरे भाई, ये भूकंप तो सिर्फ एक बड़ा झटका नहीं, ये तो हमारी सभ्यता का एक बड़ा चेतावनी का बेल है! 🚨 हमने क्या किया? नहीं कुछ! बिहार, असम, पश्चिम बंगाल - सब जगह नींव बिल्कुल गलत! इमारतें बनाने वाले लोग तो बस पैसे की भाग दौड़ में हैं! जब तक हम नियमों को अपनाने की जगह उन्हें तोड़ने की आदत नहीं छोड़ेंगे, तब तक ये त्रासदियां दोहराएंगी! और अब जो लोग बच गए हैं, उनके मन में भी भूकंप चल रहा है - PTSD, डर, अवसाद - ये सब तो जिंदगी भर रहेगा! और हम बस एक बार ट्वीट करके भाग जाते हैं! बस इतना ही नहीं, अब से हर घर में भूकंप ड्रिल होनी चाहिए! स्कूलों में, ऑफिसों में, बाजारों में! और अगर आप इसे नहीं मानते, तो अगली बार आपका घर भी गिर जाएगा! 😭
vishal singh
15 01 25 / 08:46 पूर्वाह्नकोई नहीं जानता कि भूकंप कब आएगा, लेकिन हर कोई जानता है कि अपनी इमारत कैसे बनानी चाहिए। फिर भी लोग बेकाबू बनाते हैं। ये लापरवाही नहीं, अपराध है।
mohit SINGH
16 01 25 / 23:09 अपराह्नअरे भाई, ये तो चीन की नीति का असर है! तिब्बत में लोगों को अपनी जमीन से बाहर कर दिया गया, अब भूकंप उनकी आत्मा को भी निकाल रहा है! ये एक जानबूझकर की गई आपदा है! चीन ने जमीन के नीचे कुछ बेकाबू बनाया है - जानते हो न? अब वो उड़ रहा है! 😈
Preyash Pandya
18 01 25 / 19:35 अपराह्नमैंने तो सोचा था कि ये भूकंप बैड ऑपरेशन था... अब लग रहा है कि चीन ने अपने सैटेलाइट से जमीन को हिलाया है! 🤫👽 अगर ये नहीं तो तिब्बत में इतना भारी भूकंप कैसे आया? ये तो सिर्फ एक टेस्ट था! अब देखो, भारत भी तैयार हो जाएगा! 😅
Raghav Suri
19 01 25 / 06:34 पूर्वाह्नमैं तो ये सोचता हूं कि हम सब इतने बड़े देश में रहते हैं, लेकिन अपने घरों के बारे में इतना कम जानते हैं। भूकंप के बारे में बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जाए, बुजुर्गों को भी समझाया जाए। एक छोटी सी जागरूकता बहुत कुछ बदल सकती है। मैंने अपने घर में एक बचाव बैग बना लिया है - पानी, बैटरी, दवाएं, वॉकी-टॉकी। बस इतना ही करके हम बहुत कुछ बचा सकते हैं। अगर हर घर ऐसा करे, तो नुकसान कम हो जाएगा। ये नहीं कि भूकंप रुक जाएगा, बल्कि हम उसके सामने खड़े हो जाएंगे। धीरे-धीरे, लेकिन लगातार।
Priyanka R
20 01 25 / 19:04 अपराह्नये सब एक नया अमेरिकी हथियार है! उन्होंने जमीन के नीचे एक नया टेक्नोलॉजी लगाई है - जो भूकंप को ट्रिगर करती है! भारत और नेपाल को दबाने के लिए! आप नहीं जानते, लेकिन ये बातें सच हैं! 🕵️♀️📡
Rakesh Varpe
21 01 25 / 16:18 अपराह्नसुरक्षा के लिए नियम बनाओ और उन्हें लागू करो। बस।
Girish Sarda
21 01 25 / 21:48 अपराह्नक्या कोई जानता है कि इस भूकंप के बाद जो अफ्टरशॉक्स आए हैं, वो किस गहराई पर थे? मैंने कुछ रिपोर्ट्स पढ़ीं, लेकिन वो बहुत साधारण थीं। क्या कोई गेओलॉजिकल सर्वे के डेटा को देख सकता है?
Garv Saxena
23 01 25 / 21:30 अपराह्नअगर भूकंप एक अपराध है, तो हम सब उसके साथी हैं। हमने जंगल काटे, पहाड़ों को खोदा, नदियों को रोका - और अब प्रकृति हमें बता रही है कि ये नहीं चलेगा। हम इतने बड़े हो गए कि अपने आप को भगवान समझने लगे। लेकिन प्रकृति के लिए हम तो बस एक धूल का कण हैं। इस भूकंप ने नहीं तोड़ा, बल्कि एक शीशा रख दिया है - जिसमें हम अपने अहंकार को देख सकते हैं। और अगर हम इस शीशे को तोड़ देंगे, तो अगली बार ये भूकंप नहीं, बल्कि एक बड़ा बंदर आएगा।
Rajesh Khanna
25 01 25 / 09:31 पूर्वाह्नहम इस आपदा में अपनी ताकत दिखा सकते हैं। लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं - ये देखकर दिल खुश हो गया। आशा है कि ये बुराई भी बदल जाएगी।
Sinu Borah
27 01 25 / 01:50 पूर्वाह्नअरे ये तो सिर्फ एक और भूकंप है। हर साल कुछ न कुछ होता है। लोग इतना भावुक क्यों हो जाते हैं? जिंदगी चलती रहेगी। नेपाल के लोग तो इससे भी बड़ा झटका झेल चुके हैं। अब बस रहो और जियो।
Sujit Yadav
27 01 25 / 14:59 अपराह्नक्या आपने कभी सोचा है कि इस भूकंप के बाद जिन लोगों की मौत हुई, उनकी आत्माएं अब भी अपने घरों की खुदाई कर रही होंगी? और आप - आप तो बस इसे एक न्यूज़ आर्टिकल में पढ़ रहे हैं। क्या आपको लगता है कि ये सिर्फ एक आंकड़ा है? नहीं। ये एक बहुत बड़ा चेतावनी है - और आप इसे अनदेखा कर रहे हैं। आप नहीं जानते कि आप क्या खो रहे हैं।
Kairavi Behera
29 01 25 / 06:07 पूर्वाह्नअगर आपके घर में दीवार पर दरार है, तो उसे तुरंत ठीक करवाएं। अगर आपका घर पुराना है, तो एक इंजीनियर को बुलाएं। बस इतना ही। छोटी बातें बड़ी बचाव करती हैं।
Aakash Parekh
29 01 25 / 08:32 पूर्वाह्नमुझे लगता है कि इसका कोई फायदा नहीं है। बस लोग डर रहे हैं।
Sagar Bhagwat
30 01 25 / 23:40 अपराह्नहे भाई, तुम सब इतना डर रहे हो? ये तो बस एक भूकंप है - नेपाल तो इससे बहुत बड़ा झटका खा चुका है। अब तो बस चलो, जी लो।