भारतीय पहलवान विनेश फौगाट का पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्यता को लेकर दायर अपील पर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) का फैसला आज रात आने की संभावना है। विनेश, जिन्हें अपने दूसरे वज़न-मापने के दौरान 100 ग्राम अधिक वजन के कारण अयोग्य ठहराया गया था, ने अपने खिलाफ इस फैसले को चुनौती दी है और क्यूबा की पहलवान युसनेलीस गुज़मान लोपेज़ के साथ संयुक्त रूप से रजत पदक की मांग की है।
सीएएस ने इस मामले में निर्णय की तारीख कई बार बढ़ाई है और अब अंतिम फैसला 16 अगस्त को आने की उम्मीद है। विनेश के कानून विशेषज्ञों, जिसमें वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विधुश्पत सिंघानिया शामिल हैं, ने यह तर्क दिया है कि कड़े कार्यक्रम और प्रतिस्पर्धा के स्थल और एथलीट विलेज के बिच की लंबी दूरी ने विनेश के वजन मुद्दे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और कई खेल हस्तियों, जिनमें मुक्केबाज विजेंदर सिंह और क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर शामिल हैं, ने विनेश के समर्थन में अपने विचार व्यक्त किए हैं। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाख ने भी विनेश की स्थिति के प्रति समझ दिखाई है। सीएएस का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय खेलों में वजन संबंधित अयोग्यता की घटनाओं को कैसे संभालना चाहिए, इस पर एक नई मिसाल कायम करेगा।
विनेश ने अपनी अयोग्यता के तुरंत बाद कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की थी, जिससे उनकी शानदार करियर का अंत हो गया। कुश्ती समुदाय और समर्थक इस फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जो न केवल फौगाट के करियर को प्रभावित करेगा बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक खेलों में निष्पक्षता और एथलीट कल्याण पर भी व्यापक चर्चा को प्रेरित करेगा।
विनेश के लिए यह मामला केवल न्याय की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह उन सभी एथलीटों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिनके करियर वजन संबंधित नियमों की छोटी-छोटी गलतियों के कारण प्रभावित होते हैं। वज़न-मापने के नियमों का सख्त पालन करने की ज़रूरत पर शायद ही कोई प्रश्न उठाता है, लेकिन इसी कारण से एथलीटों के जीवन और करियर पर पड़ने वाले प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा।
विनेश के वकीलों का मानना है कि वजन-मापने के दौरान हुई गड़बड़ी ने उनके सामान्य प्रदर्शन को प्रभावित किया। उनके समर्थन में अन्य खिलाड़ियों ने भी ऐसे ही अनुभव साझा किए हैं। यदि सीएएस विनेश के पक्ष में फैसला देता है, तो यह भविष्य में एथलीटों के हित में सहयोगी साबित होगा।
भारतीय खेल संघों और विनेश फौगाट के प्रशंसकों की निगाहें अब सीएएस के फैसले पर टिकी हैं। विनेश की अपील सफलता पाती है या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय खेलों में एथलीटों के अधिकारों और उनके दशकों के मेहनत के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सीएएस का यह निर्णय विनेश फौगाट के करियर को नया मोड़ दे सकता है। उन्होंने अपने करियर में जो सम्मान प्राप्त किया है, वह उनके अदम्य साहस और संघर्ष की गवाही देता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी यह आखिरी लड़ाई कैसे परिपूर्ण होती है।
एक टिप्पणी छोड़ें